scriptसुरंग में किरण | CBI Raid: Ray in the tunnel | Patrika News

सुरंग में किरण

locationजयपुरPublished: Jul 10, 2019 03:44:04 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

रिश्वत लेने और देने की मानसिकता तब तक दूर नहीं होगी, जब तक अधिकारी-कर्मचारी, नेताओं और दलालों के मजबूत गठजोड़ की कमर नहीं तोड़ी जाती…

cbi raid 2019

cbi raid 2019

भ्रष्टचार पर फिर निशाना साधते हुए केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को देशभर में 110 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इनमें दिल्ली के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के कई शहर शामिल हैं। इससे पहले सीबीआइ ने 2 जुलाई को 18 शहरों के 50 ठिकानों पर छापे मारे थे। तब सीबीआइ सूत्रों ने संकेत दिए थे कि एजेंसी ने बैंकों से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ देशभर में विशेष अभियान शुरू किया है और छापेमारी की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

बर्खास्त आयकर आयुक्त संजय कुमार श्रीवास्तव के नोएडा के कई ठिकानों को सीबीआइ 6 जुलाई को खंगाल चुकी है। कथित तौर पर अनुचित लाभ हासिल करने के लिए पिछली तारीख में अपील आदेश पारित करने को लेकर सरकार ने संजय कुमार श्रीवास्तव को हाल ही बर्खास्त कर दिया था। मोदी सरकार की दूसरी पारी की शुरुआत के बाद भ्रष्ट अफसरों और संस्थानों पर जिस रफ्तार से छापेमारी हो रही है, उससे अंधेरी सुरंग में कुछ किरणें जरूर नजर आ रही हैं, लेकिन जिस देश में राजनीति को भ्रष्टाचार की गंगोत्री माना जाता हो, वहां छापेमारी में कुछ छोटी-बड़ी मछलियों को जाल में डाल कर बेहतर परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती।

फिलहाल तल्ख हकीकत यही है कि भ्रष्टाचार देश के लिए रक्तबीज बना हुआ है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के पिछले साल के सर्वे के मुताबिक 2017 के मुकाबले देश में 2018 में रिश्वत देकर काम कराने वाले 11 फीसदी बढ़ गए थे। सर्वे में सबसे ज्यादा 30 फीसदी लोगों ने जमीन की रजिस्ट्री जैसे कामों के लिए सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत देना कबूल किया था तो 25 फीसदी ने पुलिस महकमे को रिश्वत देने की बात कही थी। दरअसल, यह धारणा आम जनमानस में गहरी पैठ गई है कि रिश्वत देकर हर दुर्गम रास्ते को सुगम किया जा सकता है।

संस्थानों में नौकरियों के लिए, स्कूलों में दाखिले के लिए, रेलगाडिय़ों में रिजर्वेशन के लिए, अस्पतालों में इलाज के लिए, रेड लाइट पर चालान से बचने के लिए, सरकारी ठेके लेने के लिए, राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट बनवाने जैसे कामों के लिए धड़ल्ले से रिश्वत दी और ली जा रही है। रिश्वत लेने और देने की इस मानसिकता ने पूरे देश के आर्थिक, सामाजिक और नैतिक ढांचे को खोखला कर रखा है। यह खोखलापन तब तक दूर नहीं होगा, जब तक अधिकारी-कर्मचारी, नेताओं और दलालों के उस मजबूत गठजोड़ की कमर नहीं तोड़ी जाती, जिससे भ्रष्टाचार की बेल को खाद और पानी मिल रहा है। राजनीति में जब तक धनबल और भुजबल की पूजा होती रहेगी, तब तक भ्रष्टाचार मुक्त भारत बहुत दूर की कौड़ी है।

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