24 घंटे अवैधानिक रूप से कर रहा था बिजली उपयोग
बिजली कम्पनी की विजलेंस टीम ने पिछले 5-6 वर्षों में बिजली चोरी के जितने भी प्रकरण दर्ज किए थे सभी पर शासन ने एक आदेश जारी कर पानी फेर दिया। भले की यह वोट बैंक की गणित हो, लेकिन इसका सीधा भार आम जनता पर पड़ रहा है। विजलेंस टीम ने ऐसे प्रकरण भी दर्ज किए थे जो बिजली चोरी के चौकाने वाले उदाहरण बनकर सामने आए थे। इनमें सबसे बड़ा मामला पिछले साल चीताखेड़ा में सामने आया था। यहां एक किसान ने दो ग्रीड से सीधे अवैधानिक रूप से बिजली सप्लाय ले रखी थी। चौकाने वाली बात यह सामने आई थी किसान ने बिजली चोरी करने के लिए करीब डेढ़ से दो किलोमीटर अडरग्राउंड लाइन बिछाई थी। इसकी मदद से खेत पर 24 घंटे बिजली रहती थी। विजलेंस टीम ने औचक निरीक्षण कर प्रकरण बनाया था। इतने बड़े स्तर पर लम्बे समय से जो व्यक्ति बिजली चोरी कर रहा था उसपर भी शासन मेहरबान हुआ और प्रकरण वापस ले लिया गया। ऐसे एक दो नहीं दर्जनों मामले हैं जिनमें विजलेंस टीम ने काफी मेहनत की थी, लेकिन सबपर पानी फिर गया।
साढ़े तीन हजार बिजली चोरी के आरोपियों पर मेहरबानी
पिछले महीने जिले में हजारों श्रमिकों पर शासन मेहरबान हुआ था। करोड़ों रुपए के बिजली बिल माफ किए गए थे। इतना ही नहीं शासन ने बिजली चोरी करने वालों पर भी मेहरबानी की है। जिले में कुल 3 हजार 453 लोगों पर बिजली कम्पनी ने कार्रवाई की थी। इनमें से एक हजार 737 प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन थे और एक हजार 716 प्रकरणों को कोर्ट में प्रस्तुत करने की तैयारी थी। दोनों तरह के इन मामलों में बिजली कम्पनी को 7 करोड़ 77 लाख रुपए की रिवकरी करना थी। इसमें कोर्ट में चल रहे प्रकरणों के 4 करोड़ 5 लाख और कोर्ट में प्रस्तुत करने वाले प्रकरणों के 3 करोड़ 72 लाख रुपए शामिल थे। दोनों की प्रकरणों में बिजली कम्पनी को अपने हक में कोर्ट से निर्णय होने की पूरी उम्मीद थी। इस बीच शासन ने फरमान जारी कर सभी प्रकरण वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। इससे बिजली कम्पनी को सीधे सीधे 50 फीसदी नुकसान हो गया। आधी राशि शासन बिजली कम्पनी को देगी।
शासन देगी 50 फीसदी राशि
बिजली कम्पनी ने 30 जुलाई 2018 तक के जितने भी बिजली चोरी के प्रकरण बनाए थे शासन आदेश पर वापस ले लिए हैं। इसमें जितनी राशि की वूसली होना थी इसमें से 50 फीसदी राशि शासन जमा कराएगा। आधी राशि बिजली कम्पनी वहन करेगी। जिले में कुल 3 हजार 453 प्रकरणों का 7 करोड़ 77 लाख रुपए वसूला जाना था।
– एससी शर्मा, अधीक्षण यंत्री
बिजली कम्पनी की विजलेंस टीम ने पिछले 5-6 वर्षों में बिजली चोरी के जितने भी प्रकरण दर्ज किए थे सभी पर शासन ने एक आदेश जारी कर पानी फेर दिया। भले की यह वोट बैंक की गणित हो, लेकिन इसका सीधा भार आम जनता पर पड़ रहा है। विजलेंस टीम ने ऐसे प्रकरण भी दर्ज किए थे जो बिजली चोरी के चौकाने वाले उदाहरण बनकर सामने आए थे। इनमें सबसे बड़ा मामला पिछले साल चीताखेड़ा में सामने आया था। यहां एक किसान ने दो ग्रीड से सीधे अवैधानिक रूप से बिजली सप्लाय ले रखी थी। चौकाने वाली बात यह सामने आई थी किसान ने बिजली चोरी करने के लिए करीब डेढ़ से दो किलोमीटर अडरग्राउंड लाइन बिछाई थी। इसकी मदद से खेत पर 24 घंटे बिजली रहती थी। विजलेंस टीम ने औचक निरीक्षण कर प्रकरण बनाया था। इतने बड़े स्तर पर लम्बे समय से जो व्यक्ति बिजली चोरी कर रहा था उसपर भी शासन मेहरबान हुआ और प्रकरण वापस ले लिया गया। ऐसे एक दो नहीं दर्जनों मामले हैं जिनमें विजलेंस टीम ने काफी मेहनत की थी, लेकिन सबपर पानी फिर गया।
साढ़े तीन हजार बिजली चोरी के आरोपियों पर मेहरबानी
पिछले महीने जिले में हजारों श्रमिकों पर शासन मेहरबान हुआ था। करोड़ों रुपए के बिजली बिल माफ किए गए थे। इतना ही नहीं शासन ने बिजली चोरी करने वालों पर भी मेहरबानी की है। जिले में कुल 3 हजार 453 लोगों पर बिजली कम्पनी ने कार्रवाई की थी। इनमें से एक हजार 737 प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन थे और एक हजार 716 प्रकरणों को कोर्ट में प्रस्तुत करने की तैयारी थी। दोनों तरह के इन मामलों में बिजली कम्पनी को 7 करोड़ 77 लाख रुपए की रिवकरी करना थी। इसमें कोर्ट में चल रहे प्रकरणों के 4 करोड़ 5 लाख और कोर्ट में प्रस्तुत करने वाले प्रकरणों के 3 करोड़ 72 लाख रुपए शामिल थे। दोनों की प्रकरणों में बिजली कम्पनी को अपने हक में कोर्ट से निर्णय होने की पूरी उम्मीद थी। इस बीच शासन ने फरमान जारी कर सभी प्रकरण वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। इससे बिजली कम्पनी को सीधे सीधे 50 फीसदी नुकसान हो गया। आधी राशि शासन बिजली कम्पनी को देगी।
शासन देगी 50 फीसदी राशि
बिजली कम्पनी ने 30 जुलाई 2018 तक के जितने भी बिजली चोरी के प्रकरण बनाए थे शासन आदेश पर वापस ले लिए हैं। इसमें जितनी राशि की वूसली होना थी इसमें से 50 फीसदी राशि शासन जमा कराएगा। आधी राशि बिजली कम्पनी वहन करेगी। जिले में कुल 3 हजार 453 प्रकरणों का 7 करोड़ 77 लाख रुपए वसूला जाना था।
– एससी शर्मा, अधीक्षण यंत्री