देहदान के कारण ही बीएमसी अब तक 1000 हजार से अधिक डॉक्टर्स देश को दे सका है। 2009 में शुरू हुए मेडिकल कॉलेज की स्थिति ये थी कि प्रबंधन को जबलपुर मेडिकल कॉलेज से पहली और आखिरी बार 2 मानव बॉडी मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए मंगानी पड़ी थीं। अगले साल 2010 में ही बीएमसी में पहला देहदान हुआ था, जिसके बाद लगातार देहदान का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है। अब तक बीएमसी को 51 बॉडी मिल चुकी हैं। जिसमें 35 मेल तो 16 फीमेल बॉडी शामिल हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि 51 में से 43 बॉडी देहदान के जरिए मिलीं हैं इसलिए इन मानव बॉडी से सिर्फ बीएमसी के छात्र ही अध्ययन करेंगे। जबकि 8 अज्ञात में से 1 बॉडी शिवपुरी मेडिकल कॉलेज भी भेजी गई है। बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए बीएमसी के पास 4 टैंक हैं। जिसमें 14 से 16 बॉडी रखी हुईं हैं। प्रदेश के नंद कुमार सिंह चौहान मेडिकल कॉलेज खंडवा, सतना और शिवपुरी सहित अन्य मेडिकल कॉलेज बीएमसी से मानव बॉडी की मांग कर चुके हैं। उन्हें पढ़ाई के लिए मानव बॉडी नहीं मिल रहीं हैं वहीं बीएमसी में इतनी बॉडी हैं कि 6 साल भी देहदान न हो फिर भी छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।
बीएमसी में देहदान की स्थिति
-51 अब तक हुए। -8 अज्ञात व लावारिस। -3 घरौंदा आश्रम से।
-1 खजूरिया करुणा आश्रम।
-14-16 बॉडी स्टोर हैं। -प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज की अपेक्षा सबसे ज्यादा बॉडी बीएमसी के पास हैं। यहां समितियां, आश्रम और आम लोग भी महादान में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। दानदाताओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम अन्य मेडिकल कॉलेज को बॉडी नहीं देते। 51 में से सिर्फ 1 बॉडी जो की 2019 में खजूरिया करूणा आश्रम से मिली थी उसे शिवपुरी भेजा गया था।वृंदावन
मालवीय, प्रभारी एनाटॉमी विभाग बीएमसी।