scriptDiwali 2018: दीपावली पर बन रहा दुर्लभ संयोग, ऐसे करेंगे पूजा तो जीवनभर मिलेगा सुख आयुष्मान | best time to do lakshmi puja on diwali 2018 | Patrika News
नोएडा

Diwali 2018: दीपावली पर बन रहा दुर्लभ संयोग, ऐसे करेंगे पूजा तो जीवनभर मिलेगा सुख आयुष्मान

Diwali Pooja Date time: पांच दिवसीय दीवाली त्यौहार का पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है जो छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा के बाद भाई दूज पर खत्म होता है।

नोएडाNov 07, 2018 / 07:08 am

virendra sharma

diwali

Diwali 2018: दीपावली पर बन रहा दुर्लभ संयोग, ऐसे करेंगे पूजा तो जीवनभर मिलेगा सुख आयुष्मान

Diwali Pooja Date time: पांच दिवसीय दीवाली त्यौहार का पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है जो छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा के बाद भाई दूज पर खत्म होता है। आज(7 november 2018) दीपावली हैै। दीपावली का उत्साह पूरे देश में देखने को मिल रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि दीपावाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी और कुबेर की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। दीपावली के दिन कार्तिक कृष्ण योग में अमावस्या के दिन प्रदोष काल में स्थिर लग्न में दिवाली का पूजान करने से धन की प्राप्ति होती है।
यह भी पढ़ेंः दीपावली पर राम की जगह क्यों होती है लक्ष्मी गणेश की पूजा, जानिए वजह

यह है जरुरी सामग्री

एक नारियल, कलवा, फूल, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र, लौंग, 5 सुपारी, कलश, पान के पत्ते, घी, चौकी, हवन कुड़, हवन सामग्री, खील, बताशे, मिठाई, बतासे, अगरबत्ती, कुमकुम, दीपक, रुई, आरती की थाली, कुशा, चंदन, पंचामृत (दूध, दही, घी,गंगाजल, शहद)
ऐसे करें पूजन

पूजन से पहले रंगोली बनाए। उसके बाद में गणेश लक्ष्मी को विराजमान करें। जिस चौकी पर पूजन कर रहे है, उसके चारों तरफ एक-एक दीपक जलाएं। दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश, कुबेर, सरस्वती व काली माता की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी के साथ में विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा के बगैर लक्ष्मी की पूजा अधूरी होती है। भगवान विष्णु के दायी और रखकर लक्ष्मी जी की पूजा करें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन दीपावली मनाई जाती है। दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश और सरस्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक व तांत्रिक विधि से साधना-उपासना का त्यौहार है। उद्योग-धंधे के साथ-साथ नए कार्य करने व पुराने व्यापार में खाता पूजन किया जाता है। आचार्य पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि अमावस्या 6 नवंबर दिन मंगलवार की रात 10 बजकर 06 मिनट से है। यह 7 नवंबर 2018 दिन बुधवार को रात में 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। संकल्प के बगैर पूजन अधूरा होता है। फल, पुष्प, पान, सुपारी, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री लेकर संकल्प करें।
उन्होंने बताया कि प्रदोष काल में दीपावली की पूजा का सर्वश्रेष्ठ योग बन रहा है। प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करने से शुभ फल दायक है। दिन-रात के संयोग काल को ही प्रदोष काल कह गया है। विष्णु स्वरुप माता लक्ष्मी स्वरुपा हैं, दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है। आज 7 नवंबर को सूर्योदय से स्वाति नक्षत्र पूरा दिन व्याप्त रहेगी। रात 07:24 तक आयुष्मान योग रहेगा। यह योग मार्केट के लिए उत्तम फलदायक है।
ज्योतिर्विद् पंडित प्रदीप कौशिक ने बताया कि दीपावली ‘प्रदोष व महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में निहित है। प्रदोष काल का महत्व गृहस्थों व्यापारियों के लिए बेहद अच्छा होता है। महानिशीथ काल की पूजा स्थिर लग्न सिंह में मध्यरात्रि 12:09 से 02:23 बजे के बीच की जा सकती है। वहीं निशा पूजा काली पूजा तांत्रिक पूजा के लिए स्थिर सिंह में किया जा सकता है। अति शुभ और कल्याणकारी मुहुर्त है।
diwali pooja and Shubh Muhurat

पूजा करने के दो मुहूर्त है। पहला दिन में स्थिर लग्न कुम्भ दिन में 01:06 से 02:34 बजे तक रहेगा। जबकि दूसरा प्रदोष काल व्यापिनी स्थिर लग्न वृष शाम को 05:42 बजे से लेकर 07:38 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से अति उत्तम फल मिलेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो