श्री नगर से 25.8.2018 की सुबह पौने आठ बजे निकले करीब साढ़े दस बजे उस चैक पोस्ट पर थे जहाँ से अमरनाथ यात्री इस वर्ष की यात्रा पूरी कर लौट रहे थे । इससे पूर्व रास्ते में सेब के बाग़ान पैम्मकेसर क्यारियाँ देखते हुये आगे बढ़ रहे थे कि एक जगह पैम्पेर में नूर मोहम्मद केसर विक्रेता के यहाँ वाहन चालक वाहिद जी ने गाड़ी रोक केसर की पहचान करने के तरीके बताये और इस दुकान पर कश्मीरी कहवे का स्वाद चखाया। वैली देखते हुये हम पहल गाम पहुँचे । यहॉ एक स्थान पर पर्यटकों के लिये इको चारपहिया वाहन या पौनी और घोड़े उपलब्ध थे। जो पहलगाम की वादियों मेंउपर ले जाकर कर पहल गाम की वादियों से रुबरू करवाते हैं । जो कुछ चयनित स्थानों से होते हुये पर्यटकों को वैली का पर्यटन कराने को उपलब्ध थे ।हम तीन जन थे तीनों को एक -एक छोटे कद का घोड़ा (पौनी ) उपलब्ध हुई ।
जिस पर हमनें लगभग तीन घण्टे पहलगाम वैली में घूमते हुये मिनी स्विट्ज़रलैंड लैण्ड, कश्मीर वैली और। इसके साथ वैली में ही कुछ चार पॉच स्पाट पर रुक कर प्राकृतिक सौन्दर्य का लुत्फ़ लिया । करीब तीन बजे पहलगाम में उस स्थान आये जहाँ पौनी वालों का हिसाब कर लंच के लिये एक होटल में खाना खाया। जिसका नाम नाथू की रसोई था । यह एक मात्र जगह दिखी जिसका नाम अलग था । पर इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता था । हमारा वाहन चालक जो हर घटना का प्रत्यक्ष दर्शी था उसने भी दबी ज़ुबान से इतना ही कहा 19 जनवरी 1990 कश्मीर के लिये बदनुमा दिन था। हम उस दिन को नहीं भूल सकते । किन्तु हम सब जानते है कि 1990 की इस घटना ने कश्मीरी मुस्लिम और हिन्दू की खाई को बड़ा कर दिया । वो एक बड़ी आंतकवादी घटना थी जब लाखों की संख्या में कश्मीरी पण्डित कश्मीर छोड़ने को मजबूर हो गये या धर्म परिवर्तन के लिये मुश्किल में पड़ गये ।कश्मीरी पण्डितोने क़त्लेआम और भय से कश्मीर छोड़ दिया। किन्तु उसके बाद कश्मीर कभी आंतक के भय से मुक्त नहीं हो पाया । 1 सितम्बर 2018 की घटना जिसमें दो मोस्ट वाण्टेड आतंक वादियों को सुरक्षा बलों द्वारा अनंतनाग में मार गिराया गया । दोनों गुल मर्ग के निवासी हैं । कल की इस घटना में स्थानीय निवासी भी चपेट में आये हैं। अब कश्मीर का आम जन चाहे किसी भी क़ौम का है स्वयं को महफ़ूज़ नही पा रहा है।
कल की इस घटना की जानकारी मेरी बेटी ने फ़ोन पर देते हुये बताया – मम्मी पिछले हफ़्ते अंनत नाग में जिस जगह हम सेब ख़रीद रहे थे इस समय वहॉ दो अंताक वादी मारे गये।यहाँ आने से पहले अनंतनाग और बरामुल्ला के नाम अख़बारों में पढ़े थे । किन्तु देखने क बाद अब जगह स्थानीय चीज़ों से जोड़ कर देंख समझ पा रहे थे ।घाटी में फिर से कर्फ़्यू जन जीवन ठप्प पर्यटक भयक्रान्त और होटल के कमरों में बन्द होगया । इस घटना से मैं अपने पॉच दिन के प्रवास को कोरिलेट करती हूँ तो समझ पा रही हूँ कि यहॉ होटलों में ठहरने के साथ सुबह का नाश्ता और रात का खाना इन्कुलड था । हमें हमारे वाहन चालक सुबह जल्दी चलने को कहते थे पर सायं अन्धेरा होने पूर्व हमें होटल पहुँचा देते थे ।शाम सात बजे बाद पर्यटक भी बाहर नहीं निकलते । यहाँ शराब बन्दी पूर्णत: लागू है । पान , सिगरेट , गुटके की दुकानें नहीं है । सिनेमा हाल नही हैं। एक सितम्बर 2018 की घटना फिर सोचने को मजबूर किया है कि कश्मीर की घाटी अतॉकवादी घटना ओं से मुक्त नहीं है । यह घाटी में नीरवता एहसास कराती हैं।उपर से हँसता मुस्कुराता आदमी अन्दर से डरा हुआ है। हमें अब सोचना पड़ेगा कि जो दूसरों के बुरे के लिये बो रहे है उसे काटना बोने वाले को भी पड़ेगा ।अच्छा बोयेंगे तो अच्छे की और बुरा बोयेगे तो बुरे की गर्द से बोनेवाला नहीं बचेगा ।
रेणु जुनेजा
साभार – फेसबुक वाल से