scriptLok Sabha Elections 2024: बिहार की इन पांच सीटों पर भाजपा, जेडीयू और आरजेडी क्यों लगा रही है इतना जोर, जानें किसके बीच कांटे की टक्कर | Lok S These five seats of Bihar will decide the future of BJP, JDU and RJD | Patrika News
राष्ट्रीय

Lok Sabha Elections 2024: बिहार की इन पांच सीटों पर भाजपा, जेडीयू और आरजेडी क्यों लगा रही है इतना जोर, जानें किसके बीच कांटे की टक्कर

Lok Sabha Elections 2024: तीसरे दौर के चुनाव वाले जिन तीन क्षेत्रों झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में जहां जदयू के सांसद हैं वहां पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के वोटों की गोलबंदी ही जीत हार कर फैस करती आई है।

नई दिल्लीMay 02, 2024 / 12:31 pm

Anand Mani Tripathi

लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण में बिहार की जिन पांच लोकसभा सीटों पर सात मई को मतदान होना है, उनमें अतिपिछड़ा और पिछड़े वर्ग की गोलबंदी ही पार्टियों को परिणाम तक पहुंचाएगी। आरजेडी नेता लालूप्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि भाजपा के 400 पार के नारे की जगह हिंदू कार्ड और जातिवाद ने ले ली है। दो चरणों के मतदान पूरे हो जाने के बाद यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के लहजे पर सीधा हमला है। इसकी वजह सामाजिक और जातीय समीकरणों को अपने हित में साधने का लक्ष्य है। जाति आधारित गणना किस तरह गेम चेंजर होगी या नहीं होगी, उसका आकलन इन पांच लोकसभा सीटों के परिणाम से ही होगा। अगले दौर में सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया, अररिया और मिथिलांचल के झंझनपुर में चुनाव है।
तीसरे दौर के चुनाव वाले जिन तीन क्षेत्रों झंझारपुर, सुपौल और मधेपुरा में जहां जदयू के सांसद हैं वहां पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के वोटों की गोलबंदी ही जीत हार कर फैस करती आई है। झंझारपुर में जदयू सांसद रामप्रीत मंडल फिर से मैदान में हैं। मैथिल ब्राम्हणों और यादव समेत मल्लाह वोटरों के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में ‘इंडिया’ गठबंधन से मुकेश सहर की विकासशील इंसान पार्टी के सुमन महासेठ को मुकाबले में उतारा गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के गृहक्षेत्र वाली इस संसदीय सीट पर अतिपिछड़ा और ब्राह्मण वोट ही निर्णायक होते हैं। इन इलाकों में पिछड़ा और अतिपिछड़ा मतदाताओं को ‘पंचफोरन’ कहा जाता है। इनमें पांच जातियों के लोग हैं। ये जीत-हार के कारण बनते आ रहे हैं। झंझारपुर से पांच बार सांसद रह चुके देवेंद्र प्रसाद यादव ने उम्मीदवारी की लालसा पूरी नहीं होने पर आरजेडी से रिश्ता तोड़ लिया और पप्पू यादव की राह पर चलते हुए महागठबंधन को धूल चटाने की ठान ली है। पूर्व विधायक गुलाब यादव ने आरजेडी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय ताल ठोकी दी है।
सुपौल संसदीय सीट भी पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट बैंक के लिटमस टेस्ट की धरती बनी है। इस क्षेत्र में भी यादव और अतिपिछड़ा पंचफोरन वोट बैंक प्रभावकारी है। यह सीट गठबंधन में नहीं मिलने से कांग्रेसी आहत है। रोम पोप का, मधेपुरा गोप का..। इस प्रचलित कहावत वाली बीपी मंडल (मंडल कमीशन के नायक) की धरती मधेपुरा में इस बार फिर दो यादव प्रत्याशी मैदान में हैं। दो बार से संसद में यहां का प्रतिनिधित्व करते आ रहे जदयू के दिनेशचंद्र यादव के मुकाबले लालू यादव ने 1971 में कांग्रेस के सांसद रह चुके डॉ रवींद्र कुमार यादव ‘रवि’ के पुत्र प्रो. कुमार चंद्रदीप को आरजेडी उम्मीदवार बनाया है।
सीमांचल की अररिया और कोसी क्षेत्र की खगड़िया संसदीय सीट एक जैसे समीकरणों के लिए जानी जाती हैं। अररिया में अतिपिछड़ा, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम आबादी निर्णायक होती है। जबकि खगड़िया में यादव, कुशवाहा और मुस्लिम वोट असरदार हैं।

Home / National News / Lok Sabha Elections 2024: बिहार की इन पांच सीटों पर भाजपा, जेडीयू और आरजेडी क्यों लगा रही है इतना जोर, जानें किसके बीच कांटे की टक्कर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो