व्यापमं घोटाले को मध्य प्रदेश की जनता या वे लोग कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने नौकरियां गंवाई, जिनके परिजन असमय मौत के मुँह में धकेल दिये गये.. प्रारम्भ में, उसमें एटीएस ने काबिले तारीफ काम किया पर राजनीति ने बाद में अपना रंग दिखाया और सब कुछ दुनिया दिखाने तक रह गया..गिने – चुने उदाहरणों को छोड़ दें तो ऐसे ज्यादातर विशेष जांच दल मामले को दाखिल दफ़्तर करने के ही जरिये बने है.. रिपोर्टें आईं भी तो ऐसी जिनपर सच जानने वाली जनता आजतक भरोसा नहीं कर पाई.. फिर चाहे वह भिंड में पत्रकार की हत्या की जांच हो या कटनी के हवाला की..
वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश को देश – दुनिया तक पहुंचा देने वाले हाई प्रोफाइल शहला मसूद मामले का हश्र तो सबके सामने है.. पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर और इवेंट मैनेजर शहला की दिनदहाड़े उसके घर के सामने हुईं हत्या के बाद, भोपाल से दिल्ली तक, राजनीति से जुड़े किन – किन नेताओं के काले – कारनामें चर्चाओं में आये.. किन- किन की कुर्सियां गयी और फिर किसको सजा मिली, सबके सामने है..
हनी ट्रैप, अपनी तरह का जैसा मामला है उसमें उम्मीद की जानी चाहिए कि, सरकार हो या राजनेता इसे अपनी राजनीति का औजार नहीं बनाएंगे.. विशेष जांच दल को ईमानदारी से अपना काम करने देंगे.. जो दोषी पाए जायेंगे, फिर चाहे वे किसी भी पक्ष के हों, उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाने में मददगार बनेंगे.. आज देश- प्रदेश में पुलिस की, राजनेताओं के हित साधने की जो छबि बनती जा रही है, इस टीम का काम उसे धोने का जरिया बनेगा यह उम्मीद की जानी चाहिए.. और यह सब एक तय समय सीमा में होना चाहिए ताकि न्याय लगे और अपराधियों में भय बैठे…
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