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Video Story वीडियो और फोटो में देखें कैसे जयति छाजेड़ सांसारिक जीवन त्याग बनीं ‘जीर्णांगपूर्णाश्रीजी’

locationनीमचPublished: Feb 11, 2019 01:23:05 pm

Submitted by:

Mukesh Sharaiya

दीक्षा से पहले मुमुक्षु जयति ने केश लोचन कर दिया संसार से मोह त्याग का संदेश

Neemuch Jain Samay Letest News In Hindi

महोत्सव में दीक्षा ग्रहण करते हुए जयति छाजेड़।

नीमच. नीमच में 33 साल बाद जयति छाजेड़ सांसारिक जीवन त्यागकर साध्वी ‘जिर्णांगपूर्णाश्रीजी’ बन गईं। जयति ने दीक्षा ग्रहण कर विधिवत संयम पथरीली राह की ओर कदम बढ़ाए। रविवार सुबह 7 बजे जैन कॉलोनी स्थित छाजेड़ भवन से दीक्षार्थी का वरघोड़ा निकला। नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ वरघोड़ा मिडिल स्कूल पांडाल में पहुंचा, जहां आचार्यश्री हेमचन्द्र सागर महाराज, साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी के सानिध्य में प्रभु पूजा अर्चना की। तत्पश्चात केश लोचन करवाया और संसारिक भौतिक उपभोग के मोह से त्याग का आदर्श संदेश दिया। समाज के हजारों लोग भी आस्था और भक्ति से अभिभूत होकर दीक्षा उत्सव के साक्षी बने।

आचार्यश्री ने दिया नया नाम ‘जिर्णांगपूर्णाश्रीजी’
दीक्षा उत्सव में सकल नवकार मंत्र अराधक के साथ सभी समाज वर्गों के साथ पूरा शहर दीक्षार्थी बहन की अनुमोदना के लिए उमड़ा। रविवार सुबह 9 बजे आचार्य हेमचन्द्रसागर सूरी महाराज, वीतरागचन्द्र सागर महाराज, साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी की पावन निश्रा में ओम रिम नमो चारित्रस.., नवकार मंत्र का उच्चारण, मंगलविधि से जयति को आत्म शुद्धि की क्रिया करवाई गई। तब जयति ने मम मुंडन करो- मम इचकारी भगवान बजाय कारी मा मा मुंडा वेशम सम मामा पावात् ही… के उच्चारण के साथ है गुरुदेव मेरा मुंडन करो मेरा गुरु के प्रति समर्पण स्वीकारो। मुझे साधु का वेश प्रदान करो की प्रार्थना की। गुरु चरणों में आने के लिए आशीर्वाद मांगा। धर्मसभा का शुभारंभ सामूहिक चेत्यवन्दन से हुआ। आचार्यश्री की निश्रा में जयती ने तीन बार प्रदक्षिणा की और प्रभु पूजा कर गुरु आशीर्वाद मांगा, तब आचार्यश्री ने आज्ञा देकर सांसारिक नाम जयति को परिवर्तित कर नया नाम संस्कार कर ‘जिर्णांगपूर्णाश्रीजी’ महाराज नृतन नाम की उद्घोषणा की। करम भंते के बाद जयति अब साधु परिवेश में रहेंगी। रात्रि भोज का त्याग रहेगा। सामायिक प्रतिक्रमण धर्म अध्यात्म पर तथा आत्मा का कल्याण ही उसका प्रमुख लक्ष्य रहेगा।

संयम बिना आत्मा का कल्याण और मोक्ष संभव नहीं
आचार्यश्री हेमचन्द्र सागर सूरी महाराज ने कहा कि संयम बिना आत्मा का कल्याण और मोक्ष सम्भव नहीं है। एमबीए करने के बाद यह निर्णय जयति की स्वप्रेरणा का है इसलिए जयति कल्याण की राह पर सफलतापूर्वक आगे बढेंग़ी। वीतराग चन्द्र सागरसुरी महाराज ने कहा कि जयति आत्मा के भीतर धैर्य था उसे प्रेरणा की जरूरत नहीं। दीक्षा के बाद जयति में अरिहन्त भक्ति का अवतरण जयति के शरीर में हुआ है। आज बसंत पंचमी का महापर्व मां सरस्वती का जन्म दिवस है। संत ही विश्व का बंसत है जो ‘जिर्णांगपूर्णाश्रीजी’ अब संसार की प्रकृति में पवित्र हवा फैलाएंगी। संसार को दुख नहीं हो, इसलिए संत दुखी रहता है। हर संसारी जीवों को नष्ट करने का दोषी रहता है। यह भी एक प्रकार का आतंकवाद है। संसार जीवों पर आतंकवाद के चरणों में आनंदवाद के लिए आगे बढ़ गई है जो आदर्श कदम है। जयति को रजोहरण मिला। सभी ने आशीर्वाद प्रदान किया। जयति का संयम मार्ग निर्विधन बने। धर्मसभा में मुमुक्षु जयति छाजेड़ ने स्वयं अपनी ओर से आचार्य हेमचन्द्र सूरी महाराज, वितरागचन्द्र सागर महाराज आदि ठाणा-7 को कमली वेराकर संयम पथ पर चलने के लिए सफलता का आशीर्वाद ग्रहण किया।

