पति-पत्नी दोनों की है 70 पार
रेलवे की एक बार फिर लापरवाही सामने आई है। यहां एक बुजुर्ग दिव्यांग दंपत्ति (केयर टेकर भी लकवा पीडि़त हैं) के साथ रेलवे ऐसा मजाक किया है कि दोनों काफी तनाव में आ गए हैं। रेलवे ने दिव्यांग कोटे में लिया गया टिकट भी अलग अलग बोगी में दे दिया। इस कारण बुजुर्ग दंपत्ति तनाव में है। यह वाक्या नीमच जिले के पालसोड़ा गांव के रहने वाले 75 वार्षीय दिव्यांग मोहनकुमार महाडिक और उनकी पत्नी सीमा महाडिक के साथ बीता है। दोनों ने 5 दिसंबर को नीमच से ग्वालियर तक की यात्रा के लिए उदयपुर खजुराहो इंटरसिटी में दिव्यांगा कोटे में अपना रिजर्वेशन करवाया था। जब से रिजर्वेशन टिकट हाथ में आया है बुजुर्ग दंपत्ति काफी तनाव में हैं। एसी थर्ड के इस रिजर्वेशन टिकट में विकलांग मोहनकुमार महाडिक को बी 2 बोगी में 41 नंबर सीट व दिव्यांग सहायक के रूप में यात्रा कर रही पत्नी सीमा महाडिक को बी 3 बोगी में 52 नंबर की सीट दी गई। बताया जाता है कि नियमानुसार दिव्यांग व्यक्ति की आरक्षण में सीट सहायक के नजदीक ही दी जाती है ताकि वह विकलांग की मदद कर सके। रेलवे ने इसके उलट दोनों को अलग-अलग बोगी में टिकट देकर परेशानी काफी बढ़ा दी है। इस संबंध में रिजर्वेशन काउंटर पर बैठे रितेश कैथवास को यह जानकारी दी गई मगर उन्होंने यह कहते हुए टिकट परिवर्तन करने से मना कर दिया की टिकट बन चुका है और वैसे भी कुछ होने वाला नहीं है। इस संबंध में मनोहकुमार ने कहा कि मैं इस तरह दिव्यांगों के साथ रेलवे द्वारा किए गए मजाक के संबंध में उच्चाधिकारियों को शिकायत करूंगा।
रेलवे की एक बार फिर लापरवाही सामने आई है। यहां एक बुजुर्ग दिव्यांग दंपत्ति (केयर टेकर भी लकवा पीडि़त हैं) के साथ रेलवे ऐसा मजाक किया है कि दोनों काफी तनाव में आ गए हैं। रेलवे ने दिव्यांग कोटे में लिया गया टिकट भी अलग अलग बोगी में दे दिया। इस कारण बुजुर्ग दंपत्ति तनाव में है। यह वाक्या नीमच जिले के पालसोड़ा गांव के रहने वाले 75 वार्षीय दिव्यांग मोहनकुमार महाडिक और उनकी पत्नी सीमा महाडिक के साथ बीता है। दोनों ने 5 दिसंबर को नीमच से ग्वालियर तक की यात्रा के लिए उदयपुर खजुराहो इंटरसिटी में दिव्यांगा कोटे में अपना रिजर्वेशन करवाया था। जब से रिजर्वेशन टिकट हाथ में आया है बुजुर्ग दंपत्ति काफी तनाव में हैं। एसी थर्ड के इस रिजर्वेशन टिकट में विकलांग मोहनकुमार महाडिक को बी 2 बोगी में 41 नंबर सीट व दिव्यांग सहायक के रूप में यात्रा कर रही पत्नी सीमा महाडिक को बी 3 बोगी में 52 नंबर की सीट दी गई। बताया जाता है कि नियमानुसार दिव्यांग व्यक्ति की आरक्षण में सीट सहायक के नजदीक ही दी जाती है ताकि वह विकलांग की मदद कर सके। रेलवे ने इसके उलट दोनों को अलग-अलग बोगी में टिकट देकर परेशानी काफी बढ़ा दी है। इस संबंध में रिजर्वेशन काउंटर पर बैठे रितेश कैथवास को यह जानकारी दी गई मगर उन्होंने यह कहते हुए टिकट परिवर्तन करने से मना कर दिया की टिकट बन चुका है और वैसे भी कुछ होने वाला नहीं है। इस संबंध में मनोहकुमार ने कहा कि मैं इस तरह दिव्यांगों के साथ रेलवे द्वारा किए गए मजाक के संबंध में उच्चाधिकारियों को शिकायत करूंगा।
यात्रियों की पूरी करेंंगे मदद
अब आरक्षण व्यवस्था पूरी तरह कम्प्यूट्रीकृत हो गई है। मैन्युअल व्यवस्था होती तो तुरंत सुधार किया जा सकता था। फिर भी मुझे पूरी जानकारी भिजवा दें यात्रियों की पूरी मदद करने का प्रयास करेंगे।
– आरएन सुनकर, डीआरएम रतलाम
अब आरक्षण व्यवस्था पूरी तरह कम्प्यूट्रीकृत हो गई है। मैन्युअल व्यवस्था होती तो तुरंत सुधार किया जा सकता था। फिर भी मुझे पूरी जानकारी भिजवा दें यात्रियों की पूरी मदद करने का प्रयास करेंगे।
– आरएन सुनकर, डीआरएम रतलाम