- पवन गौतम बमूलिया, उदपुरिया (बारां)
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युवाओं के सपने ऊंचे होते हैं लेकिन वे इसे पूरा करने के लिए कहीं न कहीं अपराध से जुड़ जाते हैं। आधुनिक समय में यूट्यूब के माध्यम से अपराधों के बारे में जानकारी जुटाना आसान हो गया है। दिखावे व अपने शौक को पूरा करने के लिए युवा शॉर्ट कट रास्ता अपना लेते हैं। इससे वे बाद में अपराधों के दलदल में फंस जाते हैं।
— दिलीप शर्मा, भोपाल, मध्यप्रदेश
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प्रशासन की अनदेखी व पुलिस की उचित कार्रवाही न होने से अपराध
व्यक्ति की सही परवरिश न हो तो वह अपराध की ओर मुड जाता है। उसे सही—गलत की पहचान ही नहीं हो पाती। कई बार वह अनजाने ही अपराध की ओर मुड जाता है। प्रशासन की अनदेखी व पुलिस की लापरवाही भी अपराधी प्रवृत्ति को जन्म देती है। राजनीतिक संरक्षण व लालफीताशाही से अपराध के कदम बढते चले जाते हैं।
व्यक्ति की सही परवरिश न हो तो वह अपराध की ओर मुड जाता है। उसे सही—गलत की पहचान ही नहीं हो पाती। कई बार वह अनजाने ही अपराध की ओर मुड जाता है। प्रशासन की अनदेखी व पुलिस की लापरवाही भी अपराधी प्रवृत्ति को जन्म देती है। राजनीतिक संरक्षण व लालफीताशाही से अपराध के कदम बढते चले जाते हैं।
- रमेश गोस्वामी, राजगढ़ (अलवर)
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अपराधों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है, बेरोजगारी और अधिक पाने की लालसा। टीवी, सिनेमा और मोबाइल के वीडियो में विलासिता की वस्तुओं को देखकर युवा वर्ग लालायित होता है और उन्हें किसी तरह प्राप्त करना चाहता है। मर्यादित और संतुलित जीवन शैली होते जा रहे हैं। कम समय में अमीर बनना और शौक पूरे करना आज के युवा और बडों का मुख्य उद्देश्य रह गया है। महिलाएं भी इस कार्य में पीछे नहीं है
कानून का भय होना बहुत जरूरी है । माता-पिता जो परिवार की धुरी होते हैं ,वे आज की आर्थिक व्यवस्था मजदूरी और काम पर लगे रहते हैं और बच्चे इससे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं।
— सुधा दुबे, भोपाल
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कानून का भय नहीं है अपराधियों को
अपराधों की बढोतरी का मुख्य कारण अपराधियों मे कानून का डर खत्म होना है। वे बेखौफ हो रहे हैं। न्यायालय आसानी से उनको जमानत दे देती है। अपराधी फिर से अपराध शुरु कर देते हैं। धीरे—धीरे वे आदतन अपराधी बन जाते हैं, कोई भी जेल और व्यवस्था उन्हें इससे छुटकारा नहीं दिला सकती। इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान करना होगा। अपराधियों को सही काउंसिल व उनके लिए सुधार गृहों खोलने चाहिए।
— सोनिया,जयपुर
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अपराधों की बढोतरी का मुख्य कारण अपराधियों मे कानून का डर खत्म होना है। वे बेखौफ हो रहे हैं। न्यायालय आसानी से उनको जमानत दे देती है। अपराधी फिर से अपराध शुरु कर देते हैं। धीरे—धीरे वे आदतन अपराधी बन जाते हैं, कोई भी जेल और व्यवस्था उन्हें इससे छुटकारा नहीं दिला सकती। इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान करना होगा। अपराधियों को सही काउंसिल व उनके लिए सुधार गृहों खोलने चाहिए।
— सोनिया,जयपुर
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आर्थिक विषमता से बढ़ रहे अपराध
अपराध बढ़ने का मुख्य कारण है आर्थिक विषमता व रोजगार के अवसरों में कमी। इससे वह गरीब बना रहता है। इस गरीबी से बाहर निकलने के लिए वह अपराध कर बैठता है। बडे बडे लोगों को वह भ्रष्टाचार से अमीर बनते देखता है तो वह भी लालायित होता है। एकाकी परिवारों की बढ़ती संख्या से भी युवाओं को उचित संस्कार नहीं मिल रहे हैं। कहीं—कहीं बुजुर्ग भी गलत शिक्षा दे बैठते हैं। जिससे शॉर्टटर्म में तो फायदा हो जाता है लेकिन दीर्घकाल में युवा को अपराध की गलत लत लग जाती है। इसके लिए कड़े दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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अपराध बढ़ने का मुख्य कारण है आर्थिक विषमता व रोजगार के अवसरों में कमी। इससे वह गरीब बना रहता है। इस गरीबी से बाहर निकलने के लिए वह अपराध कर बैठता है। बडे बडे लोगों को वह भ्रष्टाचार से अमीर बनते देखता है तो वह भी लालायित होता है। एकाकी परिवारों की बढ़ती संख्या से भी युवाओं को उचित संस्कार नहीं मिल रहे हैं। कहीं—कहीं बुजुर्ग भी गलत शिक्षा दे बैठते हैं। जिससे शॉर्टटर्म में तो फायदा हो जाता है लेकिन दीर्घकाल में युवा को अपराध की गलत लत लग जाती है। इसके लिए कड़े दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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नैतिक संस्कारो की कमी
वर्तमान परिवेश में नैतिक संस्कारो का पतन हो गया है। सिनेमा और टीवी अपराध के नए-नए तरीके बता रहे हैं। बढ़ती बेरोजगारी और नशे की लत के साथ अपराधियों को राजनैतिक प्रश्रय मिल जाता है। न्याय प्रक्रिया में विलंब अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं।
— कुलदीप पारीक, नागौर
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वर्तमान परिवेश में नैतिक संस्कारो का पतन हो गया है। सिनेमा और टीवी अपराध के नए-नए तरीके बता रहे हैं। बढ़ती बेरोजगारी और नशे की लत के साथ अपराधियों को राजनैतिक प्रश्रय मिल जाता है। न्याय प्रक्रिया में विलंब अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं।
— कुलदीप पारीक, नागौर
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पुलिस व राजनेताओं की अपराधियों से सांठगांठ
अपराधों को पुलिस रोकती है। लेकिन कहीं—कहीं पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद होती है। पुलिसकर्मी अधिक पैसे लेने की सोच के चलते अपराधियों को कई सुविधाएं देते हैं। जिससे अपराधियों को लगता है कि वे पैसे के बलबूते कुछ भी कर सकते हैं। अपराधी—पुलिस की मिलीभगत से पीडित भी कुछ नहीं कर पाता। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। कई बार राजनेता भी अपराधियों को संरक्षण देते हैं।
— सुरेन्द्र कुमार राजपुरोहित, बीकानेर
अपराधों को पुलिस रोकती है। लेकिन कहीं—कहीं पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद होती है। पुलिसकर्मी अधिक पैसे लेने की सोच के चलते अपराधियों को कई सुविधाएं देते हैं। जिससे अपराधियों को लगता है कि वे पैसे के बलबूते कुछ भी कर सकते हैं। अपराधी—पुलिस की मिलीभगत से पीडित भी कुछ नहीं कर पाता। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। कई बार राजनेता भी अपराधियों को संरक्षण देते हैं।
— सुरेन्द्र कुमार राजपुरोहित, बीकानेर