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बच्चों की ख्वाहिश पूरी करने में लगा दी पूरी जिंदगी, अब दिवाली पर भी वृद्धाश्रम में हैं कैद

locationनोएडाPublished: Oct 19, 2017 07:11:00 pm

सालों से वृद्धाश्रम में रह रहीं बुजुर्ग महिलाओं के दिलों में आज भी बसते हैं उनके बच्चे

No one came in old age home to know condition of their parents

नोएडा. किसी ने कहां है कि चाहे बच्चे मां को कितना भी दुख दे, लेकिन वो उसको हमेशा प्यार ही करती है। इतना ही नहीं उसकी बुरार्इ तक नहीं सुन सकती है। यह बात सालों से नोएडा के वृद्धाश्रम में रह रही बुजुर्ग महिलाओं ने एक बार फिर से साबित साबित कर दिया। दिवाली के त्यौहार के मौके पर गुरुवार को सेक्टर-५५ स्थित वृद्धाश्रम में पत्रिका की टिम पहुंची तो यहां रह रहीं बुजुर्ग माताओं ने जो कुछ कहा उससे मां की ममता को आसानी से समझी जा सकती है। यहां रह रहीं माताएं किसी बड़े कारोबारी या फिर एमएनसी के कर्मचारियों के परिजन हैं। सेक्टर-५५ स्थित वृद्धाश्रम में कोर्इ छोटे या गरीब परिवार की माताएं नहीं हैं, बल्कि यहां बहुत पढ़े-लिखे, बड़े कारोबारी या फिर एमएनसी में कार्यरत लोगों के बुजुर्ग मां-बाप वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। उनके लिए वह लोग आश्रम की फीस तो पहुंचा देते हैं, लेकिन कभी कोर्इ मिलने नहीं आता। वहीं, अब बुजुर्गों ने भी उनका इंतजार करना छोड़ दिया है।

सालों तक हाल-चाल न पूछने पर भी मां ने नहीं कि बुरार्इ
पत्रिका संवाददाता ने जब यहां रह रहे बुजुर्गों से बात कि तो पता चला कि वह सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन उनका हाल चाल पूछना तो दूर उनके बच्चे फोन तक भी नहीं करते हैं। इसके बाद भी मां ने बच्चों के विषय में एक शब्द तो दूर उन्हें कुछ कहने पर भी रोक दिया। उन्होंने कहां कि कैसे भी हैं पर बच्चे तो हमारे हैं। उनकी जिंदगी है, अच्छे और खुश रहे।

त्यौहार मनाने के लिए नहीं आया फोन, पूछने पर आंखों में आया पानी
जब पत्रिका संवाददाता ने बुजुर्गों का दुख जानना चाहा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। आवाज भी थोड़ी दब गर्इ, लेकिन शब्दों में बच्चों के लिए वही ममता दिखार्इ दी। पूछताछ में पता चला कि वृद्धाश्रम में रहने वाले ज्यादातर बुजुर्ग महिलाओं के बच्चे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रहते हैं। वह बड़े कारोबारी और एयरलाइंस व एमएनसी में काम करते हैं। इसके बावजूद उनसे कोर्इ मिलना तो दूर फोन पर भी बात नहीं करता।

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