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नई दिल्ली

कोरोना काल में धीमी पड़ी जन्म दर ने फिर पकड़ी रफ्तार

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट : भारत की शहरी आबादी 2035 तक 67.54 करोड़ होने का अनुमान

नई दिल्लीJun 30, 2022 / 10:41 pm

Mukesh

कोरोना काल में धीमी पड़ी जन्म दर ने फिर पकड़ी रफ्तार

कोरोना काल में धीमी पड़ी जन्म दर ने फिर पकड़ी रफ्तार

नई दिल्ली. देश की शहरी आबादी 2035 तक 67.54 करोड़ हो जाने का अनुमान है। इस मामले में देश चीन की एक अरब शहरी आबादी के मुकाबले दुनिया में दूसरे नंबर पर होगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।

दुनिया में शहरीकरण के बारे में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि तेजी से शहरीकरण पर कोरोना महामारी का अस्थायी असर पड़ा। इसकी रफ्तार सिर्फ कुछ अवधि के लिए धीमी पड़ी। वैश्विक शहरी आबादी अब पिछले स्तर पर आ गई है और 2050 तक इसमें 2.2 अरब की वृद्धि का अनुमान है।

भारत में 2035 तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का प्रतिशत कुल आबादी का 43.2 फीसदी हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 2030 तक शहरी आबादी 1.05 अरब हो जाएगी। सभी एशियाई शहरों की आबादी 2.99 अरब होगी। दक्षिण एशिया में यह 98.76 करोड़ होगी।

दुनिया में 2050 तक
रिपोर्ट के मुताबिक निम्न आय वाले देशों में जन्म दर बढऩे के साथ शहरी आबादी में वृद्धि जारी रहेगी। इससे 2050 तक कुल वैश्विक आबादी में शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या 68 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है, जो अभी 56 फीसदी है।

शहरीकरण बढऩे से गरीबी घटी
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक आबादी में बड़ी हिस्सेदारी है। दोनों देशों में आर्थिक वृद्धि से वैश्विक असमानता पर सकारात्मक असर पड़ा है। पिछले दो दशक में चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि तथा शहरीकरण तेजी से बढ़ा। इससे गरीब लोगों की संख्या में कमी आई है। दुनिया के शहरों में गरीबी और असमानता सबसे जटिल समस्या है।
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