भजनों की अमृत वर्शा पर झुमे श्रद्धालु
भजन गायक मेहूल कुमार ने धूमर धूमर धूमे रे बाईसा… दीक्षा उत्सव के मध्य स्वार्थ भरी दुनिया को छोड़ कर संयम लेने का लाडली चली रो संग म्हने खारो खारो लागे जयति चली… वीरती धर लो वेष प्यारो प्यारो लागे संसारी जिसका मुझे था इंतहार जिसके लिए दिल बेकरार वो घड़ी आ गई… मोह भरी नगरी को छोड़ मुक्ति की दाह पर चली लाड़ली जयति परिवार का कहना है तू रुक जा जयति कहती मुझे चाहिए वीरती संयम लेने को आज लाडली जयती चली.., जा संयम पंथे वेरागी पथ सदा उजमान बने मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है… आ केश नो लुन छन छे, झीवो झाीणो उड़े रे गुलाल नीमच नगरी में।

जयति छाजेड़ दीक्षा विधि कार्यक्रम एक नजर में
रविवार सुबह 7 बजे दीक्षार्थी वरघोड़ा, 9 बजे दीक्षा विधि, 9.30 बजे परिवारजनों द्वारा केश लोचन, 9.40 बजे परिवारजनों द्वारा विजय तिलक, 10 बजे संतश्री के अमृत वचन, पूजा दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष जम्बूकुमार जैन एवं श्रीसंघ पदाधिकारियों द्वारा मुमुक्षु जयति को शॉल, श्रीफल प्रदानकर सम्मान किया। 10.30 बजे धार्मिक चढ़ावे की बोलिया लगी। 11 बजे बहुमान नामकरण संस्कार साध्वी वृन्द द्वारा कैश लोचन, दोपहर 12.30 नवकार मंत्र आराधकों का स्वामी वात्सल्य।

नूतन साध्वी महाराज के पगलिये आज
श्री जैन श्वेताम्बर भीड भंजन पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा आचार्य हेमचन्द्रसागर सूरी महाराज एवं साध्वी अमीपूर्णाश्रीजी महाराज के पावन सानिध्य में जयति छाजेड़ की दीक्षा के उपरान्त सोमवार सुबह 7.30 बजे जैन कॉलोनी छाजेड़ भवन नृतन साध्वी ‘जिर्णांगपूर्णाश्रीजी’ महाराज एवं साध्वी वृन्द के पगलिये ससंघ आयोजित होंगे। उक्त जानकारी ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने दी। आचार्य हेमचन्द्र सागर सूरी महाराज ने सुबह 9 बजे दोपहर 1 बजे तक दीक्षा विधि कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी हजारों श्रद्धालु भक्तों से निरन्तर नवकार मंत्र के जाप की माला गिनवाई जिसमें हजारों नवकार मंत्र का उच्चारण स्वयं मेव सामूहिक हो गया।

नम आंखों से दी विदाई
जयति का दीक्षा विधि चलती रही और उसकी माता अनिता छाजेड़ पिता विजय छाजेड़ दिखे तो प्रसन्न मुद्रा में लेकिन उनकी आंखों से वात्सल्य की अमृत धारा आंसुओं के रूप में बहती रही। उनके साथ भाई जैनम एवं अन्य परिवारजनों की आंखे से भी निरंतर आंसुओं की अमृत धारा बह रही थी। ये विदाई के आंसू थे, लेकिन खुशियों से सराबोर थे। उनकी बेटी संयम राह पर जा रही है।

वरघोड़ा में उमड़े श्रद्धालु
रविवार सुबह 7 बजे जैन कॉलोनी स्थित छाजेड़ भवन से मुमुक्षु जयति का वरघोड़ा बैंड बाजे ढोल ढमाकों के साथ निकला जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ मिडिल स्कूल मैदान में बने दीक्षा पांडाल में पहुंचा। इसमें बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।
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