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पहली बार कागजों की अपेक्षा टेबलेट पर हो रही पशुओं की गणना

locationनीमचPublished: Feb 18, 2019 12:39:14 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

पहली बार कागजों की अपेक्षा टेबलेट पर हो रही पशुओं की गणना

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पहली बार कागजों की अपेक्षा टेबलेट पर हो रही पशुओं की गणना

नीमच. जिले भर के पालतु और स्वछंद विचरण करने वाले पशुओं की गणना करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग का मैदानी अमला अब गांव-गांव, खेत-खेत जाकर एक एक पशु की गणना करने में जुट गया है। चूकि अब तक जो गणना कागजों में आसानी से हो जाती थी, उसे टेबलेट के माध्यम से ऑनलाइन करने में दल को पसीने छूट रहे हैं। क्योंकि यह एंट्री ऑफलाइन किसी कीमत पर नहीं हो रही है। वहीं मौके से एंट्री करने में कई बार सर्वर डाऊन तो कई बार नेटवर्क नहीं मिलने से पशु गणना करना किसी चुनौती से कम नहीं रह गया है। ऐसे में आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इस कार्य में दिन रात जुटे हैं। ताकि समय पर जिलेभर के पशुओं की गणना हो जाए।
बतादें की पशु चिकित्सा विभाग के माध्यम से होने वाली २० वीं पशु संगणना जिले में शुरू हो चुकी है। जिसे विभाग द्वारा २८ फरवरी तक पूर्ण करना है। अभी तक पशुओं की गणना अनुसूची (कागज) के माध्यम से होती आई है। जिसे पहली बार शासन द्वारा टेबलेट के माध्यम से शुरू किया गया है। जिसका मुख्य कारण किसी भी प्रकार की फर्जी एंट्री नहीं हो सके। क्योंकि गणना के दौरान प्रगणक को टेबलेट में संबंधित गांव में पहुंचकर ही एंट्री करना है। ऐसे में एंट्री के वक्त लोकेशन भी उसी गांव की रहेगी। अगर व्यक्ति किसी अन्य गांव में खड़ा होकर एंट्री करेगा तो मोबाइल एप उस एंट्री को स्वीकार नहीं करेगा।
जिले में ४२ एवीएफओ कर रहे गणना, ८ चिकित्सक जुटे सुपरविजन में
जिले भर में पशुओं की गणना करने के लिए ४२ एवीएफओ की ड्यूटी लगाई है। वे टेबलेट लेकर प्रतिदिन अगल अलग गांवों में जाकर मोबाइल एप्स के माध्यम से एंट्री डाल रहे हैं। जिसकी मॉनिटरिंग का कार्य ८ चिकित्सकों यानि सुपरवाईजरों द्वारा किया जा रहा है। वे प्रगणक द्वारा की जा रही एंट्री को वेरिफाई कर रहे हैं। ताकि पशु संगणना पूर्ण रूप से खरी उतरे।
सर्वर डाऊन और नेटवर्क के कारण आ रही प्रगणक को दिक्कतें
२० वीं पशु संगणना में मोबाइल एप में प्रगणक को पशु पालक की जानकारी, पशुधन की संख्या, मुर्गी पालन, मछली पालन, पशु पालन के उपकरण यानि गोबर हटाने की मशीन, अंडे निकालने की मशीन, घास आदि काटने की मशीन, दूध निकालने की मशीन यह सब एंट्री ऑनलाइन फीड करना है। चूकि यह सब एंट्री मौके से ही करना है ओर पशु पालन का काम अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में होता है, इस कारण कई बार सर्वर डाऊन रहने और कई बार नेटवर्क नहीं मिलने के कारण प्रगणक को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। क्योंकि उक्त सभी एंट्री डालने के दौरान एक भी एंट्री छूटी और नेटवर्क या सर्वर डाऊन हो गया तो फिर से दोबारा एंट्री करनी पड़ती है।
२०११ की जनगणना को लक्ष्य मानकर हो रही गणना
वर्ष २०११ की जनगणना में शामिल १ लाख ९७ हजार ८०९ परिवारों को लक्ष्य मानकर पशु संगणना की जा रही है। जिसके तहत परिवार के मुखिया से एक एक पशुधन की जानकारी लेकर ऑनलाइन फिडिंग की जा रही है। पशु गणना हर पांच साल में होती है। जो इससे पूर्व वर्ष २०१२-१३ में हुई थी।
स्वछंद विचरण करने वाले गौवंश और श्वान की भी गणना
इस बार विभिन्न पशुओं के साथ ही स्वछंद विचरण करने वाले पशुओं की भी गणना की जा रही है। जिसके तहत स्वछंद विचरण करने वाले गौवंश, श्वान की गणना की जाएगी। पशु गणना करने का मुख्य उद्देश्य यह रहता है कि इसी गणना के आधार पर भविष्य में पशु पालन, या पशुओं से संबंधित कोई भी योजना तैयार होती है तो उसमें पशुओं की संख्या के आधार पर योजनाओं को मूर्त रूप दिया जाता है। ताकि किसी भी योजना का लाभ सभी पशु या पशु मालिकों को मिले।
वर्जन.
२० वीं पशु संगणना का काम चल रहा है। चूकि पशुओं की संख्या के आधार पर ही विभिन्न योजनाएं तैयार की जाती है। इसलिए पशु मालिकों को चाहिए कि वे सही जानकारी दें, जिससे विभाग को भी पशुओं की गणना करने में परेशानी नहीं हो।
-डॉ एआर धाकड़, नोडल अधिकारी, २० वीं पशु संगणना
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