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पतंजलि की दवाओं पर आयुष विभाग द्वारा देर से कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़

पतंजलि की दवाओं पर आयुष विभाग द्वारा देर से कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़

‘उत्तराखंड आयुष विभाग के हलफ़नामे को एक लाख जुर्माने के साथ करेंगे ख़ारिज’

नई दिल्लीApr 30, 2024 / 09:50 pm

anurag mishra

अनुराग मिश्रा! नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के आयुष विभाग को जमकर लताड़ा। उत्तराखंड के ज्वाइंट डायरेक्टर मिथलेश कुमार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा कि आपने जो पतंजलि 14 दवाओं के उत्पादन को निलंबित किया है वो कब तक है।

आयुष विभाग ने बताया कि उन्हे संबधित विभाग के पास 3 महीने के भीतर अपील दाखिल करनी होगी। जिस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आपको ये सब पहले ही करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने ज्वाइंट डायरेक्टर, मिथलेश कुमार से पूछा पिछले 9 महीनों में आपने क्या करवाई की है?

सर्वोच्च अदालत ने पूछा की बताएं कि पिछले 9 महीने में क्या करवाई हुई। हलफनामा दायर कर बताएँ। अगर पिछले हलफनामा पर जाएं तो आपने कोई करवाई नहीं की? आप बाद में मत कहिएगा कि आपको मौका नहीं दिया।

अदालत ने लाइसेंस ऑथॉरिटी को फटकार लगाई। कहा ऐसा लग रहा है कि वो केवल पोस्ट ऑफिस की तरह से काम कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग ऑथोरिटी के हलफनामे को 1 लाख के जुर्माने के साथ खारिज कर देंगे, ये लापरवाही से भरा हुआ हलफनामा है। अभी केवल टिप्पणी की जुर्माना नही लगाया है।
सोमवार यानी 29 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पिछले 10 से 12 दिनों में करवाई हुई उन्ही शिकायतों पर जो पहले दाखिल हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी पिछले 6 सालों में क्या हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग विभाग ने कुछ पांच हलफनामे दाखिल हुए है। मिथलेश कुमार, गिरीश, स्वास्तिक सुरेश, राजीव कुमार वर्मा और विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दाखिल हुए है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम हलफनामे से संतुष्ट नहीं है। विभाग ने 10 अप्रैल के बाद करवाई की है। विभाग की तरफ से 10 दिनों में नया हलफनामा दाखिल करने की मांग को अनुमति देते है। 14 मई को मामले की सुनवाई करेंगे।

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