दर्शकों को कैसी लगी- मोहल्ला अस्सी Sunny Deolअभिनीत एक व्यंग्यात्मक कॉमेडी फिल्म है, और चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित। यह फिल्म काशीनाथ सिंह Kashi Nath Singhके लोकप्रिय हिंदी उपन्यास काशी का अस्सी ( Kashi Ka Assi ) , तीर्थयात्रा शहर के व्यावसायीकरण पर एक व्यंग्य और विदेशी पर्यटकों को लुभाने वाले नकली गुरुवों पर आधारित है। नोएडा की सहर खान का कहना है कि उन्होंने फर्स्ट शो ही देखा था। उन्होंने बताया कि फिल्म काफी कॉमेडी लगी। बनारस कभी नहीं गई लेकिन फिल्म देख कर काफी मजा आया। हालाकि कई जगह गालियों का प्रयोग है लेकिन आज कल तो सभी जगह इस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं।
क्या है कहानी- फिल्म पूरी तरह से वाराणसी पर निर्धारित है। काशी के घाट, सड़कें, विदेशी पर्यटकों के इर्द-गिर्द है। फिल्म में अस्सी मोहल्ले के पप्पू की चाय दुकान, पंडितों का मुहल्ला और वहां के घाट इस द्वंद्व के चित्रण का मंच है। फिल्म की शुरूआत चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा से होती है। फिल्म की शुरूआत में ही देसी अंदाज में गालियों का प्रयोग किया गया है। फिल्म की कहानी 1988 से 1998 के बीच के बनारस में दर्शायी गई है। फिल्म में बनारस के मोहल्ला अस्सी की तस्वीरें हैं, जहां के ब्राह्मणों की बस्ती में पांडेय ( सनी देओल ) अपनी पत्नी (साक्षी तंवर) और बच्चों के साथ रहते हैं। पांडेय का काम घाट पर बैठकर अपने जजमानों की कुंडली बनाना और संस्कृत की शिक्षा देना है। फिल्म में टूरिस्ट गाइड कन्नी गुरु Ravi Kishan (रवि किशन) का भी खास रोल है। जो बनारस आए विदेशी सैलानियों को घुमाता है। इसी बीच राम मंदिर का मुद्दा, विदेशियों को किराए पर मकान देने जैसे कई मुद्दे सामने आते हैं। जिसमें कई मूल्य टूटते बनते है।
क्यों देखें फिल्म- फिल्म में जहां मंडल और कमंडल ने सामाजिक समीकरणों में हलचल पैदा की तो बाजारवाद ने मूल्यों और परम्पराओं को निशाना बनाया। फिल्म में रोचकता है, यह बांधे रखती है, लेकिन कई बार भाषणबाजी का पुट ज्यादा हो जाता है। निर्देशक चंद्रपकाश द्विवेदी काशी के माहौल को रचने और अपनी बात को कहने में सफल रहे हैं। फिल्म की कहानी दिलचस्प है और अगर ये 3-4 साल पहले रिलीज हो जाती तो शायद इसका प्रभाव ज्यादा पड़ता और फिल्म की कमाई भी जबरदस्त होती। फिल्म में जमीनी हकीकत देखने को मिलती है। जहां सनी देओल एक ब्राह्मण के किरदार में अच्छा अभिनय करते नजर आते हैं वहीं पत्नी के रुप में साक्षी तवर ने भी बेहतरीन अभिनय किया है। लेकिन मुकम्मल तौर पर यह फिल्म प्रभाव छोड़ती है और देखी जाने लायक है।