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नरसिंहपुर

सिबिल सिस्टम के बावजूद डकार गए बैंकों के करोड़ों

डिफाल्टरों को बैंकों से लोन न देने के लिए सरकार ने करीब ४ साल पहले के्रडिट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी सिबिल सिस्टम बनाया था

नरसिंहपुरMar 16, 2018 / 08:11 pm

ajay khare

wilful defaulters

bank

नरसिंहपुर। एक बैंक से लोन लेकर उसे डकार जाने और फिर दूसरे बैंक से लोन लेकर बैंकों को चपत लगाने वालों पर नजर रखने और ऐसे डिफाल्टरों को बैंकों से लोन न देने के लिए सरकार ने करीब ४ साल पहले के्रडिट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी सिबिल सिस्टम बनाया था पर इसके ठीक से काम न करने की वजह से जहां कई लोग बैंकों से लाखों का लोन लेने में सफल रहे वहीं इस सिस्टम द्वारा कई बार तीन से चार माह तक नो ड्यूज शो न किए जाने की वजह से ईमानदार ग्राहकों को लोन लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार नरसिंहपुर जिले में करीब 1 दर्जन से अधिक बैंकों के करोड़ों रुपए डूबत खाते में हैं। लोगों ने अपने व्यवसाय या अन्य कार्य के लिए लोन तो लिया पर चुकाया नहीं और गायब हो गए। बैंक प्रबंधन द्वारा समय पर कार्रवाई न किए जाने से अलग अलग बैंकों के करोड़ों रुपया डूब चुके हैं। जानकारी के अनुसार बैंकों का लोन लेकर समय पर अदा न कर दूसरे बैंक से लोन लेने वालों को लोन देने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा सिबिल सिस्टम बनाया गया था। जिसमें देश के किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक से लोन लेने वाले के बारे में एक क्लिक पर उसकी सारी हिस्ट्री दिखने लगती है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा लोन लेने के बाद उसे समय पर नहीं चुकाया किया है और यदि किसी ग्राहक द्वारा लोन लेने के बाद उसे समय पर चुका दिया गया है तो उसके लिए उसकी ग्रेडिंग भी की जाती है। मसलन समय पर लोन चुकाने वाले को 800 नंबर के साथ वेरी गुड की श्रेणी में रखा जाता है जबकि जबकि निर्धारित समय से थोड़ा आगे पीछे लोन चुकाने पर 750 अंकों के साथ गुड कैटेगरी में रखा जाता है। समय पर लोन न चुकाने वाले और लोन डकार जाने वालों को डिफाल्टर की श्रेणी में डाल दिया जाता है। बताया गया है कि समय पर लोन चुकाने वालों के साथ भी कई बार यह स्थिति बनती है कि सिस्टम द्वारा 4 से 5 महीने तक उनका नो ड्यूज शो नहीं होता जिससे उन्हें लोन लेने में परेशानी होती है।
बैंक सार्वजनिक नहीं करते जानकारी
बैंक से लोन लेकर डकार जाने वाले ऋणग्राहियों पर कई कारणों से जहां कई बार बैंक समय रहते कार्रवाई नहीं करते वहीं दूसरी ओर बैंक ऐसे लोगों के नाम भी सार्वजनिक नहीं करते कि कौन सेठ का चोला ओढ़कर बैंक को कंगाल करने पर तुला है। जिसकी वजह से ऐसे लोग समाज में प्रतिष्ठिा का आवरण ओढ़ कर बैंक की करोड़ों की रकम पचा जाते हैं।
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