आइसीसी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को साफ कहा कि वह धोनी को निर्देशित करे कि वह इस बैज का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इससे धोनी समर्थकों में नाराजगी का माहौल है। दुनिया भर में इस पर बहस शुरू हो गई है। कोई धोनी के पक्ष में खड़ा है तो कोई आइसीसी के पक्ष में। विवादों के बीच बीसीसीआइ ने खुद आइसीसी से अपील की है कि वह धोनी को इस बैज के इस्तेमाल की इजाजत दे। इस बीच पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने इस विवाद पर ट्वीट कर आग में घी डालने का काम कर दिया।
उन्होंने ट्वीट में लिखा कि धोनी इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने गए हैं न कि महाभारत के लिए। भारतीय मीडिया मूर्खतापूर्ण बहस कर रहा है। अगर भारतीय मीडिया के किसी वर्ग को युद्ध से इतना ही प्रेम है तो उन्हें सीरिया, अफगानिस्तान या रवांडा भेज दिया जाना चाहिए। इस ट्वीट के बाद बलिदान बैज का मुद्दा खेल के मैदान से बाहर निकलकर राजनीतिक मैदान पर आ गया। नेता और क्रिकेट की राजनीति करने वाले राजीव शुक्ला ने भी फवाद के बयान पर आपत्ति जाहिर की और कहा कि बीसीसीआइ इस मसले को आगे लेकर जाएगी। धोनी को बैज लगाने की मंजूरी मिलनी चाहिए। इसमें कुछ भी व्यावसायिक नहीं है और न ही नियम टूट रहे हैं।
हालांकि आइसीसी नियमों के हिसाब से तय ड्रैस के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। ड्रेस पर तीन से ज्यादा लोगो नहीं लगाए जा सकते हैं। न ही खिलाड़ी आर्म बैंड या ड्रेस के जरिए कोई राजनीतिक, धार्मिक और नस्लीय संदेश दे सकते हैं। कीपिंग ग्लव्स पर भी निर्माता के अतिरिक्त किसी का भी लोगो लगाने की मंजूरी आइसीसी नियमों में नहीं है। हालांकि आइसीसी की पूर्व मंजूरी के बाद इसमें बदलाव संभव है। धोनी ने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए बलिदान बैज का उपयोग अपने कीपिंग ग्लव्स पर किया है।
यह बैज पैरामिलिट्री फोर्स के जवान इस्तेमाल कर सकते हैं। धोनी खुद प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और उन्हें इसे इस्तेमाल करने की इजाजत है। आइसीसी की आपत्ति के बाद यह विवाद शुरू हुआ है। समर्थकों की अपनी दलील है और उनका मानना है कि कोई खिलाड़ी देश के प्रति सम्मान दिखाता है तो उस पर आइसीसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। महत्वपूर्ण यह भी है कि यह पहला मौका नहीं है कि जब इस तरह से संदेश देने की कोशिश भारतीय टीम ने की हो।
दूसरी टीमें भी इस तरह के संदेश समय-समय पर देती रहती हैं। पिछले दिनों रांची में ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मुकाबले में पूरी भारतीय टीम ने आर्मी कैप पहनकर सीआरपीएफ के शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी। धोनी कई बार यह बोल चुके हैं कि अगर क्रिकेटर नहीं होते तो सेना का हिस्सा जरूर होते। ऐसे में उनकी भावनाओं का सम्मान आइसीसी को करना चाहिए।