सरकारी सूत्रों ने बताया कि दो तरह से पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना को चकमा दिया गया। हले स्तर पर कूटनीति के जरिए तो दूसरे स्तर पर वायुसेना की जब भारत ने इशारा किया तो पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का इस ओर ध्यान गया। इस बीच सार्क सम्मेलन का भारत ने बहिष्कार कर दिया।
सूत्रों का कहना है क पाकिस्तानी सेना और पड़ोसी मुल्क की सरकार भारत के इस कड़े रूख में उलझ गई। भारतीय सेना ने इस माहौल का फायदा उठाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी शुरू कर दी थी। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि इस कड़ी में जानबूझकर वायुसेना का युद्धाभ्यास दोबारा से शुरू किया गया था।
सीमा इलाके में बढ़ाई गतिविधियां सूत्र बताते हैं कि इस माहौल में भारत ने वायुसेना की हलचल सीमा के आसपास के इलाकों में बढ़ा दी थी। उरी हमले से एक दिन पहले 18 सितंबर को वायुसेना का युद्वाभ्यास खत्म हो चुका था। 19 सितंबर को उरी में हमला हुआ था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना की सीमा के आसपास के इलाकों में गतिविधियां बढ़ाने के आदेश दिए। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि पाक को लगे कि भारत उसे जवाब दे सकता है।
फिर सुरक्षित लौटे रात करीब ढाई बजे भारतीय आर्टिलरी यूनिट्स ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को भ्रम में रखने के लिए उनकी चौंकियों को निशाना बनाया गया। पाक सैनिों की और से भी जवाबी फायरिंग हुई। इसी शोरगुल के बीच भारतीय कमांडो ने लौटना शुरू किया। उनकी तरफ पाक सैनिकों का ध्यान ही नहीं गया। दुश्मन के सैनिक भारतीय फायरिंग का जवाब देने के लिए तेजी से अपने बंकरों की ओर भागे। इसी बीच भारतीय स्पेशल फोर्सेंज टीमों को अपने क्षेत्र में बिना किसी चुनौती का सामना किए लौटने का मौका मिल गया।