क्या कारण है कि सिंधिया समर्थक बने बागी यहां पढ़ें पूरी खबर
शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन था। जिले की तीनों विधानसभा सीटों से कुल 41 नामांकन पत्र दाखिल किए गए। इनमें कुल 13 निर्दलियों ने भी नाम निर्देशन पत्र दाखिल किए। तीनों सीटों पर 4 निर्दलीय ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी से भी नामांकन पत्र दाखिल किया है। चूंकि उन्हें पार्टी ने अधिकृत नहीं किया है ऐसे वे बागी के रूप में ही मैदान में उतर सकते हैं। नीमच विधानसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी पर मैदान में उतारा है। यहां कार्यकताओं के सामने संकट खड़ा हो गया, लेकिन आला कमान के आदेश का पालन करना भी मजबूरी है। कार्यकर्ताओं के मध्य सामंजस स्थापित करने के लिए शनिवार को जिला कांग्रेस कार्यालय पर बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में सभी विषयों पर चर्चा की गई। नीमच सीट से जिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष मधु बंसल के बागी खड़ा होने पर रणनीति पर भी विचार किया गया। कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण पाटीदार आगामी दिनों में कैसे अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंच सके इसको लेकर भी रणनीति पर चर्चा हुई। दूसरी ओर भाजपा में प्रत्याशी के सामने पूर्व विधायक खुमानसिंह शिवाजी के पुत्र सज्जनङ्क्षसह चौहान ने ताल ठोकी है। शुक्रवार को नांमाकन पत्र दाखिल के अंतिम समय में सपाक्स की ओर से सज्जनङ्क्षसह को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था, लेकिन मात्र पांच मिनट के अंतर से वे अपना नामांकन भरने से चूक गए और निर्दलीय के रूप में ही मैदान में डटे रहे सके। यदि वे सपाक्स की ओर से अधिकृत घोषित हो जाते तो नि:संदेह भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकते थे। अब उन्हें मनाने की कवायद तेज हो गई है।
शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन था। जिले की तीनों विधानसभा सीटों से कुल 41 नामांकन पत्र दाखिल किए गए। इनमें कुल 13 निर्दलियों ने भी नाम निर्देशन पत्र दाखिल किए। तीनों सीटों पर 4 निर्दलीय ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी से भी नामांकन पत्र दाखिल किया है। चूंकि उन्हें पार्टी ने अधिकृत नहीं किया है ऐसे वे बागी के रूप में ही मैदान में उतर सकते हैं। नीमच विधानसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी पर मैदान में उतारा है। यहां कार्यकताओं के सामने संकट खड़ा हो गया, लेकिन आला कमान के आदेश का पालन करना भी मजबूरी है। कार्यकर्ताओं के मध्य सामंजस स्थापित करने के लिए शनिवार को जिला कांग्रेस कार्यालय पर बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में सभी विषयों पर चर्चा की गई। नीमच सीट से जिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष मधु बंसल के बागी खड़ा होने पर रणनीति पर भी विचार किया गया। कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण पाटीदार आगामी दिनों में कैसे अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंच सके इसको लेकर भी रणनीति पर चर्चा हुई। दूसरी ओर भाजपा में प्रत्याशी के सामने पूर्व विधायक खुमानसिंह शिवाजी के पुत्र सज्जनङ्क्षसह चौहान ने ताल ठोकी है। शुक्रवार को नांमाकन पत्र दाखिल के अंतिम समय में सपाक्स की ओर से सज्जनङ्क्षसह को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था, लेकिन मात्र पांच मिनट के अंतर से वे अपना नामांकन भरने से चूक गए और निर्दलीय के रूप में ही मैदान में डटे रहे सके। यदि वे सपाक्स की ओर से अधिकृत घोषित हो जाते तो नि:संदेह भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकते थे। अब उन्हें मनाने की कवायद तेज हो गई है।
इन कारणों के चलते पटेल नहीं हटेंगे मैदान से
जानकार बता रहे हैं कि एक बार फिर जावद में पिछले चुनाव जैसे समीकरण बने हैं। बस प्रत्याशी कुछ बदल गए हैं। पिछले चुनाव में राजकुमार अहीर ने पार्टी से बगावत कर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी रघुराजसिंह चौरडिय़ा के सामने ताल ठोकी थी। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्तिगत रूप से राजकुमार अहीर सम्पर्क कर नामांकन पत्र वापस लेने को कहा था। इसे अहीर ने ठुकरा दिया था। इसका परिणाम यह हुआ था कि जावद सीट से कांग्रेस की जमानत तक जब्त हो गई थी। एक बार फिर वैसे ही हालात बने हैं। इस बार गेंद सिंधिया के पाले में है। उनके कट्टर समर्थक समंदर पटेल ने बागी बन अहीर के खिलाफ मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। पटेल अपना नामांकन वापस लेते हैं या नहीं यह पूरी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निर्भर करेगा। पटेल से नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहने से पहले पिछले चुनाव में अहीर द्वारा नामांकन वापस नहीं लेने का मुद्दा अवश्य गरमाएगा। ऐसे में सिंधिया क्या निर्णय लेते हैं यह विचारणीय रहेगा।
जानकार बता रहे हैं कि एक बार फिर जावद में पिछले चुनाव जैसे समीकरण बने हैं। बस प्रत्याशी कुछ बदल गए हैं। पिछले चुनाव में राजकुमार अहीर ने पार्टी से बगावत कर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी रघुराजसिंह चौरडिय़ा के सामने ताल ठोकी थी। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने व्यक्तिगत रूप से राजकुमार अहीर सम्पर्क कर नामांकन पत्र वापस लेने को कहा था। इसे अहीर ने ठुकरा दिया था। इसका परिणाम यह हुआ था कि जावद सीट से कांग्रेस की जमानत तक जब्त हो गई थी। एक बार फिर वैसे ही हालात बने हैं। इस बार गेंद सिंधिया के पाले में है। उनके कट्टर समर्थक समंदर पटेल ने बागी बन अहीर के खिलाफ मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। पटेल अपना नामांकन वापस लेते हैं या नहीं यह पूरी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निर्भर करेगा। पटेल से नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहने से पहले पिछले चुनाव में अहीर द्वारा नामांकन वापस नहीं लेने का मुद्दा अवश्य गरमाएगा। ऐसे में सिंधिया क्या निर्णय लेते हैं यह विचारणीय रहेगा।