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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस की अजीब दलील, चूहे खा जाते हैं जब्त ड्रग्स

locationनई दिल्लीPublished: Aug 31, 2018 03:29:18 pm

Submitted by:

Anil Kumar

अदालत ने कहा कि जब जब्त किए गए ड्रग्स के बारे में पुलिस से पूछा जाता है तो कहती है कि चूहे खा गए।

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस की अजीब दलील, चूहे खा जाते हैं जब्त ड्रग्स

कोर्ट में दिल्ली पुलिस की अजीब दलील, चूहे खा जाते हैं जब्त ड्रग्स

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत में दिल्ली पुलिस ने एक अजीबोगरीब जवाब दिया है। दिल्ली के थानों में भरे पड़े जब्त सामानों से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने गुरुवार को सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि जब जब्त किए गए ड्रग्स के बारे में पुलिस से पूछा जाता है तो कहती है कि चूहे खा गए। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर कई वर्षों तक जब्त किए गए वाहनों का जब कोई दावेदार नहीं आता है तो उसे बेच क्यों नहीं दिया जाता है? बता दें कि दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि थानों में जगह बनाने के लिए जब्त सामानों को हटाने की नीति चार सप्ताह में बनाई जाएगी। इसपर जस्टिस मदन बी लोकुर और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने ये सख्त टिप्पणियां की।

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जब्त वाहनों के निपटारे के लिए बनाएं नीति: कोर्ट

आपको बता दें कि अदालत ने कहा कि एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज एक्ट) के मामले तीन-चार वर्षों में सुनवाई के लिए आते हैं और जब पुलिस से पूछा जाता है तो वह कहते हैं कि मालखाने में कुछ भी ड्रग्स नहीं बचा है। सभी माल चूछे खा गए। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और कहा कि नारकोटिक्स के मामले में बाहर से ज्यादा पुलिस थानों के अंदर ड्रग्स की तस्करी होती है। पुलिस थानों में जब्त गाड़ियों के संदर्भ मे टिप्पणी करते हुए कहा कि इनमें से ज्यादातर चोरी की गाड़ियां होती है या फिर उनका इस्तेमाल अपराध को अंजाम देने के लिए हुआ होता है। यदि बहुत समय हो जाने के बाद भी उन गाड़ियों पर कोई भी अपना दावा नहीं करता है तो उसे बेच देना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे बेकार पड़ी गाड़ियों का निपटारा किया जा सके। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद से कोर्ट ने पूछा कि क्या जब्त दोपहिया या कारों को थाना ले जाना जरूरी है। इस पर आनंद ने कहा कि पुलिस को ऐसे वाहनों का निपटारा करने के लिए संबंधित अदालतों से अनुमति लेनी होती है।

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