दरअसल, गौतमबुद्ध नगर जिले में 18 हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। जिनमें रेडिमेड गारमेंट की पांच हजार से अधिक फैक्ट्री हैं। इन फैक्ट्रियों में 12 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिलता है, लेकिन ये फ़ैक्टरियां फ़िलहाल पूरी क्षमता से नहीं चल रही हैं जिससे यहां सिर्फ चार से पांच लाख श्रमिकों को ही रोजगार मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे कारण है शॉपिंग मॉल और बाजारों के सही से न खुलना। क्योंकि गारमेन्ट्स फैक्ट्रियों को अभी ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं।
इन फैक्ट्रियों पर लटका ताला एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा का कहना है कि कोरोना काल के दौरान नोएडा में 300 से अधिक फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। इनमें रेडिमेड गारमेंट्स, पैकेजिंग, ऑटो पार्ट्स, एम्ब्रोइडरी, एलईडी लाइट की इंडस्ट्री सबसे अधिक हैं। अभी स्थिति ऐसी है कि कई फैक्ट्री बंद होने की कगार पर हैं। उद्यमियों को सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल रही है।
5 साल से चल रही कोरियन कंपनी भी हुई बंद नोएडा सेक्टर-2 में श्याम सुंदर टंडन की बिल्डिंग है। जिसमें एक कोरियन कंपनी चलती थी। लेकिन कोरोना काल में यह कंपनी भी अब यहां से चली गई है। उन्होंने बताया कि कोरिया के किम ने ये कंपनी लगाई थी, जो गत पांच वरिषों से चल रही थी। यहां पर मोबाइल की एसेसिरीज बनती थीं, लेकिन अब काम न होने की बात कहते हुए वह फैक्ट्री बंद कर चले गए। इनकी बिल्डिंग में टॉपर नाम से एक और सेंटर था, वह भी बंद हो गया है।
40 प्रतिशत और कंपनी बंद होने की कगार पर आईआईए नोएडा के अध्यक्ष कुलमणि गुप्ता का कहना है कि कोरोना काल इंडस्ट्री खतरे में हैं। अनेक इंडस्ट्री जहां बंद हो गई हैं, वहीं अभी 40 प्रतिशत और इंडस्ट्री बंदी के कगार पर पहुंच गई हैं। जो इंडस्ट्री फ़िलहाल चल रही हैं वह भी संकट में हैं। कारण, उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। बाजार में ऑर्डर नहीं आ रहे हैं। त्यौहारी सीजन भी शुरू होने वाला है, लेकिन उसकी कोई आहट अभी तक बाजार में नहीं दिख रही है।