एक दिन पहले डाकुओं के एक गिरोह ने करौली जिले के गांवों में धावा बोल कर लूट मचाई थी, आज उन्होंने धौलपुर में आतंक का तांडव किया। सरेआम फायरिंग करने के साथ गांव की महिलाओं को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया। गांव वालों के साथ बंदूक के बट से मार-पीट की। इधर, जयपुर में बजरी माफिया ने राजधानी की पुलिस को चिढ़ाते हुए दिन-दहाड़े खौफनाक घटना को अंजाम दे दिया। कॉलोनी में से गुजरने वाले अवैध बजरी ट्रकों का रास्ता बदलने का प्रयास कर रहे, कॉलोनी की समिति के पदाधिकारी की जान ले ली।
होना तो यह चाहिए था कि चुनाव की व्यस्तता से फुर्सत मिलने के बाद पुलिस प्रदेश में अमन-चैन कायम करने में तत्परता से जुट जाती, पर हो उल्टा रहा है। अपराधियों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। जयपुर शहर के कई बाहरी रास्ते अवैध बजरी को इधर से उधर ले जाने के काम आ रहे हैं। पुलिस ने आंखें मूंद ली हैं। खान विभाग तो वैसे ही भ्रष्टाचार का गढ़ है, उसकी बला से पूरे प्रदेश की खनिज सम्पदा लूट लो, तो भी उसके अफसरों की आंखों पर चढ़ी लालच की पट्टी नहीं उतरती। चम्बल और बनास के तटों को खोद कर हमारे नेता, मंत्री, पुलिस अफसर और माफिया अपने बच्चों को पाल रहे हैं। किसी को भी यह डर नहीं की इस पाप का बोझा उनकी कितनी पीढिय़ां ढोएंगी।
किसी भी प्रदेश के नागरिक सुख-चैन से जिंदगी बसर कर सकें, इसके लिए आवश्यक है, उन्हें अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का विश्वास हो, लेकिन स्थिति यह बनने लगी है कि न शहरों में पुलिस का खौफ दिख रहा है और न गांवों में। घटनाएं होने के बाद भी पुलिस सबसे पहले यह प्रयास करती है कि मामला ही दर्ज न हो। इससे अपराधियों के हौसले और बढ़ जाते हैं। एक चेन-लुटेरे को पकड़ कर राजस्थान पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन जब तक बड़े अपराधों पर अंकुश नहीं लगता जनता को चैन नहीं मिलेगा। अब समय आ गया है कि सरकार और पुलिस कुछ करके दिखाए। आराम और स्वागत-सत्कार बहुत हो चुका।