दीक्षा लेने वाले इन 35 मुमुक्षुओं में कई कारोबारी, अरबपति व 10 नाबालिग बच्चे शामिल है। सबसे छोटा मुमुक्षु 11 साल का लड़का है। दीक्षा लेने वाले 35 लोगों में 5 कपल भी हैं। एक परिवार ऐसा है जहां एक ही परिवार के 6 सदस्य दीक्षा ले रहे हैं।
कल य़ानि 21 अप्रेल को महावीर जयंती के मौके पर शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में दीक्षा लेने वाले सभी मुमुक्षु शामिल हुए। दीक्षा से पहले अंतिम सजावट व तैयारी की गई व 7 किमी की भव्य शोभा यात्रा निकाली जिसमें बैंड-बाजे, हाथी, घोड़े समेत नृत्य व उत्सव हुआ।
इसके साथ ही जैन समुदाय ने एक दीक्षा समारोह में सांसारिक मोह छोड़ने का ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। अहमदाबाद में 5 दिनों का कार्यक्रम अहमदाबाद शहर में लगातार पांच दिनों तक 18 से 22 अप्रेल भव्य दीक्षा समारोह आयोजित किया। आज साबरमती नदी तट पर दीक्षा कार्यक्रम के तहत सभी मोह-माया का त्याग करेंगे। इन 35 मुमुक्षुओं को भगवान का पंथ देने के लिए साबरमती तट पर अध्यात्म नगर बनाया गया।
जैन श्रद्धालु और कार्यक्रम के संयोजक संजय वोहरा ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में हमारे गुरु महाराज को सुनने के बाद से 300 से अधिक लोगों ने दीक्षा ली है। 7 किमी की भव्य रथ यात्रा
अहमदाबाद के हाईवे पर एक साथ 35 मुमुक्षुओं की 7 किलोमीटर की भव्य रथयात्रा निकाली गई। 5 दिवसीय दीक्षा महोत्सव के चौथे दिन अहमदाबाद शहर की सड़कों पर मुमुक्षुओं की भव्य रथयात्रा निकली। जिसमें दीक्षार्थी ने आज दीक्षा लेने से पहले आखिरी बार मोहमाया का श्रृंगार किया। इस भव्य शोभा यात्रा में सभी मुमुक्षु अपने परिवार सहित शामिल हुए। 400 से अधिक साधु-साध्वी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी आए। यह य़ात्रा भावेश भंडारी के निवास नारनपुरा के अपार्टमेंट से शुरू होकर पालडी के टैगोर हॉल में तैयार अध्यात्म नगरी पहुंची। रथयात्रा में ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे, डीजे और विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनियां आकर्षण का केंद्र रहीं।
मुमुक्षों को बैंड बाजे और सुसज्जित रथों पर बिठाया गया, उनके साथ हाथी, घोड़ों सहित केरल और पंजाब का चित्रण करने वाले नृत्य कलाकार भी थे। इसके साथ ही मुमुक्षु के परिजन भी रथयात्रा में शामिल हुए।
क्यों ले रहे लोग दीक्षा? जैन धर्म में दीक्षा समारोह पारंपरिक रूप से एक गंभीर और आध्यात्मिक अवसर माना जाता है, जो त्याग और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज पर केंद्रित है।