खेल मंत्री से करेंगे जवाब तलब-
बजरंग पूनिया ने संवादाताओं से बात करते हुए कहा कि “मुझे दुख है कि मैं अपनी प्रतिभा और प्रदर्शन के लिए नहीं सराहा जा रहा हूं। मैं नहीं जनता का इस अवार्ड को पाने के लिए क्या मापदंड हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “मैंने राठौर(खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर) सर से फोन पर बात करने का प्रयास किया पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। मैं उनसे मिलकर इस बात पर चर्चा करूंगा। अब मेरी सारी उम्मीदें राठौर सर पर ही बंधी हुई हैं और मुझे मालूम है मैं इस अवार्ड का हकदार हूं।”
अंत में खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा-
उन्होंने इस मामले पर गंभीरता से बोलते हुए कहा कि “कोई भी मेरा रिकॉर्ड उठा कर देख सकता है। मैंने अपने देश के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। मैं नहीं जनता इसके अलावा मुझे क्या करना होगा।” उन्होंने चेताते हुए बताया “और अगर मुझे खेल मंत्रालय से न्याय नहीं मिला तो मेरे पास कोर्ट जाने के अलावा कोई भी चारा नहीं बचेगा।”
बजरंग की उपलब्धियां-
बजरंग पूनिया ने इस साल कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक और एशियाई खेल में भी स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया था। इससे पहले नई दिल्ली में हुए एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमा चुके है। उन्होंने 2013 वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता था।
पॉइंट्स में सबसे आगे थे बजरंग-
खेल रत्न के चुनाव के लिए पॉइंट सिस्टम रखा गया था जिसमे सबसे ज्यादा पॉइंट्स बजरंग पूनिया के थे। उनके और महिला पहलवान विनेश फोगट के बराबर सर्वाधिक 80 अंक थे। वहीं भारोत्तोलक महिला साईखोम मीराबाई चानू के 44 अंक थे और विराट कोहली के 0 अंक थे। क्रिकेट में कोई अंक नहीं होने के कारण विराट के अंक 0 थे। उनके नाम के लिए हाथ उठा के वोटिंग हुई। पैनल के 11 सदस्यों में 8 ने विराट के पक्ष में हाथ उठाया। इसके बाद पैनल की सर्वसम्मति से मीराबाई चानू और विराट कोहली का नाम आगे भेजा गया।