जागरूक करने वाली वैनें सड़क पर तो नहीं निकल सकीं और मुख्यालय में खड़े-खड़े पंचर हो गईं। मौत के शिकार 70 फीसद की उम्र 45 से कम, वाहन की गति के साथ बढ़ता जाता है खतरा, सड़क दुर्घटनाओं में हेड इंजरी बनती है बड़ी परेशानी का कारण।
लखनऊ. पूरे विश्व में 17 अक्टूबर को ‘विश्व ट्रॉमा दिवस’ मनाया जाता है। हमारे देश में हर छह मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हो जाता है। राजधानी की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों ने वर्ष 2015 में छह सौ से अधिक लोगों की जान ले ली। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2016 से सितंबर तक करीब छह सौ लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2014 में यहां दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 546 थी। यह आंकड़े ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों से बचने के लिए अगर वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर संजय बिहारी और प्रो.अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सड़क हादसों के कारण होने वाली मौत में 70 फीसद लोगों की आयु 45 साल से कम होती है। सड़क दुर्घटना से लोगों को निजी व व्यावसायिक चालकों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर, वैरियर, गति अवरोधक, सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने की बाध्यता, चिकित्सकीय व आकस्मिक सेवाओं में सुधार, ब्रेथ (शराब पीने) परीक्षण सहित दूसरे उपायों पर जोर देकर ही बचाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में हर साल दस लाख लोग हेड इंजरी के शिकार होते हैं, जिनमें से 75 से 80 फीसद लोगों में सड़क दुर्घटना के कारण होती है। हेड इंजरी के शिकार 50 फीसद लोग मर जाते हैं तो 25 फीसद लोग विकलांग हो जाते हैं। यह आंकड़े आपको डराने के लिए नहीं बल्कि सचेत करने के लिए बताए जा रहे हैं। इन आंकड़ों में आप की सावधानी कमी ला सकती है। पिछले दो दशकों में सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौत व बीमारियों में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
23 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के कारण मौतें
-विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल जितने लोग बीमार होते हैं उनमें से 2.6 प्रतिशत लोग सड़क दुर्घटना के कारण बीमार होते हैं।
-प्रतिवर्ष कुल जितनी मौत होती हैं उनमें से 23 प्रतिशत लोग सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं।
-16.9 प्रतिशत लोग आत्महत्या करते हैं। 14.2 प्रतिशत लोग युद्ध, आतंकवाद, झगड़ा के कारण असमय मौत का शिकार होते हैं।
शरीर में हो जाती है आक्सीजन की कमी
-दुर्घटना ग्रस्त 85 से 90 फीसद लोगों की मौत की कमी का कारण शरीर में आक्सीजन की कमी देखी गई है।
-160 फीसद में हेड इंजरी1सड़क दुर्घटना के शिकार 60 प्रतिशत लोगों को हेड इंजरी होती है।
-30 प्रतिशत लोगों की रीढ़ की हड्डी में आघात होता है। 10 प्रतिशत लोगों के हाथ-पैर में फ्रैक्चर होता है।
-हेड इंजरी व रीढ़ की हड्डी में चोट ही व्यक्ति को मौत की तरफ ले जाती है।
-श्वसन तंत्र बाधित होने के कारण दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का इलाज प्रभावित होता है।
तेज गति से वाहन चलाना बन रहा मौत का कारण
-विशेषज्ञों का कहना है कि रोड एक्सीडेंट के कुल 41 फीसद मामलों में वाहन की तेज गति मौत का कारण बनता है।
-रोड एक्सीडेंट के कारण मौत के शिकार होने वाले 30 फीसद मामलों में दो पहिया वाहन होते है और साइकिल तीन फीसद होती है।
-हेलमेट पहने से सिर पर गंभीर चोट की आशंका 72 फीसद और मौत की आशंका 39 फीसद तक कम हो जाती है।
जागरूक करने वाली वैन छह माह से खड़ीं हैं पंचर
