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छह साल में तीसरे पैंथर की हत्या, आरोपी गिरफ्त से दूर

दिए मामले पिछले कुछ वर्षों के हैं, जिनमें लोगों ने जानमाल को नुकसान की आशंका में पैंथर (तेंदुए) को मौत के घाट उतार दिया। इन मामलों में ग्रामीणों के खिलाफ वन अपराध भी दर्ज किए गए, लेकिन ज्यादातर प्रकरणों में वन विभाग को गिरफ्तारी में सफलता नहीं मिल पाई।

Apr 18, 2024 / 05:28 pm

Rudresh Sharma

शिकार और पानी की तलाश में आबादी में घुस रहे हैं पैंथर, लोगों में खौफ

शिकार और पानी की तलाश में आबादी में घुस रहे हैं पैंथर, लोगों में खौफ

केस – 1

जनवरी 2019, उदयपुर केेेेेेेेेेे इसवाल रोड पर खरबड़ गांव में एक्सीडेंट में घायल पैंथर द्वारा वृद्ध पर हमला करने के बाद ग्रामीणों ने पैंथर को लाठियों से पीट-पीट कर अधमरा कर कैरोसीन डाल जला कर मार दिया। पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो उन्हें पैंथर के जलकर राख हुए अवशेष ही मिले। वन विभाग के उत्तर मंडल ने अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

केस – 2

मार्च 2023, झाड़ोल उपखंड क्षेत्र के फलासिया वन रेंज के गोदावाड़ा गांव में लोगों ने पैंथर को जलाकर मार दिया। अदकालिया-गोदावाड़ा मार्ग के कथरघाटी में पैंथर ने एक बछड़े का शिकार किया था। पैंथर अन्य मवेशियों का शिकार न करे इससे पहले कुछ लोगों ने उसके शिकार किए बछड़े के मांस में जहरीला पदार्थ मिला दिया। जिसे खाने के बाद पैंथर बेहोशी की हालत में एक पुलिया के नीचे पाइप में चला गया। जहां लोगों ने पाइप के दोनों तरफ चारा डालकर आग लगा दी। इससे पैंथर जिंदा जल गया।

केस – 3

ताजा मामला परसाद वन रेंज का है। जहां सोमवार को एक के बाद दूसरे ग्रामीण पर हमला किया तो लोगों ने बेहोश पैंथर को पत्थर व लाठियों से हमला कर मार डाला। परसाद रेंज की अमरपुरा पंचायत में पैंथर द्वारा एक युवक पर हमले के बाद उसने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक और ग्रामीण पर हमला कर दिया। इससे आक्रोशित हुए ग्रामीणों ने वन विभाग की ओर से रेस्क्यू किए पैंथर को पत्थर व लाठी से हमला कर मार डाला।

उदयपुर . जंगल में इंसानी दखल के बाद वन्यजीवों की आबादी में आमद सामान्य बात है। खासकर उदयपुर जिले में जहां प्रदेश का सर्वाधिक वन क्षेत्र है। जैसे-जैसे वनों में लोगों की घुसपैठ हो रही है, वन्यजीव बस्तियों की ओर आ रहे हैं और उनका इंसान के साथ संघर्ष बढ़ रहा है। कभी वे इंसान पर हमला कर रहे हैं तो कभी ग्रामीण वन्यजीवों की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं। ऊपर दिए मामले पिछले कुछ वर्षों के हैं, जिनमें लोगों ने जानमाल को नुकसान की आशंका में पैंथर (तेंदुए) को मौत के घाट उतार दिया। इन मामलों में ग्रामीणों के खिलाफ वन अपराध भी दर्ज किए गए, लेकिन ज्यादातर प्रकरणों में वन विभाग को गिरफ्तारी में सफलता नहीं मिल पाई।

ये भी जानना जरूरी है …

  • मादा पैंथर एक बार में 3-4 शावक को जन्म देती है। शावक 85 से 90 दिन तक मां के गर्भ में रहते हैं। जन्म के समय शावक की आंखें बंद रहती हैं, जो दो सप्ताह बाद खुलती है। शावक दो-ढाई साल मां के साथ रहते हैं। मां ही उन्हें शिकार और स्वयं की सुरक्षा करना सिखाती हैं।
  • पैंथर की खूबी है कि वह पलक झपकते ही पेड़ पर चढ़-उतर सकता है। बड़ा शिकार हाथ लग जाए तो वह उसे जबड़े में जकड़ कर पेड़ पर ले जाता है। वहां शिकार को टांग देता है। इस तरह वह बचे हुए शिकार को दोबारा भूख लगने पर उसी स्थान पर पहुंच कर खा लेता है।
  • पैंथर का शरीर बिल्ली से बड़ा होता है लेकिन वह बिल्ली की तरह छोटी सी झाड़ी की आड़ में छुपने में माहिर होता है। बीमार या घायल वन्यजीव का शिकार पहले करता है। प्राय: सूर्यास्त के बाद ही शिकार पर निकलता है।

वन्यजीव किसानों के दोस्त, उन्हें दुष्मन नहीं मानें

वन्यजीव किसानों व ग्रामीणों के दोस्त हैं। वे उन्हें दुश्मन नहीं मानेे। पैंथर तो खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों नीलगाय, खरगोश, सहेली, चूहा आदि का शिकार करता है। वह इंसान पर तभी हमला करता है, जब तक कि कोई उसे छेड़ेंगे नहीं। उसकी ओर पत्थर आदि नहीं फेंकेंगे। उदयपुर के जंगल में तो पैंथर ही नहीं टाइगर भी रहा करते थे। अब इंसानों की आबादी बढ़ गई तो लोग उनके घरों में जाने लगे। अब वे भटक रहे हैं तो जाहिर है आबादी मेें भी आएंगे। हमें उनकी प्रकृति को समझना होगा। उन्हें दोस्त मानना होगा।

डॉ.सतीश शर्मा, वन्यजीव विशेषज्ञ

पुलिस ने नहीं मानी राजकार्य में बाधा

परसाद वन रेंज के अमरपुरा पंचायत क्षेत्र में ट्रेंक्यूलाइज किए गए पैंथर की हत्या के मामले में वन विभाग के बाद पुलिस ने भी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का मामला दर्ज किया है। टीडी थाना पुलिस ने पांच नामजद लोगों समेत 20-25 अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले को राजकार्य में बाधा की श्रेणी में मानने से इनकार कर दिया है। टीडी थाना अधिकारी फेलूराम का कहना है कि यह राजकार्य में बाधा का मामला तब होता जब वनकर्मियों के साथ मारपीट हुई होती, उन्हें चोट आई होती। थानाधिकारी ने कहा कि मुझे तो खुद समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज क्यों कराया जब वे खुद वन्य जीव अधिनियम में प्रकरण दर्ज कर चुके थे।

इनका कहना …

ग्रामीणों ने वनकर्मियों से ट्रेंक्यूलाइज किए हुए पैंथर को छीनकर राजकार्य में बाधा उत्पन्न की। इसीलिए रेंज ऑफिसर को पुलिस में मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। फोरेस्ट एक्ट की कार्रवाई तो हमरा विभाग की कर सकता है। मामले में पुलिस अधीक्षक को लिखा जाएगा।

– मुकेश सैनी, उपवन संरक्षक, उदयपुर

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