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बालाघाट

घेऊन जा री नारबोद के साथ मनाया मारबत पर्व जर्जर सड़क को लेकर निकला मारबत का पुतला

पोला पाटन पर्व के दूसरे दिन सामवार को पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ जिलेभर में मारबत पर्व मनाया गया।

बालाघाटSep 10, 2018 / 10:14 pm

mukesh yadav

pola

घेऊन जा री नारबोद के साथ मनाया मारबत पर्व जर्जर सड़क को लेकर निकला मारबत का पुतला

बालाघाट. पोला पाटन पर्व के दूसरे दिन सामवार को पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ जिलेभर में मारबत पर्व मनाया गया। नगरीय क्षेत्र के अलावा ग्रामीण अंचलों में मारबत पर्व की धूम रही। मारबत के दिन सुबह लोगों ने अला-बला व बुराईयों को ले जा रही नारबोद चिल्लाते हुए मारबत का पुतला निकाल गांव की सीमा पर ले जाकर मारबत के साथ गेड़ी को जलाया।
इस पर्व को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखा गया। बच्चे पड़ोस में घर-घर जाकर नारबोद लगा बोजारा (उपहार) मांगते नजर आए। कृषकों ने भी खेतों में फसलों में कीट व्याधि की बीमारी न हो इससे जंगल से आमटा व तेंदू की डाल काटकर डाला गया।
जर्जर सड़क पर निकाली नारबोद
इस वर्ष भी पोला के दूसरे दिन वार्ड नंबर ११ बूढ़ी से बैंड बाजे की धुनों के साथ मारबत का पुतला निकाला गया। मारबत का पुतला बूढ़ी से होते हुए बस स्टैंड, भटेरा चौकी, रेल्वे क्रासिंग से भटेरा चौकी नाका के पास ले जाकर घेऊन जा री नारबोद चिल्लाते पुतला दहन किया गया। इस अवसर पर वार्ड पार्षद सहित बड़ी संख्या में वार्डवासी उपस्थित रहे। इस बार मारबत का पुतला बूढ़ी जर्जर सड़क को लेकर निकाला गया था।

नारबोद पर फूकें संकटों के पुतले
कटंगी। खेती- किसानी से जुड़े पोले के पर्व के दूसरे दिन पंरपरानुसार नारबोद (छोटी होली) का त्यौहार भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। इस पर्व पर ग्रामीण अंचलों में विविध कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। इस दिन नारबोद का पुतला बनाकर प्रत्येक घर से कच्चे मिट्टी का दीप, लकड़ी की बनी गेंडी आदि को लेकर नाचे हुए पुतले को श्मशान घाट में ले जाकर गांव में रोगों व अन्य आपदाओं से बचाने की कामना करते हुए जलाया गया। इसके बाद महिलाओं ने घर की साफ-सफाई की। यहां नगर में बजरंग वार्ड तथा पंवारी मोहल्ला से 15 फीट उंची नारबोद का पुतला निकाला गया। जिसने सारे शहर का भम्रण किया। इस दौरान लोगों की बुराईयों को दूर करने के लिए जमकर नारे लगाए। पुर्वजों ने बताया कि कई सालों से नारबोद का पर्व मनाने का दस्तुर चला आ रहा है जो निरतंर जारी है।
इस दिन सुबह से प्राचीन परंपरानुसार घेऊन जा री नारबोद… खांसी खोखला लेज री नारबोद के नारे से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। नगर में जगह-जगह नारबोद के पुतले बनाए गए जिन्हें नगर में भम्रण कराने के बाद शमशान में दहन किया गया। इसके अलावा घर-घर से मिट्टी की नारबोद बनाकर विसर्जन किया गया। नारबोद खदेडऩे के बाद लोगों ने एक दूसरे के घर जाकर नारबोद की पत्ती भेंट कर बधाई दी।

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