पत्रिका : बोर्ड की परीक्षा शुरू होने वाली है, बच्चे तनाव में है।
कलेक्टर : 5 फरवरी से शुरू हो रही परीक्षाओं को लेकर आखिरी समय में विद्यार्थी तनाव में आकर दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं। मुझे पता पड़ा है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की हेल्पलाइन में हर रोज करीब 800 से 900 विद्यार्थियों के फोन आ रहे हैं। दो तरह की समस्याएं ज्यादा बताई जा रही हैं। कुछ विद्यार्थी 12 से 14 घंटे सो रहे हैं, तो कुछ विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव के चलते नींद नहीं आ रही है।
पत्रिका : परीक्षा का समय कम बचा है, बेहतर पढ़ाई कैसे हो।
कलेक्टर : बोर्ड परीक्षा भी अन्य परीक्षाओं की तरह ही है। अब कम समय बचा है इसलिए दिन-रात पढऩे की नीति सही नहीं है। तय समय पर पढऩे के बाद शांत चित्त होकर बिस्तर पर जाएं और अच्छी नींद लें, तब ही पढ़ाई बेहतर हो पाएगी।
पत्रिका : पर सोशल मीडिया बच्चों के जीवन में हावी है।
कलेक्टर : दिनभर इंटरनेट मीडिया पर एक्टिव होने के कारण देर रात तक बच्चे जागते है और सुबह 9 – 10 बजे तक सोते रहते है। बेहतर ये है कि फोकस पढ़ाई पर ही हो।
पत्रिका : कई पालक का कहना है कि उनके बच्चों को ना तो नींद आ रही है और ना ही भूख लग रही है।
कलेक्टर : साल भर जितनी पढ़ाई की है, उतने का अभ्यास करें। अब दिन-रात जागकर पढ़ाई से बहुत फायदा नहीं है।
ये सलाह भी कलेक्टर ने स्टूडेंट्स को दी…
– नींद पूरी लें, इससे समझौता नहीं करें।
– स्क्रीन का समय जीरो करें।
– देर रात जागने का प्रयास नहीं करें।
– देर तक जगने के लिए चाय व काफी का सहारा नहीं लें।
– खुद पर भरोसा रखें कि तैयारी पूरी है।
– खुद से अधिक अपेक्षाएं नहीं पालें।
पैरेंट्स इन बातों का ध्यान रखें…
– बच्चों से अच्छा संवाद स्थापित करें।
– बच्चों को तीखे कमेंट ना दें।
– बच्चों को नींद और डाइट का विशेष ध्यान दें।
– बच्चों को ऐसी सहजता उपलब्ध कराएं कि वह बता सके कि उसका पेपर कैसा गया।
– बच्चों का आकलन कर उनसे उनके बराबर ही उनसे उम्मीद रखें।