11 राज्यों ने नहीं जारी की है अधिसूचना
शीर्ष अदालत ने कहा कि 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में याचिकाकर्ताओं के सुझावों के अनुरूप इन बेघरों के बारे में कोई अधिसूचना तक जारी नहीं की है। ये 11 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश निम्न हैं- चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, ओडिशा, त्रिपुरा और उत्तराखंड हैं।
उत्तराखंड छोड़ सब पर लगाया जुर्माना
बेंच ने जिन राज्यों ने शहरी बेघरों के लिए किसी तरह की अधिसूचना जारी नहीं की है। उनमें से उत्तराखंड को छोड़ कर शेष सभी राज्यों पर एक लाख का जुर्माना लगाया है और दो हफ्ते के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है। बेंच ने अपने फैसले में उत्तराखंड को इस जुर्माने से अलग रखने के बारे में कहा कि वह फिलहाल बाढ़ की विभीषिका की आई आपदा से जूझ रहा है। इसलिए उसे जुर्माने से अलग रखा गया है। बेंच ने यह भी कहा कि अभी तक जिन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने ऐसा नहीं किया है, उम्मीद है कि वे अब शहरी बेघरों की कुछ चिंता अवश्य करेंगे।
लापरवाही बरदाश्त नहीं
पीठ ने उन राज्यों को भी चेतावनी दी है कि जिन्होंने इस संबंध में बैठक तो की है, लेकिन अभी तक ठोस कदम नहीं उठाया है। बेंच ने कहा कि कुछ राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश जैसे कर्नाटक, पुदुचेरी और दिल्ली ने इस संबंध में तीन बैठकें की हैं। बिहार और बंगाल में भी दो बैठकें हुई हैं। इसके अलावा 23 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने अभी तक सिर्फ एक बैठक की है। चार राज्य केरल, नगालैंड, सिक्किम और उत्तराखंड में एक भी बैठक नहीं की है। इसके अलावा पीठ ने यह भी कहा कि कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां बैठकें तो हुई हैं, लेकिन संबंधित अधिकारी ही इस बैठक में ही हिस्सा ही नहीं लिया।
बेघरों को भाग्य भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता
शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि वह यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अगर राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस पर आवश्यक कदम नहीं उठाए तो उनके पास फिर जुर्माने जैसा कठोर कदम उठाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। बेंच ने कहा कि बेघरों को उनके भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। आवास हर व्यक्ति की आधारभूत आवश्यकता है।