करें विष्णु और लक्ष्मी की आराधना
मिश्रा के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से घर में बरकत बनी रहती है और पूरे साल भर धन-धान्य की घर में कमी नहीं होती। माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। यही वजह है कि लोग इस दिन गृह-प्रवेश, शादी, सगाई जैसे काम करते हैं। मिश्रा के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में अक्षय तृतीय को युगादि तिथि कहा गया है। इस दिन से कई युगों का आरंभ हुआ है और भगवान विष्णु के कई अवतार भी हुए हैं। इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का भी अवतार हुआ है। इसलिए अक्षय तृतीया का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन से ही चार धाम की यात्रा भी आरंभ होती है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन किया गया कार्य का फल अक्षय होता है। यानी उसका कभी नाश नहीं होता है। धार्मिक दृष्टि से देखे तो अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य के कार्य करने चाहिए। साथ ही इस दिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है।