ऐसे लगाया गया सांप की लंबाई का अंदाजा
शोधकर्ताओं ने वासुकी इंडिकस के शरीर की लंबाई की संभावित सीमा निर्धारित करने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया। दोनों ही तरीकों में सांप की कशेरुकाओं की चौड़ाई और उसकी लंबाई के बीच संबंध निर्धारित करने के लिए वर्तमान सांपों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन उनके डेटासेट में अंतर था। एक डेटाबेस में बोइडे परिवार के आधुनिक सांपों के डेटा का इस्तेमाल किया गया, जिसमें बोआ और अजगर शामिल हैं और आज जीवित सबसे बड़े सांप शामिल हैं। अन्य डेटाबेस में बाकी सभी तरह के जीवित सांपों का इस्तेमाल किया गया।
जहरीला नहीं था, शिकार में था सुस्त
यह स्पष्ट नहीं है कि वासुकी क्या खाता था लेकिन आस-पास पाए गए अन्य जीवाश्मों से पता चलता है कि सांप कैटफिश, कछुए, मगरमच्छ और आदिम व्हेल के साथ दलदली इलाकों में रहता था, जो शायद उसका शिकार रहे होंगे। वासुकी जहरीला नहीं था और अपने विशाल आकार व वजन के चलते यह जल्दी से अपने शिकार का पीछा नहीं कर पाता होगा।
क्या फिर लौटेगा विशाल सांपों का दौर
दूसरा विलुप्त विशालकाय सांप, टाइटेनोबोआ कोलंबिया में खोजा गया था और अनुमान है कि वह लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले वहां था। अध्ययन में शामिल नहीं रहे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी जेसन हेड का कहना है दोनों में जो समानता है वह यह है कि वे असाधारण रूप से गर्म वैश्विक जलवायु में पनपे थे। हालांकि, इस बात की संभावना नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग विशाल आकार के सांपों को वापस ला सकती है। सिद्धांत रूप में, यह संभव है लेकिन जलवायु अब इतनी तेजी से गर्म हो रही है कि सांप फिर से विकसित होकर विशालकाय नहीं हो सकते।
मैडट्सोइडे समूह से जुड़ा हुई थी प्रजाति
वासुकी इंडिकस मैडट्सोइडे नामक सांपों के एक समूह से जुड़ा हुआ है जो पहली बार दक्षिण अमरीका, अफ्रीका, भारत और दक्षिणी यूरोप में 6.6 से 10 करोड़ साल पहले दिखे थे। जहां पसलियां कशेरुकाओं से जुड़ी होती हैं, उन जगहों को देखकर शोधकर्ताओं का मानना है कि वासुकी इंडिकस का शरीर चौड़ा, बेलनाकार था और वह ज्यादातर जमीन पर रहता था। इसकी तुलना में जलीय सांपों का शरीर बहुत सपाट, सुव्यवस्थित होता है।