बारिश का ज़ादू
बारिश का ज़ादू
झर रही
बूंदें जो आसमां से
अमृत हैं वो
सिक्के की तरह
धरा की गुल्लक में इनको
बंद कर के रख लो
बना सकते नहीं
बादल और बरसात कभी
न सूरजए न चाँद
फिर करते किस बात का घमंड हम
क्यों, मिटाते कुदरत का चमन
जिसे रचने की कूवत नहीं
पानी ये वो जीवन है
बूंद बूंद इसकी सहेज लो
वर्षा के पानी का सरंक्षण करो
गंवाओ न ये मोती व्यर्थ
कल इसे ही ढूंढने में होगा कष्ट
रब ने ये खज़ाना लुटाया
रोपो पौधे नये नये
जिनमें ये सब जायेंगे रखे
सूद की तरह फिर मिलेंगे कल
वृक्ष जब एफडी की तरह पक जायेंगे
उनकी शाखाओं से हम
एक का दस पायेंगे
मौसम अनुकूल आया है
मरते हुयों ने जीवन पाया हैं
देखो, बारिश का जादू
सब पर छाया है ।।
इंदु सिंह इन्दुश्री युवा कवयित्री नरसिंहपुर
परिचय-इंदु सिंह नरसिंहपुर की युवा कवयित्री हैं, इसके अलावा वे योगाचार्य भी हैं और योग के माध्यम से लोगों को निरोग बनाने के लिए योग शिविर भी आयोजित करती हैं।