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पुन:उपचारित पानी बना रेलवे के लिए संकटमोचक

बेंगलूरु. जलसंकट से जूझ रहे कर्नाटक वासियों के लिए पानी की एक-एक बूंद जीवनदान से कम नहीं है। ऐसे मेें देश की लाइफलाइन कहे जाने वाले रेलवे ने भी पानी की बूंद-बूंद बचाने का बीड़ा उठाया है।

बैंगलोरApr 23, 2024 / 05:48 pm

Yogesh Sharma

शुद्ध व पुन:उपचारित पानी से यात्रियों की आपूर्ति
प्लेटफार्मों पर दिखने लगे मिट्टी के मटके


बेंगलूरु. जलसंकट से जूझ रहे कर्नाटक वासियों के लिए पानी की एक-एक बूंद जीवनदान से कम नहीं है। ऐसे मेें देश की लाइफलाइन कहे जाने वाले रेलवे ने भी पानी की बूंद-बूंद बचाने का बीड़ा उठाया है। रेलवे ने जहां सभी स्टेशनों के प्लेटफार्म पर पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था की है। वहीं ट्रेनों की सफाई, धुलाई, स्टेशन परिसर की सफाई व धुलाई के लिए तथा बगीचों को हरा-भरा रखने के लिए पुन:उपचारित पानी का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा रेलवे ऑफिस व ट्रेनों के शौचालयों व वॉशबेसिन में उपयोग के लिए भी पुन:उपचारित पानी ही भरा जा रहा है। स्टेशन परिसर व प्लेटफार्मों पर यात्रियों को शीतल जल की आपूर्ति पूरी करने के लिए मिट्टी के मटके रखवाए गए हैं। इसके अलावा ट्रेनों के जनरल कोच के बाहर स्काउट व समाजसेवी संगठन पानी की आपूर्ति रहे हैंं।
गत दो बार से मानसून की बेरुखी के चलते प्रदेश में पानी का जबर्दस्त संकट गहरा गया है। हाल ये है कि जहां नदियों में पानी नहीं बचा है वहीं प्राकृतिक जलस्रोत भी या तो सूख गए हंै या फिर उनका पानी इतना नीचे चला गया है कि लिफ्ट करना संभव नहीं है। पानी की समस्या को लेेकर राजस्थान पत्रिका ने मंगलवार को रेलवे अधिकारियों से चर्चा की तो बहुत मुद्दे सामने आए। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे के अधिकांश नलकूप सूख चुके हैं और बीडब्ल्यूएसएसबी से प्राप्त होने वाले कावेरी के जल में भी 30 फीसदी कटौती कर दी गई है। ऐसे में बीडब्ल्यूएसएसबी का सबसे बड़ा उपभोक्ता ही पानी के लिए बगलें झांक रहा है। लेकिन रेलवे की जलप्रबंधन की सफल नीति ने पानी के लिए त्राहीमाम होने से बचा लिया।
मंडल वाणिज्य प्रबंधक त्रिनेत्र के.आर. ने बताया कि बेंगलूरु रेल मंडल के केएसआर बेंगलूरु. यशवंतपुर, केआरपुरम, बेंगलूरु छावनी, एसएमवीटी सहित अनेक स्टेशनों से प्रतिदिन 240 ट्रेनों का आवागमन होता है। यदि जलप्रबंधन सही ढंग से नहीं किया तो पानी के लिए ट्रेनों में व प्लेटफार्म पर मारा मारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि सभी ट्रेनों में उपलब्धता के अनुसार पुन:उपचारित भरा जा रहा है। इसके बाद भी अन्य स्टेशनों से आग्रह किया गया है कि जहां भी ट्रेनों में पानी की समस्या हो वहां उन स्टेशनों पर ट्रेनों में पानी भरा जाए।
त्रिनेत्र ने बताया कि मंडल रेल प्रबंधक योगेश मोहन के निर्देश पर सभी स्टेशनों के प्लेटफार्म पर पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। स्टेशन परिसरों में कार्यालयों के पास भी पीने के पानी के मटके रखवाए गए हैं। ट्रेनों में, स्टेशनों पर तथा कार्यालयों में जलापूर्ति सामान्य बनी रहे इसके लिए रेलवे प्रतिदिन स्वच्छ व पुन:उपचारित पानी के टैंकर खरीदकर जलप्रबंधन कर रही है।
रेलवे ऐसे कर रहा जलप्रबंधन

  1. बर्बादी रोकने के लिए रेलवे आवासों में पानी की आपूर्ति वैकल्पिक दिनों में की जाती है।
  2. प्लेटफॉर्म की धुलाई, कोच की सफाई पुन:उपचारित पानी का उपयोग करके की जा रही है।
  3. सभी बगीचों को पुन:उपचारित पानी से सींचा जा रहा है।
  4. संभागीय कार्यालय में शौचालयों में फ्लशिंग पुन:उपचारित पानी से की जा रही है, इसके लिए अलग समानान्तर पाइपलाइन बिछाई गई है
  5. रेलवे स्टेशनों पर जल आपूर्ति हाइड्रेंट लाइनों, सिंक आदि की देखभाल के लिए प्लंबरों को चौबीसों घंटे तैनात किया गया है ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके।
  6. ओवरहेड टैंक में पानी भरने के दौरान ओवरफ्लो से बचने व इसकी निगरानी के लिए वाल्व मैन को चौबीसों घंटे तैनात किया गया है
  7. जल आपूर्ति से जुड़े सभी कर्मचारियों को पानी की बर्बादी रोकने के बारे में जागरूक किया गया है।
  8. जल उपचार संयंत्र का रखरखाव इस प्रकार किया जा रहा है कि अधिकतम उपयोग हो सके।

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