कठोर कानून न होने कारण
प्रदूषण नियंत्रण का कोई कठोर कानून नहीं है। इसके उल्लघंन पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए। सके। आने वाले समय में यह स्थिति अधिक खराब होगी। प्रदूषण के कारण तापमान में भी बढोतरी होती जा रही है। सरकार को कठोर कानून बनाकर इससे सख्ती से निपटना होगा।
-इन्द्रपाल ढाका,भादरा, हनुमानगढ़
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प्रदूषण नियंत्रण का कोई कठोर कानून नहीं है। इसके उल्लघंन पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए। सके। आने वाले समय में यह स्थिति अधिक खराब होगी। प्रदूषण के कारण तापमान में भी बढोतरी होती जा रही है। सरकार को कठोर कानून बनाकर इससे सख्ती से निपटना होगा।
-इन्द्रपाल ढाका,भादरा, हनुमानगढ़
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जागरूकता की कमी
प्रदूषण संबंधी सभी नियमों के प्रति लापरवाही बरतना। नियमों में कठोरता का अभाव है। वायु व जल प्रदूषण के प्रति सरकार व आम नागरिकों को सजग रहना जरूरी है। सरकार का भी ध्यान इस ओर नहीं है।
— ज्योति खुराना, रायगढ़ छत्तीसगढ़
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प्रदूषण संबंधी सभी नियमों के प्रति लापरवाही बरतना। नियमों में कठोरता का अभाव है। वायु व जल प्रदूषण के प्रति सरकार व आम नागरिकों को सजग रहना जरूरी है। सरकार का भी ध्यान इस ओर नहीं है।
— ज्योति खुराना, रायगढ़ छत्तीसगढ़
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स्थानीय प्रशासन की उदासीनता
प्रदूषण नियंत्रण स्वच्छता अभियान का ही अंग है लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाहियों के चलते खाना पूर्ति हो रही है। ठोस नीतिगत कार्यवाही न करने की वजह से प्रदूषण नियंत्रण पर कामयाबी नहीं मिल पाती।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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प्रदूषण नियंत्रण स्वच्छता अभियान का ही अंग है लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाहियों के चलते खाना पूर्ति हो रही है। ठोस नीतिगत कार्यवाही न करने की वजह से प्रदूषण नियंत्रण पर कामयाबी नहीं मिल पाती।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश
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सरकार को करने होंगे प्रभावी उपाय
जनता में प्रदूषण के प्रति जागरूकता का अभाव है। सरकारी प्रयास की नाकाफी हैं। सरकार ने प्लास्टिक बैग पर रोक लगाई लेकिन उसका सही विकल्प नहीं मिला। नतीजन पॉलीथिन की थैलियां अभी भी प्रचलन में हैं। वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण भी बढ रहा है। जनता के पास विकल्प कम हैं। बढती आबादी पर सरकार का नियत्रंण नहीं है। कचरे के ढेर नदी नालों में फेंक दिए जाते हैं। कचरे के निस्तारण के लिए सरकार को प्रभावी उपाय करने होंगे।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
जनता में प्रदूषण के प्रति जागरूकता का अभाव है। सरकारी प्रयास की नाकाफी हैं। सरकार ने प्लास्टिक बैग पर रोक लगाई लेकिन उसका सही विकल्प नहीं मिला। नतीजन पॉलीथिन की थैलियां अभी भी प्रचलन में हैं। वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण भी बढ रहा है। जनता के पास विकल्प कम हैं। बढती आबादी पर सरकार का नियत्रंण नहीं है। कचरे के ढेर नदी नालों में फेंक दिए जाते हैं। कचरे के निस्तारण के लिए सरकार को प्रभावी उपाय करने होंगे।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
………………………………………….. अंधाधुंध विकास से प्रदूषण पर नहीं ध्यान
विकास की अंधी दौड़ हमें विनाश की ओर ले जाएगी। पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है। इसके लिए सार्वजनिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो। प्रत्येक व्यक्ति खूब पेड़ -पौधे लगाए पर्यावरण संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है।
— साजिद अली चंदन नगर इंदौर।
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विकास की अंधी दौड़ हमें विनाश की ओर ले जाएगी। पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी है। इसके लिए सार्वजनिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो। प्रत्येक व्यक्ति खूब पेड़ -पौधे लगाए पर्यावरण संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है।
— साजिद अली चंदन नगर इंदौर।
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बढ़ती आवश्यकताओं की पूरा करने में बढ़ी लापरवाही
बढ़ती जनसंख्या ने आवश्यकताओं को बढ़ा दिया है। इसके लिए उत्पादन अधिक चाहिए। मांग—पूर्ति की आपाधापी में प्रदूषण को भुला दिया है। इसके लिए आवश्यकताओं पर नियंत्रण करना होगा। कृषि ,उद्योग या आटोमोबाइल वाहनों की प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका है। सभी क्षेत्रों में संयम और कम उत्पादन पर संतोष करना होगा तभी विकराल रूप लेते प्रदुषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है ?
हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी इन्दौर
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बढ़ती जनसंख्या ने आवश्यकताओं को बढ़ा दिया है। इसके लिए उत्पादन अधिक चाहिए। मांग—पूर्ति की आपाधापी में प्रदूषण को भुला दिया है। इसके लिए आवश्यकताओं पर नियंत्रण करना होगा। कृषि ,उद्योग या आटोमोबाइल वाहनों की प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका है। सभी क्षेत्रों में संयम और कम उत्पादन पर संतोष करना होगा तभी विकराल रूप लेते प्रदुषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है ?
हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी इन्दौर
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पर्यावरण कानूनों पर अमल नहीं प्रदूषण नियंत्रण के लिए कानूनों पर सही तरह अमल नहीं हो रहा है। बड़े स्तर पर प्रदूषण का कारण बढ़ते उद्योग धंधे हैं लेकिन इन पर सख्त कार्रवाही नहीं की जाती। आधुनिक जीवन शैली से वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है। अंधाधुंध वनों का कटाव जारी है। आवश्यकताओं के लिए पेडों की भी आसानी से बलि दे दी जाती है।
— निर्मला वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर
— निर्मला वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर