- लवीना माथुर, जयपुर
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देश में तेजी से शहरीकरण बढ़ रहा है। कई कॉलोनियों में बोरिंग से पानी आता है। उनके पानी की व्यक्तिगत स्रोत हैं। सार्वजनिक जल वितरण हर जगह संभव नहीं हो पाया है। सरकार को पेयजल आपूर्ति के गंभीर प्रयास करने होंगे।
—अमित दीवान, भोपाल
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पेयजल आपूर्ति वर्तमान व भविष्य का गंभीर मुद्दा है। सरकारें इस पर कार्य कर रही हैं, लेकिन इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें जनसंख्या वृद्धि, संसाधनों की कमी, तकनीकी मुद्दे आदि कई कारक हैं। लोग भी लापरवाह व स्वार्थी होते हैं। जागरूकता की कमी है। इसके लिए सरकार व समाज दोनों को मिलकर इसका हल निकालना होगा।
हरदीप गाल्ला, हनुमानगढ़
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पेयजल आपूर्ति में कुछ अफसर व कर्मचारी आम जनता की मांग को महत्व नहीं देते। वे भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं। जानबूझकर पानी की समस्या बनाते हैं, इनकी टैंकर माफिया से गठजोड रहता है। पाइपलाइन टूटने के नाम पर जनता को बहकाते हैं जनप्रतिनिधि भी अपनी अवैध कालोनियों में सप्लाई चलवाने के चक्कर में मौन रहते हैं। जनता बेबस नजर आती है। अपनी मेहनत की कमाई टैंकरों से पानी डलवाने पर खर्च होती है।
प्रदीप जाखड़, श्रीगंगानगर
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सरकार में बैठे कुछ अदूरदर्शी नेता व मंत्री इसका मुख्य कारण है। वे जलापूर्ति के नाम पर बजट पास करवा लेते हैं। यह कार्य अपने चहेते ठेकेदारों को देते हैं, जो पैसों का गबन कर जाते हैं। आम जनता को जलापूर्ति की केवल खानापूर्ति ही हो पाती है। इससे वास्तव में पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हो पाता।
- मनजीत सिंह नरावत,रामदेवरा
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वर्तमान में भारत के कई मध्यवर्ती इलाके भारी पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं।इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा चलाए जा रही हर घर नल परियोजना के संचालन में सुस्ती है।। राज्यों के बीच नदी जल विवाद भी स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति मे बाधा उत्पन्न कर रहा है।।
विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश
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पेयजल आपूर्ति के मामले में सरकार गंभीर नहीं है। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग भी पेयजल की टूटी व गली हुई लाइनों को सुधारना नहीं चाहता। इसके लिए जनता को ही जागरूक होना होगा। पानी का अपव्यय करने पर टैक्स लगाया जाए। सरकार को इस मामले में सख्ती बरतनी होगी।
—सुधा दुबे, भोपाल
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पेयजल आपूर्ति के मामले में सरकारें गंभीर नही होने का प्रमुख कारण जलदाय विभाग में बढता भ्रष्टाचार और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता है। इसी की वजह से पेयजल आपूर्ति से संबंधित योजनाएं कागजों तक ही सीमित रहती है। इन योजनाओं का सही तरीके से धरातल पर क्रियान्वयन नही होता है।
— प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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पेयजल आपूर्ति के मामले में सरकार का बहुत ढीला रवैया है। जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक घरों में नल से जल की योजना पिछड़ चुकी है। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति भी पेयजल आपूर्ति के मामले में उदासीन है। नागरिकों को स्वच्छ एवं पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से प्रयास करने की आवश्यकता है। निरंतर बढ़ती जनसंख्या के अनुसार जल आपूर्ति के पाइप का विस्तार किया जाना चाहिए। पुराने पाइप को बदले जाएं एवं पाइप में रिसाव एवं दूषित जल की शिकायत पर जल संसाधन विभाग तत्काल कार्यवाही करें।
— सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ एमसीबी छत्तीसगढ़