आयुष विभाग ने बताया कि उन्हे संबधित विभाग के पास 3 महीने के भीतर अपील दाखिल करनी होगी। जिस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आपको ये सब पहले ही करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने ज्वाइंट डायरेक्टर, मिथलेश कुमार से पूछा पिछले 9 महीनों में आपने क्या करवाई की है?
सर्वोच्च अदालत ने पूछा की बताएं कि पिछले 9 महीने में क्या करवाई हुई। हलफनामा दायर कर बताएँ। अगर पिछले हलफनामा पर जाएं तो आपने कोई करवाई नहीं की? आप बाद में मत कहिएगा कि आपको मौका नहीं दिया।
अदालत ने लाइसेंस ऑथॉरिटी को फटकार लगाई। कहा ऐसा लग रहा है कि वो केवल पोस्ट ऑफिस की तरह से काम कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग ऑथोरिटी के हलफनामे को 1 लाख के जुर्माने के साथ खारिज कर देंगे, ये लापरवाही से भरा हुआ हलफनामा है। अभी केवल टिप्पणी की जुर्माना नही लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग विभाग ने कुछ पांच हलफनामे दाखिल हुए है। मिथलेश कुमार, गिरीश, स्वास्तिक सुरेश, राजीव कुमार वर्मा और विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दाखिल हुए है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम हलफनामे से संतुष्ट नहीं है। विभाग ने 10 अप्रैल के बाद करवाई की है। विभाग की तरफ से 10 दिनों में नया हलफनामा दाखिल करने की मांग को अनुमति देते है। 14 मई को मामले की सुनवाई करेंगे।