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शरीर में दुश्मन की गोली खाकर 19 साल से आज भी जिन्दा है यह जाबांज, बर्तन धोने को है मजबूर

locationनई दिल्लीPublished: Jul 26, 2018 03:08:55 pm

Submitted by:

Anil Kumar

कारगिल के युद्ध में लड़ाई लड़ने वाले राजधानी दिल्ली से इकलौते जवान सतवीर सिंह हैं। आज भी इनके शरीर में युद्ध के निशान मौजूद हैं। पाकिस्तान की ओर दागी गई गोली सतवीर सिंह के पैर में अभी भी फंसी हुई है और उन्हें चलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

शरीर में दुश्मन की गोली खाकर 19 साल से आज भी जिन्दा है यह जाबांज

शरीर में दुश्मन की गोली खाकर 19 साल से आज भी जिन्दा है यह जाबांज, बर्तन धोने को है मजबूर

नई दिल्ली। ठीक आज से (26 जुलाई) 19 वर्ष पहले पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए थे। वह पत था कारगिल के युद्ध का। कारगिल के युद्ध के दैरान भारतीय सेना के बहादुरी और जाबांजी के आगे पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेक दिए थे। उनके पास समर्पन के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। करीब दो महीने तक चली इस युद्ध से जाबांज भारतीय सेना की ताकत का सबूत पूरी दुनिया ने देखा था। इसी युद्ध में देश के 527 जवान शहीद हुए थे और करीब 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। बता दें कि कारगिल के इस युद्ध में राजधानी दिल्ली के एक जाबांज सिपाही ने भी अपनी ताकत को लोहा मनवाया था।

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राजधानी के इकलौते योद्धा

आपको बता दें कि कारगिल के युद्ध में लड़ाई लड़ने वाले राजधानी दिल्ली से इकलौते जवान सतवीर सिंह हैं। आज भी इनके शरीर में युद्ध के निशान मौजूद हैं। पाकिस्तान की ओर दागी गई गोली सतवीर सिंह के पैर में अभी भी फंसी हुई है और उन्हें चलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि देश के नाम अपनी जिंदगी को समर्पित कर चुके सतवीर की स्थिति आज बहुत दैनिय है। भले ही सरकार यह दावा करती नजर आती हो कि वह शहीदों और वीर सैनिकों के साथ है। लेकिन सतवीर सिंह की कहानी ने सरकार के दावों को कटघरे में खड़ा करता है। बता दें कि आज सतवीर सिंह अपने जीवन को चलाने के लिए एक जूस का दूकान चलाते हैं जहां पर खुद बर्तन धोने का काम करते हैं। लांस नायक सतवीर सिंह दिल्ली के ही मुखमेलपुर गांव में रहते हैं। करगिल युद्ध के दिल्ली से इकलौते जाबांज हैं। आज कारगिल युद्ध को 19 वर्ष बीत गए है पर, पैर में आज भी पाकिस्तान की एक गोली फंसी हुई है, जिसकी वजह से चल- फिर नहीं सकते। बैसाखी के सहारे वह चलते-फिरते हैं।

शरीर में दुश्मन की गोली खाकर 19 साल से आज भी जिन्दा है यह जाबांज

9 सैनिकों की टुकड़ी की अगुवाई करते थे सतवीर

आपको बता दें कि सतवीर सिंह कारगिल युद्ध में नौ सैनिकों की टुकड़ी की अगुवाई करते थे। वे बताते हैं कि ‘वह 13 जून 1999 की सुबह थी। कारगिल की तोलोलिंग पहाड़ी पर थे। तभी घात लगाए पाकिस्तानी सैनिकों की टुकड़ी से आमना-सामना हो गया। 15 मीटर की दूरी पर थे पाकिस्तानी सैनिक।’ सतवीर ने हैंड ग्रेनेड फेंका। बर्फ में 6 सेकंड बाद ग्रेनेड फट गया। जैसे ही फटा पाकिस्तान के 7 सैनिक मारे गए। उन्होंने कहा कि, ‘हमें कवरिंग फायर मिल रहा था लेकिन 7 जवान हमारे भी शहीद हुए थे। उसी दौरान सतवीर के पैर पर कई गोलियां लगीं। उनमें एक, पैर की एड़ी में आज भी फंसी हुई है। वे 17 घंटों तक पहाड़ी पर घायल पड़े रहे। उनके शरीर से सारा खून बह चुका था। फिर 3 बार उन्हें लेने के लिए हेलीकॉप्टर भी आया, लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों की फायरिंग की वजह से नहीं उतर पाए। फिर कुछ सैनिकों ने ही उन्हें वहां स बाहर निकाला। एयरबस से श्रीनगर लाए। 9 दिन बाद वहां रहने के बाद दिल्ली शिफ्ट कर दिया।’

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सरकार से कोई भी नहीं मिल रही मदद

आपको बता दें कि इस वीर जाबांज सिपाही सतवीर ने बताया कि ‘एक साल से ज्यादा मेरा इलाज दिल्ली सेना के बेस हॉस्पिटल में चला। साथ ही जीवनयापन के लिए पेट्रोल पंप आवंटित होने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, लेकिन दुर्भाग्यवश पेट्रोल पंप नहीं मिल सका। इसके बाद सरकार ने जीवनयापन करने के लिए करीब 5 बीघा जमीन दी। जिसपर उन्होंने फलों का एक बाग भी लगाया। लेकिन तीन वर्ष बाद वह जमीन भी छीन ली गई गई। आज उनके दो बेटे हैं जो कि पैसों के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं और पूरा परिवार दाने-दाने को मोहताज है। सरकार की ओर से मामूली सी पेंशन दी जाती है जिससे परिवार नहीं चल पाता है इसलिए वे एक जूस का दुकान चलाते हैं। उसकी आमदनी से भी किसी तरह परिवार का गुजारा हो पाता है लेकिन सरकार है कि इस जाबांज सिपाही के परिवार पर ध्यान हीं नहीं दे रही है।

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