चिकित्सालय में पर्याप्त संसाधन नहीं
घंटाघर क्षेत्र निवासी मोहम्मद शकील कुरैशी ने बताया कि सुबह दस बजे वह अपनी गर्भवती पत्नी को चिकित्सालय जांच करवाने लाया था। नर्सों द्वारा चैक करने के बाद उसे ऑपरेशन की सलाह दी गई। लेकिन महिला चिकित्सक नमिता ओझा ने उसकी जांच करने के बाद ऑपरेशन करने से यह कहकर इंकार कर दिया कि जिला चिकित्सालय में पर्याप्त संसाधन नहीं है। महिला को रैफर कर दिया गया।
एडीएम के वाहन से ले जाया गया अस्पताल
जब शिकायत करने के लिए संघर्ष समिति के सदस्य और पीडि़ता कलेक्टोरेट में मौजूद थे, उसी दौरान महिला को दर्द उठना शुरू हो गया। इस बात की जानकारी मिलते ही एडीएम विनयकुमार धोका ने तत्काल खुद का वाहन बुलवाया और कलेक्टर के स्टेनो बलदेव शर्मा के साथ एडीएम वाहन में पीडि़ता को जिला चिकित्सालय पहुंचाया और महिला को भर्ती करवाया। एडीएम ने बताया कि पहला दायित्व पीडि़तों का उपचार एवं सेवा है, लेकिन जिला चिकित्सालय के मामले में पीडि़ता और उसके परिजनों ने जो भी शिकायत की है उसकी जांच करवाएंगे।
घंटाघर क्षेत्र निवासी मोहम्मद शकील कुरैशी ने बताया कि सुबह दस बजे वह अपनी गर्भवती पत्नी को चिकित्सालय जांच करवाने लाया था। नर्सों द्वारा चैक करने के बाद उसे ऑपरेशन की सलाह दी गई। लेकिन महिला चिकित्सक नमिता ओझा ने उसकी जांच करने के बाद ऑपरेशन करने से यह कहकर इंकार कर दिया कि जिला चिकित्सालय में पर्याप्त संसाधन नहीं है। महिला को रैफर कर दिया गया।
एडीएम के वाहन से ले जाया गया अस्पताल
जब शिकायत करने के लिए संघर्ष समिति के सदस्य और पीडि़ता कलेक्टोरेट में मौजूद थे, उसी दौरान महिला को दर्द उठना शुरू हो गया। इस बात की जानकारी मिलते ही एडीएम विनयकुमार धोका ने तत्काल खुद का वाहन बुलवाया और कलेक्टर के स्टेनो बलदेव शर्मा के साथ एडीएम वाहन में पीडि़ता को जिला चिकित्सालय पहुंचाया और महिला को भर्ती करवाया। एडीएम ने बताया कि पहला दायित्व पीडि़तों का उपचार एवं सेवा है, लेकिन जिला चिकित्सालय के मामले में पीडि़ता और उसके परिजनों ने जो भी शिकायत की है उसकी जांच करवाएंगे।
‘पैसा होता तो यह आते ही नहींÓ
शकील का कहना था कि इतना पैसा होता तो सरकारी अस्पताल में आते ही नहीं। इस बात पर नर्सों और डॉक्टर ने अभद्र व्यवहार किया। इस दौरान अस्पताल संघर्ष समिति को सूचना दी गई तो मौके पर संदीप चौधरी और मनीष गोयल जिला चिकित्सालय पहुंचे। पीडि़त और उनके परिजनों से मिले इसके बाद पूरे मामले की जानकारी फोन पर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रमसिंह को दी, लेकिन कलेक्टर बैठक में थे। तब संघर्ष समिति के सदस्य पीडि़ता को अपने साथ लेकर कलेक्टर पहुंचे। तब तक कलेक्टर अन्य कार्यक्रम में रवाना हो गए थे, लेकिन अधिकारियों को उन्होने मामले की जानकारी दे दी थी।
शकील का कहना था कि इतना पैसा होता तो सरकारी अस्पताल में आते ही नहीं। इस बात पर नर्सों और डॉक्टर ने अभद्र व्यवहार किया। इस दौरान अस्पताल संघर्ष समिति को सूचना दी गई तो मौके पर संदीप चौधरी और मनीष गोयल जिला चिकित्सालय पहुंचे। पीडि़त और उनके परिजनों से मिले इसके बाद पूरे मामले की जानकारी फोन पर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रमसिंह को दी, लेकिन कलेक्टर बैठक में थे। तब संघर्ष समिति के सदस्य पीडि़ता को अपने साथ लेकर कलेक्टर पहुंचे। तब तक कलेक्टर अन्य कार्यक्रम में रवाना हो गए थे, लेकिन अधिकारियों को उन्होने मामले की जानकारी दे दी थी।