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शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को अल्पसंख्यकों को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए: अननाद्रमुक

एआईएडीएमके नेता ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और उन्होंने शीर्ष नेताओं से ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया जिससे अल्पसंख्यकों में डर पैदा हो।

चेन्नईApr 24, 2024 / 02:43 pm

PURUSHOTTAM REDDY

एआईएडीएमके नेता ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और उन्होंने शीर्ष नेताओं से ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया जिससे अल्पसंख्यकों में डर पैदा हो।


चेन्नई. अन्नाद्रमुक महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) ने राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषण की कड़ी आलोचना की है। ईपीएस ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि रविवार को बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण देश के शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति की ओर से अनुचित और अस्वीकार्य था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक नेताओं की इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देती है और अल्पसंख्यकों में डर पैदा करती है।

ईपीएस ने बयान में कहा, “प्रधानमंत्री की टिप्पणी जो अल्पसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है, अस्वीकार्य है।” उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक नेताओं और शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को इस तरह की विवादास्पद टिप्पणी करने से बचना चाहिए और देश की धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा करनी चाहिए। एआईएडीएमके नेता ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और उन्होंने शीर्ष नेताओं से ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया जिससे अल्पसंख्यकों में डर पैदा हो।
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मद्रास उच्च न्यायालय ने तीन विश्वविद्यालयों में कुलपति न होने पर चिंता और पीड़ा व्यक्त की
चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के तीन विश्वविद्यालयों में लंबे समय से कुलपति न होने पर चिंता और पीड़ा व्यक्त की। मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित खोज पैनल में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक नामित व्यक्ति को शामिल करने की मांग करने वाले अधिवक्ता बी जगन्नाथ द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति जे. सत्य नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा कि विभिन्न अधिकारियों के बीच विवाद में शिक्षाविद पीछे छूटते दिख रहे हैं।

“पिछले एक साल से विश्वविद्यालय कुलपति विहीन हैं। न्यायालय को केवल विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक उत्कृष्टता से मतलब है, न कि विभिन्न अधिकारियों के बीच आंतरिक विवादों से। अधिकारियों को विश्वविद्यालयों में काम करने में संवेदनशील होने की आवश्यकता है। एकमात्र विचार शैक्षणिक उत्कृष्टता होना चाहिए।

एआईएडीएमके नेता ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और उन्होंने शीर्ष नेताओं से ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया जिससे अल्पसंख्यकों में डर पैदा हो।

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