सोयाबीन बोवनी से कम हो रहा रुझान
जिले में इस साल एक लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी की गई है। पिछले साल एक लाख 25 हजार 850 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी हुई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सायोबीन की बोवनी कम हुई है। लगातार किसानों का रुझान सोयाबीन की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ रहा है। अधिकांश किसान सोयाबीन की बजाय दलहन की बोवनी का प्राथमिकता दे रहे हैं। इस साल फिर से सोयाबीन फसल को लेकर जिस तरह के हालात निर्मित हुए हैं इसको देखते हुए अगले साल भी सोयाबीन का रकबा और घट सकता है।
तने में कीड़ा लगने से सबसे अधिक नुकसान
प्राध्यापक और उन्नत किसान डा. एलएम धाकड़ ने बताया कि इस साल प्रारंभ में सोयाबीन फसल अच्छी दिखाई दे रही थी। 6 इंच तक पौधा बढऩे के बाद अचानक तले में कीड़ा लग गया। 6 इंच के नीचे जितनी फलियां लगी हैं उनमें तो अच्छा दाना हुआ है, लेकिन जहां से तने में कीड़ा लगा है इसके ऊपर का पौधा पनप ही नहीं पाया है। पूरा पौधा सूख गया है। जैसे तैसे पौधे ने आकार लिया भी तो फलियां छोटी रह गई। दाना भी बराबर आकार नहीं ले सका। ऐसे हालात जिले में कई गांवों में बने हैं। पहले लग रहा था कि एक बार जोरदार बारिश हो जाएगी तो सोयाबीन का उत्पादन सुधर जाएगा, लेकिन अब ऐसे हालात बन चुके हैं कि आगामी एक सप्ताह में तो खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल कटने की स्थिति में पहुंच जाएगी। ऐसे में किसानों के पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं बचा है। इस बार सोयाबीन का जावद क्षेत्र में तो उत्पादन प्रभावित होगा ही।
कुछ दिन में कटने लगेगी सोयाबीन
सोयाबीन अब अंतिम दौर में है। कुछ दिनों में सोयाबीन कटने की स्थिति में आ जाएगी। अधिकांश क्षेत्र में सोयाबीन फसल अच्छी स्थिति में है। जहां हालात ठीक नहीं हैं यदि वहां किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है।
– डा. एसएस सारंगदेवोत, कृषि वैज्ञानिक
जिले में इस साल एक लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी की गई है। पिछले साल एक लाख 25 हजार 850 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी हुई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सायोबीन की बोवनी कम हुई है। लगातार किसानों का रुझान सोयाबीन की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ रहा है। अधिकांश किसान सोयाबीन की बजाय दलहन की बोवनी का प्राथमिकता दे रहे हैं। इस साल फिर से सोयाबीन फसल को लेकर जिस तरह के हालात निर्मित हुए हैं इसको देखते हुए अगले साल भी सोयाबीन का रकबा और घट सकता है।
तने में कीड़ा लगने से सबसे अधिक नुकसान
प्राध्यापक और उन्नत किसान डा. एलएम धाकड़ ने बताया कि इस साल प्रारंभ में सोयाबीन फसल अच्छी दिखाई दे रही थी। 6 इंच तक पौधा बढऩे के बाद अचानक तले में कीड़ा लग गया। 6 इंच के नीचे जितनी फलियां लगी हैं उनमें तो अच्छा दाना हुआ है, लेकिन जहां से तने में कीड़ा लगा है इसके ऊपर का पौधा पनप ही नहीं पाया है। पूरा पौधा सूख गया है। जैसे तैसे पौधे ने आकार लिया भी तो फलियां छोटी रह गई। दाना भी बराबर आकार नहीं ले सका। ऐसे हालात जिले में कई गांवों में बने हैं। पहले लग रहा था कि एक बार जोरदार बारिश हो जाएगी तो सोयाबीन का उत्पादन सुधर जाएगा, लेकिन अब ऐसे हालात बन चुके हैं कि आगामी एक सप्ताह में तो खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल कटने की स्थिति में पहुंच जाएगी। ऐसे में किसानों के पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं बचा है। इस बार सोयाबीन का जावद क्षेत्र में तो उत्पादन प्रभावित होगा ही।
कुछ दिन में कटने लगेगी सोयाबीन
सोयाबीन अब अंतिम दौर में है। कुछ दिनों में सोयाबीन कटने की स्थिति में आ जाएगी। अधिकांश क्षेत्र में सोयाबीन फसल अच्छी स्थिति में है। जहां हालात ठीक नहीं हैं यदि वहां किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है।
– डा. एसएस सारंगदेवोत, कृषि वैज्ञानिक