राम वंजी सुतार: हम कारपेंटर फैमली से हैं, एक कारपेंटर में बहुत सारी खूबियां होती हैं। उसमें इंजीनियरिंग, आर्किटेक्ट, एटीआर वर्क और हार्ड वर्क करने जज्बा होता है। ये सारी चीजें हमें भी विरासत में मिलीं। बचपन में हम गांव में पिता जी के साथ काम करते थे और स्कूल में आर्ट वर्क भी करते थे और अक्सर दीवारों पर चित्र बनाते थे। उस समय गांव वाले जो बर्तन खरीदते थे, उस पर अपना नाम लिखवाते थे। ये काम भी मैं कर देता था।
राम वंजी सुतार: हमारे अध्यापक ने पहली बार हमारी प्रतिभा को पहचाना और मूर्ति बनाने के लिए कहा तब मैंने गणेश जी की मिट्टी से मूर्ति बनाई। अभी भी मुझे याद नहीं उस मूर्ति को मैंने कैसे बनाया। उस समय मैं दूसरी कक्षा में पढ़ता था। उस समय मैं करीब 7 साल का रहा हूंगा। बचपन से ही मेरे अंदर ये गुण था। गांव के घरों में बिच्छू बहुत पनपते हैं, एक बार एक बिच्छू को मैंने मार दिया। फिर उसको देखकर उसकी आकृति साबुन पर बनाई इसे मेरी पहली मूर्ति कह सकते हैं।
राम वंजी सुतार: अब तक मैं हजारों मूर्तियां बना चुका हूं। मेरा मानना है कि किसी भी मूर्ति को बनाना आसान नहीं है।
राम वंजी सुतार: मैंने सबसे ज्यादा मूर्तियां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बनाई हैं। आज पूरे विश्व के 350 शहरों में मेरी बनाई हुई गांधी जी की मूर्तियां लगी हैं।
राम वंजी सुतार: यह मूर्ति 522 फीट की है। इसके निर्माण में 25 हजार टन लोहे और 90 हजार टन सीमेंट का उपयोग किया गया है। दुनिया में बनी सारी मूर्तियां इसके सामने छोटी हो गई हैं।
राम वंजी सुतार: यह मूर्ति पिछले 4 से बन रही है। पहले छोटी मूर्ति पार्लियामेंट में लगी। उसके बाद अहमदाबाद में सरदार पटेल की मूर्ति लगी। इन मूर्तियों को देखकर इस बड़ी मूर्ति बनने का प्रस्ताव आया। इसके लिए एक इंटरनेशनल संस्थान को सबसे अच्छी मूर्ति के बारे में अनुसंधान करने को कहा। सभी मूर्तियों को देखने के बाद उसने कहा कि राम सुतार की मूर्ति बेस्ट है। इसके बाद ही मुझे मूर्ति बनाने को कहा गया।
राम वंजी सुतार: आज तक जो काम किया उसी को देखते हुए ये अवार्ड मिला है और मैं खुश हूं।