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शुष्क से हरा-भरा हुआ विजयपुर दिखा रहा राह

भीषण गर्मी, पानी की किल्लत से जूझ रहे कर्नाटक के अन्य जिलों सहित देश में ऐसी क्रान्ति संभव है। जरूरत है तो राजनीतिक इच्छाशक्ति, लोगों के दबाव और सहयोग की। गैर सरकारी संगठनों की भूमिका भी अहम है

बैंगलोरApr 25, 2024 / 06:23 pm

Nikhil Kumar

विजयपुर जिला अब सबसे बड़े शहरी वन वृक्षारोपण का गवाह बन गया है

शुष्क से हरा-भरा हुआ Vijaypur जिला सभी के लिए एक नजीर है। यह जिला अब सबसे बड़े शहरी वन वृक्षारोपण का गवाह बन गया है। 600 एकड़ से अधिक क्षेत्र में 60 हजार से अधिक देशी प्रजातियों के tree लगाए जा चुके हैं। गैर सरकारी संगठन Society for Protection of Plants and Animals (एसपीपीए) के अनुसार, कुल मिलाकर, 1.30 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। सौर ऊर्जा से संचालित ड्रिप सिंचाई ने काम और आसान कर दिया। लगाए गए पौधों में से 98 फीसदी जीवित हैं। भीषण गर्मी, पानी की किल्लत से जूझ रहे कर्नाटक के अन्य जिलों सहित देश में ऐसी क्रान्ति संभव है। जरूरत है तो राजनीतिक इच्छाशक्ति, लोगों के दबाव और सहयोग की। गैर सरकारी संगठनों की भूमिका भी अहम है।
पाटिल ने 2015 में डाली नींव

तत्कालीन सिंचाई और जल संसाधन मंत्री M.B. Patil ने वर्ष 2015 में इसकी नींव डाली थी। उन्होंने सिंचाई विभाग को जिले में टैंकों और झीलों को पानी से भरने और वन विभाग को उसी समय लोगों को पौधे सौंपने के लिए कहा, जिससे पौधों की उच्च जीवित रहने की दर सुनिश्चित हो सके। इस बीच, गैर सरकारी संगठनों ने लोगों को ‘पांच साल में 1 करोड़ पौधे’ के सपने यानी ‘कोटि वृक्ष अभियान’ के लिए अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
दोहराया जाना चाहिए

पाटिल के अनुसार विजयपुर की तर्ज पर इस मॉडल को कहीं भी दोहराया जा सकता है और दोहराया जाना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या यह है कि, आम तौर पर सरकार द्वारा संचालित परियोजना में, विभिन्न विभाग स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, भले ही उनका लक्ष्य एक समान हो। इसे दूर करना होगा। समन्वित प्रयास जरूरी है। इस तरह की परियोजनाएं सफल हो सकती हैं बशर्ते उपायुक्त, जिला पंचायत के मुख्य कार्रकारी अधिकारी और वन विभाग मिलकर का एक लक्ष्य पर काम करें। विजयपुर के मामले में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सुनिश्चित किया कि परियोजना सुचारू रूप से अंजाम तक पहुंचे।
यह इतना आसान नहीं था

पाटिल ने कहा, मैं तो बस वन क्षेत्र बढ़ाना चाहता था। शुरुआत में मुझे लगा कि लोगों को रोपने के लिए पौधे वितरित करना मुश्किल नहीं होगा। बाद में एहसास हुआ कि यह इतना आसान नहीं था। पहले वर्ष में वितरण के लिए पर्याप्त पौधे नहीं थे। तभी हमने उन्हें नर्सरी में उगाना शुरू किया। अब, हम 20 से अधिक नर्सरियों में विभिन्न प्रकार की देशी प्रजातियां उगाते हैं, जो किसानों के लिए फायदेमंद हैं।
कृषिवन आंदोलन परवान चढ़ने लगा

पाटिल के बेटे और एसपीपीए के अध्यक्ष ध्रुव ने कहा कि उन्होंने भी सोचा था कि किसान सस्ते पौधे पाकर खुश होंगे। उन्हें इसके लिए केवल 10 प्रतिशत का भुगतान करना था, लेकिन उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। किसानों को जब लाल चंदन, आम और अन्य फलों के पेड़ दिए जाने लगे तब वे और अधिक के लिए वापस आने लगे। इसके बाद संपूर्ण कृषि-वन आंदोलन परवान चढ़ने लगा। जुनूनी लोगों के लिए लोगों को संगठित करना कठिन नहीं है। विजयपुर में जो हुआ वह एक मॉडल हो सकता है।
तब विजयपुर ने पहली बारिश देखी

ध्रुव ने कहा, दो सप्ताह पहले, जब शेष Karnataka उच्च तापमान का सामना कर रहा था, तब विजयपुर ने पहली बारिश देखी। यह कोई संयोग नहीं हो सकता। इसके अलावा, मैंने व्यक्तिगत रूप से इन ब्लॉक बागानों में पक्षियों की 185 से अधिक प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है। राजहंस और बार-हेडेड गीज जैसे अधिक से अधिक प्रवासी पक्षी विजयपुर का रुख कर रहे हैं।
महिला ने अकेले 5000 पौधे लगाए

पाटिल ने बताया कि इसके बाद लोग भी साथ आने लगे। ग्राम पंचायत की एक महिला ने अकेले पांच हजार पौधे लगाए और उनका ध्यान भी रखा। विजयपुर में विशेषकर युवा इतने जागरूक हो चुके हैं कि अब वे शादी और जन्मदिन पर गुलदस्ते की जगह पौधे उपहार में देते हैं।

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