कश्मीर: 35ए के समर्थन विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए श्रीनगर में प्रतिबंध, कल होगी सुनवाई
जब्त वाहनों के निपटारे के लिए बनाएं नीति: कोर्ट
आपको बता दें कि अदालत ने कहा कि एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज एक्ट) के मामले तीन-चार वर्षों में सुनवाई के लिए आते हैं और जब पुलिस से पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि मालखाने में कुछ भी ड्रग्स नहीं बचा है। सभी माल चूछे खा गए। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि नारकोटिक्स के मामले में बाहर से ज्यादा पुलिस थानों के अंदर ड्रग्स की तस्करी होती है। पुलिस थानों में जब्त गाड़ियों के संदर्भ मे टिप्पणी करते हुए कहा कि इनमें से ज्यादातर चोरी की गाड़ियां होती है या फिर उनका इस्तेमाल अपराध को अंजाम देने के लिए हुआ होता है। यदि बहुत समय हो जाने के बाद भी उन गाड़ियों पर कोई भी अपना दावा नहीं करता है तो उसे बेच देना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे बेकार पड़ी गाड़ियों का निपटारा किया जा सके। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद से कोर्ट ने पूछा कि क्या जब्त दोपहिया या कारों को थाना ले जाना जरूरी है। इस पर आनंद ने कहा कि पुलिस को ऐसे वाहनों का निपटारा करने के लिए संबंधित अदालतों से अनुमति लेनी होती है।