कानून का उल्लंघन करने वाले पर होगी कार्रवाई
दिल्ली सरकार ने कर्मचारियों के हितों और नियुक्तियों के मद्देनजर बने कमजोर कानून को ध्यान में रख कर यह बदलाव किया है। अगर कोई संस्थान या निगम इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति को कम से कम छह महीने से लेकर अधिकतम तीन साल तक की जेल या 50 हजार रुपए जुर्माना हो सकता है। सजा और जुर्माना दोनों साथ-साथ भी हो सकता है।
एडवाइजरी लेबर बोर्ड की रिपोर्ट पर हुआ फैसला
दिल्ली सरकार ने कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतनमान में विसंगतियों को लेकर 14 नवम्बर 2017 को दिल्ली एडवाइजरी लेबर बोर्ड का गठन किया था। इस बोर्ड में दो विधायक समेत 13 लोग शामिल थे। इस बोर्ड की पांचवीं बैठकों में तीन स्टडी ग्रुप बना कर उन्हें रिपोर्ट देने को कहा गया था। इन तीनों की रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर पहला बोर्ड ने फैसला लिया कि दिल्ली सरकार में जितने भी कर्मचारी निजी एजेंसी के जरिये यानी ठेकेदार के माध्यम से काम कर रहे हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाए और इसकी जगह तमाम विभागों में सीधी भर्ती की जाए और न्यूनतम वेतनमान 9500 रुपए से बढ़ाकर उसने 14,000 रुपए कर दिया जाए।
कर्मियों को होगा बड़ा फायदा
बोर्ड के इस फैसले से कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा। इस फैसले के हिसाब से सबसे पहले तो कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी मिलेगी और उन्हें पीएफ भी मिलेगा। सरकार का कहना है कि इस फैसले से हालांकि उन्हें घाटा होगा, लेकिन सरकार का जो 10 फीसदी कमीशन को जाता है, वह बच जाएगा।