-चौंकाने वाली बात यह है कि लोगों को जागरूक करने के लिए खरीदी गईं पब्लिसिटी वैन जिसकी कीमत 15 लाख रुपये से अधिक है।इसमें बड़ी एलईडी डिस्प्ले स्क्रीन व अन्य आडियो-वीडियो तरीके से सड़क सुरक्षा के स्लोगन सुनाए व दिखाई जाने हैं।
-वैन में छोटे छोटे स्लोगन व वाहन चलाते समय ऐसा करें और ऐसा न करें के संदेश युक्त कोटेशन प्रिंट किए गए हैं।
-यह वैनें सड़क पर तो नहीं निकल सकीं और मुख्यालय में खड़े-खड़े पंचर हो गईं।
-अधिकारी इन्हें सड़क पर उतार कर लोगों को जागरूक करने का अभियान भी नहीं शुरू कर सके।
-हाईटेक पब्लिसिटी वाहन एक दो दिन या एक दो हफ्ते से नहीं बल्कि पिछले पांच-छह महीने से परिवहन आयुक्त मुख्यालय में धूल खा रहीं है।
कुम्भकर्णी नींद में सोया परिवहन विभाग
-एक तरफ सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है तो दूसरी तरफ सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने में परिवहन विभाग के जिम्मेदार अफसर कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं। अफसरों की सुस्ती और लापरवाही सड़क सुरक्षा पर भारी पड़ रही है। समझा जा सकता है परिवहन विभाग के अधिकारी सड़क सुरक्षा के प्रति कितने संवेदनशील हैं। उप्र में सड़क सुरक्षा के लिए लोगों को ट्रैफिक नियमों व वाहन चलाने के प्रति जागरूक करने के लिए परिवहन विभाग ने 12 हाईटेक पब्लिसिटी वैन खरीदी गईं हैं।
गाड़ी चलाते समय यह न करें
-गाड़ी में बैठे अन्य लोगों से बातचीत करने से बचें।
-गाड़ी में लगे नियंत्रक उपकरणों में तालमेल रखें।
-कुछ खाने या पीने से बचें।
-नींद आने पर गाड़ी को सड़क किनारे रोक दें।
-मोबाइल फोन पर बात करते हुए गाड़ी न चलाएं।
-वाहन चलाते समय स्टीरियो में कैसेट या सीडी न बदलें।
गाड़ी चालते समय यह करें
-जहां तक संभव हो मानसिक तनाव देने वाली बातचीत से बचे
-एंटी एलर्जिक दवाओं का सेवन करने के बाद गाड़ी मत चलाए
-सेल फोन पर बात करना हो तो पहले गाड़ी सुरक्षित स्थान पर खड़ी करें
-सीट बेल्ट व हेलमेट के प्रयोग में कोताही न बरतें
-शराब या दूसरे किसी नशे का सेवन कर गाड़ी कभी मत चलाए
-दुर्घटना में शिकार व्यक्ति को उठाने में सावधानी बरतें, बाहरी रक्तस्नाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कपड़ा बांध दें।
-अपने मोबाइल फोन को ऐसी जगह रखे जहां से आसानी से देख सकें
-गाड़ी चलाते समय हैंड फ्री सेट का प्रयोग करें
गाड़ी चलाते समय यह बरतें सावधानी
-दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का प्रयोग करें।
-चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का अवश्य लगाएं।
-40 से अधिक स्पीड में वाहन न चलाएं।
-बायें से ओवरटेक न करें।
-शराब पीकर वाहन कतई न चलाएं।
-ब्रेकर पर स्पीड धीमी कर दें।
-साइड मिलने पर ही ओवरटेक करें।
-ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें।
किस वाहन से कितने प्रतिशत एक्सीडेंट
-दो पहिया – 23.2
-ट्रक, लारी- 19.2
-कार-10.1
-बस-9.4
-जीप-6.7
-टेम्पो, वैन- 5.71
-थ्री व्हीलर-4.8
-साइकिल-2.21 ऐसी सड़कें बन रहीं दुर्घटना का कारणपरिवहन आयुक्त मुख्यालय में खड़ी वैन
सर्दी के मौसम में कोहरे के समय इन बातों का रखें ध्यान
-वाहनों में फाग लाइट का प्रयोग करें।
-हाईवे पर 20-30 की स्पीड में ही वाहन चलाएं।
-सड़क किनारे वाहन पार्क करते समय आगे पीछे के डिपर जला कर रखें।
-वाहन चलाते समय लो बीम लाइट का प्रयोग करें।
-वाहन चलाते समय सड़क पर बनी रोड साइन (पीले रंग पट्टी) को देखते हुए चलें, क्योंकि पीली पट्टी लाइट पड़ने पर चमकती है। इससे आपको सड़क के गड्ढे और ऊबड़-खाबड़ होने के बारे में पता चलता है।
-सर्दी आते ही शहर के बाहरी इलाकों समेत अंदर की सड़कों पर घना कोहरा छा जाता है, जिस कारण वाहन चलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जरा सी चूक आपकी जान ले लेगी।