scriptभारत भाग्य विधाता | Amazing victory of BJP and expectation of indian republic | Patrika News

भारत भाग्य विधाता

locationजयपुरPublished: May 24, 2019 11:27:24 am

Submitted by:

Gulab Kothari

जहां भाजपा और संघ के कार्यकर्ता जमीन से जुड़े दिखाई पड़े, वहीं कांग्रेस एक कागजी पार्टी बनकर रह गई।

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माननीय नरेन्द्र मोदी जी,

बधाइयां! प्रचण्ड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सरकार का नेतृत्व करने का पहले से ज्यादा जनादेश प्राप्त करने के लिए। मेरे जीवन काल में ऐसा तूफान नहीं देखा कि मेरे राज्य की सभी 25 सीटें एक ही दल को चली गईं, पड़ोसी राज्य की भी चली गईं और फिर पांच साल बाद के चुनावों में भी सारी सीटें एक ही (उसी) दल के खाते में चली गईं। राजस्थान की 25, गुजरात की 26 तथा मध्यप्रदेश की 27 सीटें 2014 के चुनावों में भी भाजपा के खाते में गई थीं और आज 2019 के चुनाव परिणामों में भी भाजपा के खाते में गईं। 2014 में इन तीनों प्रदेशों में भाजपा सरकारें थीं। इस बार राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकारें हैं। देश की भाग्य विधाता जनता की ऐसी सूझबूझ नहीं देखी।

ऐसा लगा कि जनता यह संदेश दे रही है कि देश में आमूल-चूल परिवर्तन करने हैं तो बड़े कदम उठाने होंगे और इन बड़े कदमों के लिए शासन की निरन्तरता और स्थायित्व आवश्यक है। 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आपने कहा था, ‘यह रिश्ता 5 साल का नहीं है और मुझे 10 साल और चाहिए’। देश की जनता ने शायद उसी समय यह मानस बना लिया था कि नई सरकार को बड़े बदलाव लाने के लिए ज्यादा समय देना चाहिए और 2019 के चुनाव में जनता ने आपकी सरकार का कार्यकाल पांच साल और बढ़ा दिया।

मुझे लगता है लोगों को प्रेरित कर साथ लेकर चलने और सरकार के कार्यक्रमों को जन आंदोलनों में बदल देने की आपकी क्षमता और स्वार्थ को पीछे छोड़ राष्ट्रहित में जुटे रहने की अदम्य इच्छा ही आपकी शक्ति है। ‘स्वच्छता’ कार्यक्रम को आंदोलन का रूप देने की आपकी खूबी देश देख चुका है। पिछले दिनों आपने ‘पत्रिका’ को एक साक्षात्कार में कहा था- ‘मेरे मन में एक सपना है कि जिस तरह गांधी जी ने आजादी का आंदोलन चलाया तो खादी को, हथकरघे को प्रमोट किया। क्या उसी तरह आजादी के 75 साल होने पर हम ऐसे नागरिक आंदोलन को प्रेरित कर सकते हैं जिसमें लोग कहें कि वे अपने जीवन में यह नहीं करेंगे’ या ‘यह अवश्य करेंगे’। गांधीजी की 150 वीं जन्म जयंती से आजादी के 75 साल पूरे होने तक, 2019 से 2022 तक यह अभियान चलाया जाए, जिसमें करोड़ों लोगों को जोड़ा जाए। इस आंदोलन में लोग स्वयं तय करें कि वे क्या करें या नहीं करेंगे। जैसे ‘मैं दहेज नहीं लूंगा, बाल विवाह नहीं करेंगे, पानी व्यर्थ नहीं करूंगा’। आपको याद होगा कि इस साक्षात्कार में आपने कुछ सपनों (देखें पत्रिकायन) की बात की थी जिन्हें पूरा करने के लिए समय लगेगा।

यह चुनाव भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नियोजन एवं प्रबन्ध कौशल के लिए भी जाना जाएगा। दलदल और काल्पनिक तूफान से निकालकर कश्ती को पार पहुंचाना साधारण बात नहीं थी। जो बात स्पष्ट तौर पर सकारात्मक रूप से सामने आई वह यह है कि जहां भाजपा और संघ के कार्यकर्ता जमीन से जुड़े दिखाई पड़े, वहीं कांग्रेस एक कागजी पार्टी बनकर रह गई। कार्यकर्ता भी अवसरवादी और नेता भी सफेद पोश। किसी को जमीनी हकीकत नजर नहीं आ रही थी। अहंकार ने भी एक पट्टी बांध दी थी आंखों पर। आप कुछ दिखाना भी चाहो तो किसको?

मेरे एक संपादकीय में मैंने स्पष्ट लिखा था कि राहुल गांधी को आपके (नरेन्द्र मोदी के) सामने रखना कांगे्रस के लिए आत्मघाती कदम है। दोनों में से एक को चुनना है, तब क्या राहुल के वोट भी मोदी जी को नहीं चले जाएंगे? दूसरा कौन राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार कर रहा था, राष्ट्रीय स्तर पर? पर सुनना किसको था? प्रश्न कांग्रेस की हार-जीत का नहीं था, लोकतंत्र में विपक्ष की उपस्थिति का था। यह इस बात का प्रमाण भी है कि कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा ढह चुका है। यह लोकतंत्र की दृष्टि से देश का बड़ा नुकसान हुआ है। आज कुछ लोग सत्ता भी चलाते हैं, वहीं संगठन को भी संभालते रहते हैं। जनता की पहुंच ऊपर रही ही नहीं। जनता देश में घुसपैठ की आड़ में हो रहे अपराधों से भी त्रस्त थी। सुरसा मुख के समान बढ़ती इस समस्या का हल अन्य किसी राजनीतिक दल ने उसके सामने नहीं रखा। आप में शायद उसे आस की लौ नजर आई है। इस बार तो पहली बार वोट देने वाली युवाशक्ति ने भी अपने निर्णय भावावेश में नहीं, बल्कि देश के दीर्घकालीन हित को ध्यान में रख कर लिए हैं।

मोदी जी! आपका देश लोहा मान रहा है। 59 दिनों में 142 चुनाव सभाएं और 1,33,329 किलोमीटर की यात्राएं भी असाधारण बात हो गई। आपने अन्तिम दौर में केदारनाथ-बद्रीनाथ जाकर यह भी बता दिया कि आपकी शक्ति का स्रोत क्या है। यहां मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि आपकी इस जीत में कहीं न कहीं भारतीय संस्कृति का भी बड़ा योगदान है। यह शक्ति कांग्रेस अथवा अन्य दलों के पास उतनी नहीं है। अपने अगले कार्यकाल में आप यदि मैकाले की शिक्षा पद्धति को विदा कर सकें तो भाजपा की जड़ें गहरी होती ही चली जाएंगी। जिस तरह के कानून पहले हमारी सांस्कृतिक मर्यादा के विरुद्ध पास किए गए, उनको रद्द करके भी आप अधिक दिलों को जीत सकेंगे।

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