ऐसा क्यों लगा कि हड़ताल में समर्थन में नहीं थी ये समिति
मध्याह्न भोजन समितियों के भी हड़ताल में शामिल होने के बाद भी स्कूलों में भोजन वितरित होना इस बात की पुष्टि करता है कि इन समितियों ने हड़ताल का समर्थन नहीं किया था। हड़ताल के पूर्व मध्याह्न भोजन समिति के अध्यक्ष ने बताया था कि जिले में कुल 825 स्वसहायता समूह हैं। सभी समूह हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं बंटेगा। बावजूद इस घोषणा के जिला मुख्यालय पर मध्याह्न भोजन का वितरण किया गया। यह बात अलग है कि हड़ताल के चलते कई कार्यालयों में ताले ही नहीं खुले। बैंकों में कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से अधिकारियों को कार्य करने में परेशानी हुई। कई बैंकों में दैनिक कार्य प्रभावित हुआ। बीएसएनएल में भी कर्मचारी संगठनों के हड़ताल का समर्थन करने से कार्य प्रभावित हुए। यहां कार्यालय में ताले तक नहीं खुले। मुख्य काउंटर पर एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। आंगनवाड़ी केंद्रों पर दूसरे दिन भी ताले डले रहे। किसी केंद्र पर पोषण आहार का वितरण नहीं हुआ। जिला मुख्यालय पर स्कूलों में अवश्य मध्याह्न भोजन बंटा। इस संबंध में बताया गया कि एक सेक्टर के स्वसहायता समूह हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं।
मध्याह्न भोजन समितियों के भी हड़ताल में शामिल होने के बाद भी स्कूलों में भोजन वितरित होना इस बात की पुष्टि करता है कि इन समितियों ने हड़ताल का समर्थन नहीं किया था। हड़ताल के पूर्व मध्याह्न भोजन समिति के अध्यक्ष ने बताया था कि जिले में कुल 825 स्वसहायता समूह हैं। सभी समूह हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं बंटेगा। बावजूद इस घोषणा के जिला मुख्यालय पर मध्याह्न भोजन का वितरण किया गया। यह बात अलग है कि हड़ताल के चलते कई कार्यालयों में ताले ही नहीं खुले। बैंकों में कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से अधिकारियों को कार्य करने में परेशानी हुई। कई बैंकों में दैनिक कार्य प्रभावित हुआ। बीएसएनएल में भी कर्मचारी संगठनों के हड़ताल का समर्थन करने से कार्य प्रभावित हुए। यहां कार्यालय में ताले तक नहीं खुले। मुख्य काउंटर पर एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। आंगनवाड़ी केंद्रों पर दूसरे दिन भी ताले डले रहे। किसी केंद्र पर पोषण आहार का वितरण नहीं हुआ। जिला मुख्यालय पर स्कूलों में अवश्य मध्याह्न भोजन बंटा। इस संबंध में बताया गया कि एक सेक्टर के स्वसहायता समूह हड़ताल में शामिल नहीं हुए हैं।
हड़ताल के दौरान आयोजित की सभा
सीटू के आह्वान पर दो दिसवीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से शासकीय कार्य प्रभावित हुए। आंगनवाड़ी केंद्रों के ताले नहीं खुले। बीएसएनएल में भी कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से कार्यालय पर ताले डले रहे। सीटू के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। विभिन्न संगठनों के कर्मचारी काम पर नहीं गए। बुधवार सुबह 11 बजे सभी संगठन के सदस्य गांधीवाटिका में एकत्र हुए। यहां सीटू के प्रदेश सचिव कामरेड शैलैन्द्रसिंह ठाकुर ने कहा कि कामरेड इब्राहीम शेख ने अपने संबोधन में कही। वर्ष 2014 में जिस तरह यूपीए सरकार को मजदूर, किसान, कर्मचारियों आदि के साथ आम जनता ने उखाड़ फेंका था। ठीक वैसे ही हालात आज एनडीए सरकार के प्रति बनते दिख रहे हैं। मध्यान्ह भोजन की सोना देवी ने बताया कि सरकार बड़ी बड़ी कंपनियों को मध्यान्ह भोजन के ठेके देकर छोटे समूह को खत्म करना चाहती है। मध्यान्ह भोजन रसोईए को 2000 रुपए मासिक मिलता है जो बहुत ही कम है। कामरेड कालूराम पाटीदार ने कहा कि फसलों के उचित दाम नही मिलने के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। कामरेड वीणा पथरोड़ ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगातार अच्छे कार्य कर रही हैं किंतु किसी भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है।
सीटू के आह्वान पर दो दिसवीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से शासकीय कार्य प्रभावित हुए। आंगनवाड़ी केंद्रों के ताले नहीं खुले। बीएसएनएल में भी कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से कार्यालय पर ताले डले रहे। सीटू के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। विभिन्न संगठनों के कर्मचारी काम पर नहीं गए। बुधवार सुबह 11 बजे सभी संगठन के सदस्य गांधीवाटिका में एकत्र हुए। यहां सीटू के प्रदेश सचिव कामरेड शैलैन्द्रसिंह ठाकुर ने कहा कि कामरेड इब्राहीम शेख ने अपने संबोधन में कही। वर्ष 2014 में जिस तरह यूपीए सरकार को मजदूर, किसान, कर्मचारियों आदि के साथ आम जनता ने उखाड़ फेंका था। ठीक वैसे ही हालात आज एनडीए सरकार के प्रति बनते दिख रहे हैं। मध्यान्ह भोजन की सोना देवी ने बताया कि सरकार बड़ी बड़ी कंपनियों को मध्यान्ह भोजन के ठेके देकर छोटे समूह को खत्म करना चाहती है। मध्यान्ह भोजन रसोईए को 2000 रुपए मासिक मिलता है जो बहुत ही कम है। कामरेड कालूराम पाटीदार ने कहा कि फसलों के उचित दाम नही मिलने के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। कामरेड वीणा पथरोड़ ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगातार अच्छे कार्य कर रही हैं किंतु किसी भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है।