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आपकी बात…प्रथम चरण में मतदान कम रहने का क्या कारण है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश है चुनींदा प्रतिक्रियाएं…

जयपुरApr 22, 2024 / 01:15 pm

विकास माथुर

अच्छे उम्मीदवार और पार्टी का सीमित विकल्प
प्रथम चरण में मतदान कम रहने के मुख्य कारण मतदाता की उदासीनता, अच्छे उम्मीदवार या पार्टी के विकल्प की सीमितता, तेज गर्मी, फसल कटाई, विस्तृत संसदीय क्षेत्र, अभ्यर्थी की सीमित पहुंच, प्रचार प्रसार की कमी, मतदान की अनिवार्यता का ना होना, कार्मिकों की निर्वाचन में ड्यूटी और शादी समारोह हैं।
—श्याम लाल प्राचार्य, अचलपुर
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चुनावों के प्रति जागरूकता अखबार, मोबाइल तक ही सीमित
इस बार मतदाता वोटिंग के प्रति उत्साहित नजर नहीं आए। लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए तो जागरूक रहते हैं लेकिन वोट डालने के प्रति नहीं। अधिकांश क्षेत्रों में पार्टी या उम्मीदवार का प्रचार भी काफी कम रहा। जागरूकता अखबारों व मोबाइल तक ही सीमित रही। कोई रैली व उत्साह नजर नहीं आया। केंडिडेट ने प्रचार पर अधिक व्यय नहीं किया। इस दिन गर्मी व विवाह समारोह भी कम वोटिंग का कारण रहा।
—शालिनी सत्य प्रकाश ओझा बीकानेर
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पक्ष और विपक्ष रहे मुद्देविहीन
इस बार मतदाता उदासीन रहा। इस बार पक्ष और विपक्ष के सामने कोई मुद्दे ही नहीं थे। भाजपा कार्यकर्ता मानकर चल रहा है कि मोदीजी ही सरकार बनाएंगे, चाहे भाजपा का कोई भी केंडिडेट चुनाव में हो। विपक्ष की उनके सामने लडने की हैसियत ही नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ता ने भी मान लिया कि मोदी जी का कद इतना बड़ा है कि सरकार उनकी ही बनने की संभावना है, इसलिए वोट डालने का कोई फायदा नहीं है। इसके अलावा शादियों के सावे व भीषण गर्मी ने भी मतदान प्रतिशत को कम किया।
—आशुतोष शर्मा, विद्याधर नगर जयपुर
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केंडिडेट व पार्टी की स्थानीय मुद्दों पर चुप्पी
प्रथम चरण में मतदाताओं की वोट देने को लेकर आई बेरुखी चिंताजनक है। वोट प्रतिशत कम होने का प्रमुख कारण बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, पानी, सड़क जैसे स्थानीय मुद्दों पर अमल नहीं होना है। इसलिए राजनीतिक दलों को आम जनता की मूलभुत आवश्यकताओं और विकास का रोड मैप बनाकर काम करना चाहिए।
प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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चुनावी माहौल नजर नहीं आया
उम्मीदवारों का इस बार गांव—ढाणी तक जनसंपर्क कम हुआ। माइक से प्रचार नहीं हुआ। बहुत कम रैलियां निकलीं। प्रचार प्रचार सोशल मीडिया पर ही अधिक था। इससे चुनावी माहौल नजर नहीं आया। आरोप—प्रत्यारोप के दौर नदारद थे। शादियों का सीजन था। मतदाता पारिवारिक कार्यों में व्यस्त थे।
—हर्ष राजावत, देवलीकला पाली
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कोउ नृप होई हमै का हानि, चेरी छांड़ि कि होइब रानी
शासन कोई हो हमें न हानि और न लाभ। मैं दासी या जैसे भी हूं वैसे ही आगे भी रहूंगी। मतदाता अपने वोट की अहमियत नहीं समझते। मतदान स्वैच्छिक है। इस वजह से लगभग 40 प्रतिशत मतदाता वोट डालने ही नहीं जाते। उनको इस बात से मतलब ही नहीं ​है कि किसकी सरकार बने। उनका कहना है कि चुनावी वादे बडे बडे व लोकलुभावन होते हैं। जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन बमुश्किल ही होता है। सभी दलों की सरकार अपने फायदे व सत्ता में आने के लिए चुनाव लडती हैं न कि आम जनता की भलाई के लिए।
—रेखा उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ एमसीबी छत्तीसगढ़
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जागरूकता की कमी
गर्मी, मतदान केंद्रों की दूरी, अपर्याप्त सुविधाएं, जागरूकता की कमी और आर्थिक तथा सामाजिक कारणों की वजह से मतदान कम हुआ। इसके अलावा प्रत्याशियों की उदासीनता भी इसका कारण रहा। शादियों व कृषि कार्यों के कारण भी लोग मतदान करने नहीं पहुंचे।
—गिरीश ठक्कर, राजनंदगांव
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जनसंपर्क का अभाव

सबसे बड़ा कारण प्रत्याशियों का जनसंपर्क का अभाव रहा। प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर बहुत ही कम जनसंपर्क किया। गर्मी ने भी वोटिंग प्रतिशत पर असर डाला। सरकार की ओर जनजागरण कम रहा। लोगों में वोटिंग के प्रति रुझान कम ही नजर आया।
—सुरेंद्र बिंदल बिट्टू, मॉडल टाउन, जयपुर

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