चलता फिरता पीयूसी पर सवाल
जिले में परासिया रोड, नागपुर रोड, एआरटीओ कार्यालय के बाहर सहित अन्य जगह पर चलता फिरता पीयूसी वर्तमान में देखा जा सकता है। इन पीयूसी पर बिना मशीन के जांच कर सटिर्फिकेट जारी कर दिया जाता है। ऐसे में इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। जानकारों का कहना है कि किसी भी वाहन के प्रदूषण का स्तर का पता चलाने के लिए मशीन का होना आवश्यक है। साइलेंसर में यह मशीन रखी जाती है और फिर संचालक इसकी जांच करता है। उसके बाद ही प्रमाण पत्र जारी करता है।
जिले में परासिया रोड, नागपुर रोड, एआरटीओ कार्यालय के बाहर सहित अन्य जगह पर चलता फिरता पीयूसी वर्तमान में देखा जा सकता है। इन पीयूसी पर बिना मशीन के जांच कर सटिर्फिकेट जारी कर दिया जाता है। ऐसे में इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। जानकारों का कहना है कि किसी भी वाहन के प्रदूषण का स्तर का पता चलाने के लिए मशीन का होना आवश्यक है। साइलेंसर में यह मशीन रखी जाती है और फिर संचालक इसकी जांच करता है। उसके बाद ही प्रमाण पत्र जारी करता है।
परिवहन आयुक्त ने जारी किया था आदेश
पांच वर्ष पहले परिवहन आयुक्त ने सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को आदेश जारी कर जिले के सभी पेट्रोल पंपों पर वाहनों से निकलने वाले धुएं की जांच के लिए पीयूसी सेंटर बनाए जाने की बात कही थी। पेट्रोल पंपों को आरटीओ कार्यालय से एनओसी लेकर पीयूसी सेंटर बनाने थे। इन सेंटरों पर वाहनों के धुएं की जांच कर उन्हें सर्टिफिकेट दिए जाते। सभी पेट्रोल पंपों पर पीयूसी सेंटर बनाना अनिवार्य किया गया था। संचालक को आरटीओ कार्यालय में आवेदन करना था और फिर विभागीय जांच के बाद पेट्रोल पंप संचालक को एनओसी जारी की जानी थी। इसके बाद चरणबद्ध अभियान भी चला। परिवहन विभाग ने सभी पेट्रोल पंपों को नोटिस जारी कर पीयूसी लगाने के निर्देश दिए थे।
पांच वर्ष पहले परिवहन आयुक्त ने सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को आदेश जारी कर जिले के सभी पेट्रोल पंपों पर वाहनों से निकलने वाले धुएं की जांच के लिए पीयूसी सेंटर बनाए जाने की बात कही थी। पेट्रोल पंपों को आरटीओ कार्यालय से एनओसी लेकर पीयूसी सेंटर बनाने थे। इन सेंटरों पर वाहनों के धुएं की जांच कर उन्हें सर्टिफिकेट दिए जाते। सभी पेट्रोल पंपों पर पीयूसी सेंटर बनाना अनिवार्य किया गया था। संचालक को आरटीओ कार्यालय में आवेदन करना था और फिर विभागीय जांच के बाद पेट्रोल पंप संचालक को एनओसी जारी की जानी थी। इसके बाद चरणबद्ध अभियान भी चला। परिवहन विभाग ने सभी पेट्रोल पंपों को नोटिस जारी कर पीयूसी लगाने के निर्देश दिए थे।
हर वर्ष 10 हजार वाहन
जिले भर में लगभग 70 पेट्रोल पंप हैं जिन सभी पर प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित किए जाने हैं। वर्तमान में किसी पेट्रोल पंप पर पीयूसी नहीं दिख रही है। प्रतिवर्ष करीब 10 हजार नए वाहन सडक़ों पर उतरते हैं। पूर्व में बीएसथ्री वाहनों को परिवहन विभाग बंद कर चुका है, इन वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता था। पेट्रोल पंपों पर पीयूसी खोले जाने की मंशा शासन की यह है कि प्रत्येक वाहन पेट्रोल पंपों पर डीजल व पेट्रोल के लिए जरूर पहुंचता है ऐसे में वाहन चालक वाहनों की प्रदूषण सहज जांच करा सकेगा।
जिले भर में लगभग 70 पेट्रोल पंप हैं जिन सभी पर प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित किए जाने हैं। वर्तमान में किसी पेट्रोल पंप पर पीयूसी नहीं दिख रही है। प्रतिवर्ष करीब 10 हजार नए वाहन सडक़ों पर उतरते हैं। पूर्व में बीएसथ्री वाहनों को परिवहन विभाग बंद कर चुका है, इन वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता था। पेट्रोल पंपों पर पीयूसी खोले जाने की मंशा शासन की यह है कि प्रत्येक वाहन पेट्रोल पंपों पर डीजल व पेट्रोल के लिए जरूर पहुंचता है ऐसे में वाहन चालक वाहनों की प्रदूषण सहज जांच करा सकेगा।
इनका कहना है…
्रयह बात सच है कि एक भी पेट्रोल पंप पर पीयूसी नहीं है। हमारे पास ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे हम पेट्रोल पंपों पर कार्यवाही कर सकें। हम उन्हें केवल समझाइश दे सकते हैं जो समय-समय पर देते रहते हैं। इसके पूर्व प्रशासन ने भी बैठक लेकर पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिया था। उन्होंने हामी भी भरी थी।
्रयह बात सच है कि एक भी पेट्रोल पंप पर पीयूसी नहीं है। हमारे पास ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे हम पेट्रोल पंपों पर कार्यवाही कर सकें। हम उन्हें केवल समझाइश दे सकते हैं जो समय-समय पर देते रहते हैं। इसके पूर्व प्रशासन ने भी बैठक लेकर पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिया था। उन्होंने हामी भी भरी थी।
मनोज तेहनगुरिया, आरटीओ, छिंदवाड़ा
पेट्रोल पंपों को व्यापार लाइसेंस आपूर्ति विभाग देता था, लेकिन लगभग चार साल से यह प्रक्रिया बंद हो चुकी है। ऐसे में पीयूसी सेंटर को लेकर पेट्रोल पंपों पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। फिर भी सहयोगी विभाग के रूप में हम इस पर काम कर रहे हैं। अब पुलिस एवं परिवहन विभाग को ही कार्यवाही करनी होगी।अजीत कुजूर, जिला आपूर्ति अधिकारी