बतादें की अभी तक बच्चों को दिए गए होमवर्क और उनसे हल कराए गए सवाल जवाब व पढ़ाने के दौरान लिखाए गए प्रश्न उत्तर की कॉपियों की ठीक से जांच नहीं होती थी, होती भी थी तो शिक्षक औपचारिक रूप राईट का निशान बनाकर इतिश्री कर लेते थे। लेकिन अब शिक्षा विभाग ने समय समय पर होने वाली मॉनिटरिंग का आधार ही बच्चों की वर्क बुक रखा है। ताकि शिक्षक बच्चों पर कितना ध्यान दे रहे हैं, इसका साफ पता चल जाए।
इस प्रकार होगी कॉपियों की जांच
अब शिक्षकों द्वारा बच्चों से हल कराए गए प्रश्न उत्तरों की जांच कॉपियां जांच कर की जाएगी, जिसमें केवल टीक नहीं मारते हुए एक एक गलती पर गोला बनाया जाएगा। फिर बच्चे को गोले में नजर आ रही गलती का सुधार करवाया जाएगा। फिर दोबार बच्चे से वही लिखवाया जाएगा जिसमें वह गलत कर चुका है। जिसमें हर बार कॉपी जांचने के दौरान शिक्षक हस्ताक्षर के साथ ही दिनांक भी लिखेंगे। जिससे यह भी पता चलेगा कि शिक्षक कितने दिन में बच्चों की कॉपियां जांचते हैं। वैसे तो कुछ सालों पहले इस प्रकार से ही कॉपियों की जांच होती थी, लेकिन लंबे समय से ढर्रा बिगडऩे के कारण बच्चों की गुणवत्ता प्रभावित होने लगी थी, इस कारण फिर से शासन द्वारा बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए यह कदम उठाया है। इसी के साथ वर्क बुक में शिक्षकों द्वारा बच्चों को परिजनों को यह भी अवगत कराया जाएगा कि बच्चे की वर्तमान में क्या स्थिति है और उन्हें घर पर किन किन बातों पर ध्यान देना होगा,ताकि बच्चे की गुणवत्ता में शिक्षक और परिजन के आपसी तालमेल से सुधार आ सके।
अब विद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता की मॉनिटरिंग का मुख्य फोकस वर्क बुक रहेगी। जिसमें शिक्षकों को बच्चों की गलतियों पर गोला बनाकर उसमें सुधार करवाना होगा। अगर इस प्रक्रिया में लापरवाही पाई गई तो निश्चित ही संबंधित शिक्षकों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-केएम सौलंकी, सहायक परियोजना समन्वयक