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आजादी के 71 साल बाद भी न सड़क है और न ही पीने का साफ पानी

locationनीमचPublished: Sep 16, 2018 11:20:31 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

चेंजमेकर हुए ग्रामीणों से रूबरू, ग्रामीणों ने खुलकर रखी अपनी बात

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चेंजमेकर नीमच विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों से चर्चा करते हुए।

नीमच. देश को आजाद हुए 71 साल हो चुके हैं। आज भी ऐसे गांव हैं जहां न सड़कें बनी हैं और न ही लोगों को पीने के लिए साफ पानी की मिल रहा है। विषम परिस्थितियों में ग्रामीणों को काफी कष्ठ भोगना पड़ते हैं।

सड़क नहीं होने से होती है परेशानी
हमारे गांव में न सड़क है और न ही भरी बारिश में पीने के लिए स्वच्छ पानी। महिलाओं को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बारिश में गांव के हालात बद से बदतर हो जाते हैं। कई बार तो ऐसे हालात बन जाते हैं कि बारिश के चलते घर से बाहर निकलना तक दुश्वार हो जाता है। ग्रामीणों ने आम आदमी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी और नीमच विधानसभा क्षेत्र के चेंजमेकर नवीनकुमार अग्रवाल से यह बात कही। अग्रवाल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू होने के लिए ही बैठक आहूत की थी। बैठक में ग्राम सावन, कुचड़ौद, हरवार, फोफलिया, सावनकुंड आदि गांवों के करीब 35 से 40 ग्रामीण उपस्थित थे। ग्रामीणों ने बताया कि हमारी सबसे बड़ी परेशानी सड़कों को लेकर है। बारिश के दिनों में तो स्थिति काफी विकट हो जाती है। घरों से बाहर निकलाना तक मुश्किल हो जाता है। गांव में पक्की सड़क नहीं होने से चहुंओर कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है। बारिश के दिनों में सड़क नहीं होने से आवागमन पूरी तरह बंद हो जाता है। गांव को सम्पर्क शहर तक से टूट जाता है। आपातकाल स्थिति में परेशानी और बढ़ जाती है। कई बार हालात ऐसे भी बनें हैं जब प्रसुताओं को अस्पताल ले जाने में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। देश और प्रदेश आज जिस तेजी से तरक्की कर रहा है ऐसे हालात में गांव में सड़क नहीं होना चिंता का बात है।

नहीं मिलता गांव में साफ पीने का पानी
ग्रामीणों ने आप के अधिकृत प्रत्याशी और चेंजमेकर नवीनकुमार अग्रवाल को बताया कि गांव की दूसरी बड़ी समस्या है पीने का स्वच्छ पानी। गर्मी हो, बरसात हो या फिर जमा देने वाली सर्दी महिलाओं को प्रतिदिन 2 से 3 किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। घर पर मेहमान आने की स्थिति में समस्या काफी बढ़ जाती है। नल जल योजना के तहत गांवों में घर घर पेयजल पहुंचने की व्यवस्था होना चाहिए, लेकिन यह योजना साकार रूप नहीं ले पा रही है।

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