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ऐसा शासकीय अस्पताल, जहां घर से लाने पड़ रहे बिस्तर, जमीन पर हो रहा उपचार

locationनीमचPublished: Aug 24, 2019 12:49:32 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

ऐसा शासकीय अस्पताल, जहां घर से लाने पड़ रहे बिस्तर, जमीन पर हो रहा उपचार

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ऐसा शासकीय अस्पताल, जहां घर से लाने पड़ रहे बिस्तर, जमीन पर हो रहा उपचार

नीमच. मौसमी बीमारियों का ग्राफ बढऩे से ट्रामा सेंटर मरीजों से खचाखच भरा था, पलंग फूल होने के बाद मरीजों को जहां जगह नजर आ रही थी, वहीं लेट कर उपचार कराने को मजबूर थे, क्योंकि वार्ड के अंदर और बाहर सभी जगह नजर आ रही खाली जमीन एक के बाद एक फूल हो रही थी। ऐेसे में दर्द से करहाते मरीज खाली जगह पर भी लेटने में देर नहीं कर रहे थे, क्योंकि उन्हें भय था, कहीं यह जगह भी हाथ से छूट गई तो कहां उपचार कराएंगे।

यह हाल शुक्रवार को जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में नजर आए। यहां स्थित सभी वार्ड में स्थित पलंग मरीजों से फूल थे। क्योंकि पिछले दो दिन से लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसमें सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीजों ने सैंकड़ों का आंकड़ा पार कर लिया है। वैसे तो शुक्रवार को जन्माष्टमी का अवकाश था, इस कारण रूटिन की ओपीडी बंद थी, अन्यथा मरीजों कहां भर्ती करते।
250 पलंग के बावजूद मरीज जमीन पर
कहने को तो जिला चिकित्सालय में करीब 250 बेड हैं। जिसमें से करीब 150 पलंग शिशु और मेटरनिटी वार्ड में है। वहीं शेष करीब 100 पलंग ट्रामा सेंटर में विभिन्न प्रकार के मरीजों के लिए हैं। चूकि मौसम की मार के कारण मरीजों का ग्राफ दिन ब दिन बढ़ रहा है। इस कारण भर्ती होने वाले मरीजों की सख्यां भी बढ़ती जा रही है। हाल यह है कि एक मरीज को छुट्टी नहीं मिलती है उससे पहले कई मरीज उस पलंग की बाट जोहते रहते हैं जो खाली होने वाला होता है।
वार्ड के अंदर और बाहर जमीन पर लेटे मरीज
ट्रामा सेंटर स्थित मेडिकल वार्ड के अंदर गेट के समीप खाली जगह नजर आते ही मरीज वहीं उपचार कराने को राजी हो गए। वहीं कुछ गंभीर मरीजों को जब जगह नहीं मिली तो वे वार्ड के बाहर भी लेट कर उपचार कराने राजी हो गए। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें बिस्तर भी नसीब नहीं हुए, उन्हें घर से ही कंबल बिस्तर लाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

एक सप्ताह में आए मरीजों पर एक नजर
बीमारी का नाम मरीजों की संख्या 17 से 23 अगस्त
बुखार 758
सर्दी खांसी 456
शरीर दर्द 338
उल्टी दस्त 53
सिरदर्द 36
पेट दर्द 226
घबराहट 55
एलर्जी 173


सांस में तकलीफ होने केे कारण हम गुरुवार को 2 बजे उपचार कराने आए थे, लेकिन यहां पलंग नहीं मिला, चूकि उपचार कराना तो था, इसलिए वार्ड के अंदर ही जमीन पर लेटे , हमने पूछा तो बताया कि जब जगह खाली होगी, तब पलंग मिलेगा। लेकिन शुक्रवार दोपहर तक करीब 24 घंटे से अधिक होने के बाद भी जमीन पर ही लेटें है। हमें बिस्तर भी नहीं मिला, इस कारण घर से जो कंबल लाए थे उसी पर लिटाया है।
-दयाराम ओड़, मरीज

मेरे पति को पेरालेसिस हुआ है। हम कंजार्डा से गुरुवार रात को 8 बजे चिकित्सालय आए थे, पलंग नहीं मिलने पर जमीन पर ही उपचार करा रहे हंै। हमने पलंग का पूछा तो बताते हैं कि किसी की छुट्टी होने पर खाली होने के बाद मिलेगा, लेकिन दूसरे दिन भी कहीं पलंग खाली नहीं नजर आ रहा है।
-नारायणी बाई, मरीज


वैसे तो जिला चिकित्सालय में भरपूर पलंग है। चूकि अभी सर्दी, जुकाम आदि मौसमी बीमारियों के कारण मरीज अधिक आ रहे हैं। इस कारण अधिकतर पलंग फूल हैं, वैसे कुछ मरीज की छुट्टी होती है कुछ भर्ती होते हैं ऐसे में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है। कभी किसी को पलंग नहीं भी मिल पाता है तो जैसे ही पलंग खाली होता है उन्हें मुहैया करा दिया जाता है।
-डॉ बीएल बोरीवाल, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय
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