scriptदायरा बढ़ाना होगा | Food Packet: Increase will scope of the campaign | Patrika News

दायरा बढ़ाना होगा

locationजयपुरPublished: Jul 16, 2019 09:02:41 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

हर क्षेत्र में ऐसे संगठित गिरोह काम कर रहे हैं, जिन्हें ऊपरी संरक्षण भी मिला हो सकता है। जरूरत इस गठजोड़ की कमर तोडऩे की है।

Indian Food Safety

Indian Food Safety

खाने-पीने के सामान के पैकेट में लगने वाली ‘स्टेपल पिन’ के खिलाफ देशभर में अभियान चलाने का फैसला स्वागत योग्य है। भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इस तरफ ध्यान दिया, ये अच्छी बात है। ‘स्टेपल पिन’ का इस्तेमाल रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात भी सामने आई है। देर से ही सही, लेकिन दुरुस्त कदम उठाए जाने की बड़ी आवश्यकता थी। लेकिन प्राधिकरण को इससे आगे सोचने की जरूरत है। देशभर में खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली सामान बेचे जाने की हजारों शिकायतें सामने आती रहती हैं, लेकिन उपभोक्ता को पता नहीं होता कि शिकायत किससे करें? रेलवे सुरक्षा बल ने तीन दिन पहले देशव्यापी अभियान चलाकर ६९ हजार से अधिक मिलावटी पानी की बोतलें जब्त कीं। इस दौरान १३७१ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें चार पेंट्री कार मैनेजर शामिल हैं। इतने लोगों की गिरफ्तारी दर्शाती है कि रेलवे में कितने संगठित तरीके से यात्रियों को लूटा और उनकी सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।

मिलावट की महामारी ने आज देश को बुरी तरह से जकड़ रखा है । बीमारियों की आधी जड़ मिलावट है। प्राधिकरण को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। बात सिर्फ रेलवे की या पानी की बोतलों की ही नहीं है। रेलवे, बस स्टैण्ड अथवा सार्वजनिक स्थलों पर खाने-पीने के सामान के घटिया होने की शिकायतें आम बात है। रेलवे या बस यात्रियों के पास इतना समय नहीं होता कि यात्रा छोडक़र शिकायतें करें। देशभर में लाखों यात्री प्रतिदिन इसका शिकार होते हैं, लेकिन उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं। रेलवे की तरफ से उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन में कीड़े-मकोड़े मिलने की खबरें आए दिन आती हैं। घटिया खाना खाकर यात्रियों के बीमार पडऩे की शिकायतें भी आम हैं।

ऐसे में खाद्य प्राधिकरण समेत दूसरी संस्थाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। नागरिकों की सुरक्षा के लिए सैकड़ों संस्थाएं हैं, लेकिन सुरक्षा ढंग से मिल नहीं पाती। बात संस्थाओं तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। खाद्य मंत्रालय के मंत्री और अधिकारियों को भी इस मामले में सजग रहना चाहिए। रेलवे सुरक्षा बल ने पानी के खेल को पकड़ा, लेकिन एक अभियान से समस्या का हल निकलने वाला नहीं है। हर क्षेत्र में ऐसे संगठित गिरोह काम कर रहे हैं, जिन्हें ऊपरी संरक्षण भी मिला हो सकता है। जरूरत इस गठजोड़ की कमर तोडऩे की है। जरूरत उपभोक्ताओं के विश्वास को जीतने की भी है। पूरा पैसा देकर भी मिलावटी सामान मिले तो इसे अन्याय ही माना जाएगा। ऐसे मिलावटखोरों के खिलाफ कानून और सख्त बनाने की बात दशकों से चल रही है, लेकिन जमीनी हकीकत में होता हुआ कुछ नजर नहीं आ रहा है। कानून सख्त भी बनें और उन पर अमल भी उतनी ही सख्ती से हो। तभी सार्थक नतीजों की उम्मीद की जा सकती है।

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